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गुजरात : 17 वर्षीय लड़की के दिल ने बचाई 20 वर्षीय लड़के की जान

एम्स में हृदय प्रत्यारोपण का यह तीसरा मामला है. अन्य दो मामलों में प्रत्यारोपण कोविड-19 लॉकडाउन लागू होने से पहले फरवरी के मध्य और मार्च की शुरुआत में किया गया था.

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हृदय प्रत्यारोपण
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Published : Dec 26, 2020, 8:03 AM IST

नई दिल्ली : दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में हृदय संबंधी एक दुर्लभ विकार से पीड़ित एक युवक को 'ब्रेन डेड' हो चुकी वडोदरा की 17 वर्षीय एक किशोरी का हृदय बृहस्पतिवार को प्रत्यारोपित किया गया, जिससे उसे एक नया जीवन मिला.

इस साल एम्स में हृदय प्रत्यारोपण का यह तीसरा मामला है. अन्य दो मामलों में प्रत्यारोपण कोविड-19 लॉकडाउन लागू होने से पहले फरवरी के मध्य और मार्च की शुरूआत में किया गया था.

चार वर्षों से चल रहा था इलाज
पश्चिमी दिल्ली के निवासी 20 वर्षीय युवक को जन्मजात हृदय रोग, जिसे 'एबस्टीन' की विसंगति के रूप में जाना जाता है, से ग्रस्त था. इस वजह से उसका दिल बहुत कमजोर हो गया था. वह इलाज के लिए लगभग चार वर्षों से एम्स आ रहा था.

हृदय प्रत्यारोपण के बाद मिला नया जीवन

हृदय प्रत्यारोपण की जरूरत
कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी विभाग में एक प्रोफेसर डॉ. मिलिंद होते ने कहा, पिछले छह महीनों में उसकी हालत बिगड़ गई थी. वह बहुत बीमार हो गया था और बिस्तर पकड़ा हुआ था, उसे जल्द से जल्द हृदय प्रत्यारोपण की आवश्यकता थी.

पढ़ें: दवा नहीं मौत बांट रहे झोलाछाप डॉक्टर, दिल्ली में इनकी संख्या है 40000!

उन्होंने बताया, हमें राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन से गुजरात से ह्रदय दानकर्ता के बारे में सूचना मिली.

सात घंटे की सर्जरी के बाद हृदय प्रत्यारोपित
एम्स की एक टीम बृहस्पतिवार की सुबह वडोदरा गई और ह्रदय लेकर दोपहर तक वापस दिल्ली आ गई. लगभग सात घंटे की सर्जरी के बाद युवक को हृदय प्रत्यारोपित किया गया.

18 किलोमीटर का सफर 12 मिनट में पूरा
दिल्ली पुलिस ने हवाई अड्डे से एम्स तक 'ग्रीन कारिडोर' बनाया. इससे 18 किलोमीटर का सफर एंबुलेंस ने केवल 12 मिनट में पूरा कर लिया.

डॉ.मिलिंद ने बताया, युवक सर्जरी के बाद आईसीयू में भर्ती है और उसकी हालत स्थिर है.

नई दिल्ली : दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में हृदय संबंधी एक दुर्लभ विकार से पीड़ित एक युवक को 'ब्रेन डेड' हो चुकी वडोदरा की 17 वर्षीय एक किशोरी का हृदय बृहस्पतिवार को प्रत्यारोपित किया गया, जिससे उसे एक नया जीवन मिला.

इस साल एम्स में हृदय प्रत्यारोपण का यह तीसरा मामला है. अन्य दो मामलों में प्रत्यारोपण कोविड-19 लॉकडाउन लागू होने से पहले फरवरी के मध्य और मार्च की शुरूआत में किया गया था.

चार वर्षों से चल रहा था इलाज
पश्चिमी दिल्ली के निवासी 20 वर्षीय युवक को जन्मजात हृदय रोग, जिसे 'एबस्टीन' की विसंगति के रूप में जाना जाता है, से ग्रस्त था. इस वजह से उसका दिल बहुत कमजोर हो गया था. वह इलाज के लिए लगभग चार वर्षों से एम्स आ रहा था.

हृदय प्रत्यारोपण के बाद मिला नया जीवन

हृदय प्रत्यारोपण की जरूरत
कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी विभाग में एक प्रोफेसर डॉ. मिलिंद होते ने कहा, पिछले छह महीनों में उसकी हालत बिगड़ गई थी. वह बहुत बीमार हो गया था और बिस्तर पकड़ा हुआ था, उसे जल्द से जल्द हृदय प्रत्यारोपण की आवश्यकता थी.

पढ़ें: दवा नहीं मौत बांट रहे झोलाछाप डॉक्टर, दिल्ली में इनकी संख्या है 40000!

उन्होंने बताया, हमें राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन से गुजरात से ह्रदय दानकर्ता के बारे में सूचना मिली.

सात घंटे की सर्जरी के बाद हृदय प्रत्यारोपित
एम्स की एक टीम बृहस्पतिवार की सुबह वडोदरा गई और ह्रदय लेकर दोपहर तक वापस दिल्ली आ गई. लगभग सात घंटे की सर्जरी के बाद युवक को हृदय प्रत्यारोपित किया गया.

18 किलोमीटर का सफर 12 मिनट में पूरा
दिल्ली पुलिस ने हवाई अड्डे से एम्स तक 'ग्रीन कारिडोर' बनाया. इससे 18 किलोमीटर का सफर एंबुलेंस ने केवल 12 मिनट में पूरा कर लिया.

डॉ.मिलिंद ने बताया, युवक सर्जरी के बाद आईसीयू में भर्ती है और उसकी हालत स्थिर है.

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