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सरकार को झटका : पाक के सामान पर 200% कस्टम ड्यूटी लगाने का मामला खारिज - पाकिस्तान से आयात होने वाले सामान

पाकिस्तान से आयात होने वाले सामान पर 200 प्रतिशत शुल्क लगाने के सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इससे पहले इस मामले में सुनवाई करते हुए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने भी सरकार के फैसले को खारिज कर दिया था.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Sep 24, 2020, 5:59 PM IST

नई दिल्ली : पुलवामा हमले के बाद सरकार द्वारा पाकिस्तान से आयात होने वाले सामान पर 200 प्रतिशत शुल्क लगाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने व्यापारियों को राहत देते हुए कहा कि इसका पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं होगा.

पिछले साल 14 फरवरी को आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के वाहन पर हमला कर दिया था. इसमें 40 जवान शहीद हो गए थे.

नतीजतन, दो दिनों के बाद केंद्र ने सीमा शुल्क अधिनियम, 1975 की धारा 8 ए के तहत एक अधिसूचना जारी करके कस्टम ड्यूटी को 200 फीसदी तक बढ़ा दिया था.

इससे व्यापारियों को भारी वित्तीय संकट पैदा हो गया. उल्लेखनीय है कि सरकार ने अधिसूचना जारी होने से पहले बिल पर भी बढ़ी हुई राशि का भुगतान करने के लिए कहा गया था.

पढ़ें - भारत-चीन सैन्य तनाव के बीच नेपाल की नजर तिब्बती शरणार्थियों पर

इसके बाद व्यापारी राहत के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय गए थे, जहां उनकी दलीलों को खारिज कर दिया गया था और फैसला सुनाया कि उनसे बढ़ी हुई राशि का भुगतान नहीं किया जा सकता.

उच्च न्यायालय के इस फैसले को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. जहां इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ की और इसे खारिज कर दिया.

नई दिल्ली : पुलवामा हमले के बाद सरकार द्वारा पाकिस्तान से आयात होने वाले सामान पर 200 प्रतिशत शुल्क लगाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने व्यापारियों को राहत देते हुए कहा कि इसका पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं होगा.

पिछले साल 14 फरवरी को आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के वाहन पर हमला कर दिया था. इसमें 40 जवान शहीद हो गए थे.

नतीजतन, दो दिनों के बाद केंद्र ने सीमा शुल्क अधिनियम, 1975 की धारा 8 ए के तहत एक अधिसूचना जारी करके कस्टम ड्यूटी को 200 फीसदी तक बढ़ा दिया था.

इससे व्यापारियों को भारी वित्तीय संकट पैदा हो गया. उल्लेखनीय है कि सरकार ने अधिसूचना जारी होने से पहले बिल पर भी बढ़ी हुई राशि का भुगतान करने के लिए कहा गया था.

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इसके बाद व्यापारी राहत के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय गए थे, जहां उनकी दलीलों को खारिज कर दिया गया था और फैसला सुनाया कि उनसे बढ़ी हुई राशि का भुगतान नहीं किया जा सकता.

उच्च न्यायालय के इस फैसले को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. जहां इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ की और इसे खारिज कर दिया.

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