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भारत बंद को लेकर ट्रेड यूनियनों का दावा, 25 करोड़ लोग शामिल होंगे - trade union strike on 8 jan

सरकार से श्रमिक विरोधी, जनविरोधी, राष्ट्र विरोधी नीतियों को वापस लेने की मांग को लेकर दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने आठ जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा की है. ट्रेड यूनियन के मुताबिक, इस हड़ताल में 25 करोड़ लोगों के शामिल होने की संभावना है. पढ़ें विस्तार से.

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Published : Jan 6, 2020, 5:57 PM IST

Updated : Jan 7, 2020, 9:19 PM IST

नई दिल्ली : दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने दावा किया है कि आठ जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल में 25 करोड़ लोग शामिल होंगे. सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ हड़ताल का आह्वान किया गया है.

ट्रेड यूनियनों इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी सहित विभिन्न संघों और फेडरेशनों ने पिछले साल सितंबर में आठ जनवरी, 2020 को हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी.

दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने संयुक्त बयान में कहा, 'आठ जनवरी को आगामी आम हड़ताल में हम कम से कम 25 करोड़ लोगों की भागीदारी की उम्मीद कर रहे हैं. उसके बाद हम कई और कदम उठाएंगे और सरकार से श्रमिक विरोधी, जनविरोधी, राष्ट्र विरोधी नीतियों को वापस लेने की मांग करेंगे.'

बयान में कहा गया है, 'श्रम मंत्रालय अब तक श्रमिकों को उनकी किसी भी मांग पर आश्वासन देने में विफल रहा है. श्रम मंत्रालय ने दो जनवरी, 2020 को बैठक बुलाई थी. सरकार का रवैया श्रमिकों के प्रति अवमानना का है.'

बयान में कहा गया है कि छात्रों के 60 संगठनों तथा कुछ विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों ने भी हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है. उनका एजेंडा बढ़ी फीस और शिक्षा के व्यावसायीकरण का विरोध करने का है.

मोदी सरकार की कृषि नीतियों के खिलाफ 8 जनवरी को ग्रामीण भारत बंद

ट्रेड यूनियनों ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हिंसा तथा अन्य विश्वविद्यालय परिसरों में इसी तरह की घटनाओं की आलोचना की है और देशभर में छात्रों तथा शिक्षकों को समर्थन देने की घोषणा की है.

यूनियनों ने इस बात पर नाराजगी जताई कि जुलाई, 2015 से एक भी भारतीय श्रम सम्मेलन का आयोजन नहीं हुआ है. इसके अलावा यूनियनों ने श्रम कानूनों की संहिता बनाने और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का भी विरोध किया है.

नई दिल्ली : दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने दावा किया है कि आठ जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल में 25 करोड़ लोग शामिल होंगे. सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ हड़ताल का आह्वान किया गया है.

ट्रेड यूनियनों इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी सहित विभिन्न संघों और फेडरेशनों ने पिछले साल सितंबर में आठ जनवरी, 2020 को हड़ताल पर जाने की घोषणा की थी.

दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने संयुक्त बयान में कहा, 'आठ जनवरी को आगामी आम हड़ताल में हम कम से कम 25 करोड़ लोगों की भागीदारी की उम्मीद कर रहे हैं. उसके बाद हम कई और कदम उठाएंगे और सरकार से श्रमिक विरोधी, जनविरोधी, राष्ट्र विरोधी नीतियों को वापस लेने की मांग करेंगे.'

बयान में कहा गया है, 'श्रम मंत्रालय अब तक श्रमिकों को उनकी किसी भी मांग पर आश्वासन देने में विफल रहा है. श्रम मंत्रालय ने दो जनवरी, 2020 को बैठक बुलाई थी. सरकार का रवैया श्रमिकों के प्रति अवमानना का है.'

बयान में कहा गया है कि छात्रों के 60 संगठनों तथा कुछ विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों ने भी हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है. उनका एजेंडा बढ़ी फीस और शिक्षा के व्यावसायीकरण का विरोध करने का है.

मोदी सरकार की कृषि नीतियों के खिलाफ 8 जनवरी को ग्रामीण भारत बंद

ट्रेड यूनियनों ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हिंसा तथा अन्य विश्वविद्यालय परिसरों में इसी तरह की घटनाओं की आलोचना की है और देशभर में छात्रों तथा शिक्षकों को समर्थन देने की घोषणा की है.

यूनियनों ने इस बात पर नाराजगी जताई कि जुलाई, 2015 से एक भी भारतीय श्रम सम्मेलन का आयोजन नहीं हुआ है. इसके अलावा यूनियनों ने श्रम कानूनों की संहिता बनाने और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का भी विरोध किया है.

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TRADE UNIONS-STRIKE
25 crore people likely to participate in nationwide strike on Jan 8
         New Delhi, Jan 6 (PTI) Ten central trade unions on Monday said around 25 crore people will participate in a nationwide strike on January 8 to protest against the government's "anti-people" policies.
          Trade unions INTUC, AITUC, HMS, CITU, AIUTUC, TUCC, SEWA, AICCTU, LPF, UTUC along with various sectoral independent federations and associations had adopted a declaration in September last to go on a nationwide strike on January 8, 2020.
          "We expect participation of not less than 25 crore of working people in the forthcoming National General Strike on January 8, 2020, to be followed by many more actions seeking reversal of the anti-worker, anti-people, anti-national policies of the Government.
          "The Ministry of Labour has failed to assure on any of the demands of workers which called a meeting on January 2, 2020. The attitude of the government is that of contempt towards labour as we construe from its policies and actions," the 10 central trade unions (CTUs) said in a joint statement.
          About 60 organisations of students and elected office bearers of some universities have also decided to join the strike with an agenda to raise voice against increased fee structure and commercialization of education, it said.
          The trade unions condemned the JNU violence and similar incidents in other university campuses and expressed their solidarity with students and teachers all over India.
          The unions also expressed displeasure over no Indian Labour Conference being held since July 2015, codification of labour laws and privatisation of PSUs.
          "As many as 12 airports are already sold out to private hands, 100 per cent sale of Air India is already decided, decision to sell BPCL taken, BSNL-MTNL merger announced and 93,600 telecom workers already thrown out of jobs under the garb of VRS (voluntary retirement scheme)," it added.
          The unions are also against privatisation in railways, corporatisation of 49 defence production units and forced merger of banks.
          Joint platform of more than 175 farmers and agricultural workers unions will extend its support to workers' demands and observe January 8 as Gramin Bharart Bandh along with their charter of demands, they added. PTI KKS KKS
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Last Updated : Jan 7, 2020, 9:19 PM IST
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