चंडीगढ़ : जहरीली शराब कांड में पंजाब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा सख्ती दिखाने के बाद पंजाब पुलिस ने सोमवार को दो व्यापारियों सहित 12 और व्यक्तियों को गिरफ्तार कर लिया. मुख्यमंत्री ने डीजीपी दिनकर गुप्ता को निर्देश दिया कि वे मामले में शामिल हर एक व्यक्ति पर नजर रखने और उसे पकड़ने के लिए पुलिस बल की पूरी ताकत लगा दें और उनमें से प्रत्येक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें. इस मामले में किसी को भी नहीं बख्शा जाना चाहिए.
कैप्टन अमरिंदर ने कहा, पंजाब पुलिस ने लापरवाही के लिए निलंबित किए गए 2 डीएसपी और चार एसएचओ के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है.
बता दें कि मुख्यमंत्री ने शनिवार को 6 पुलिस और 7 आबकारी एवं कराधान अधिकारी जिनके निलंबन का आदेश दिया था. मुख्यमंत्री द्वारा दी गई मजिस्ट्रियल जांच में सभी संदिग्धों की संलिप्तता की जांच की जा रही है.
इससे पहले पंजाब में जहरीली शराब कांड को लेकर कांग्रेस के दो सांसदों ने राज्य में पार्टी नीत सरकार पर सोमवार को निशाना साधा और शराब की 'अवैध' बिक्री की सीबीआई एवं ईडी से जांच कराने के लिये राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा.
राज्य में हाल ही में हुई इस घटना में 104 अधिक लोगों की मौत हो गई है.
राज्य सभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह ढुलो ने राज्य प्रशासन पर स्पष्ट रूप से नाकाम रहने का आरोप लगाया तथा दावा किया कि यदि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने अवैध शराब के कारोबार की शिकायतों पर समय रहते कार्रवाई की होती, तो यह घटना टल सकती थी.
राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता बाजवा ने कहा कि उन्होंने राज्य में शराब की कथित अवैध बिक्री की सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच कराने की मांग की है.
दोनों सांसदों ने कहा कि कांग्रेस सरकार द्वारा समय रहते कार्रवाई नहीं किये जाने के चलते यह त्रासदी तो होने ही वाली थी.
ढुलो ने कहा, 'यदि मुख्यमंत्री ने समय रहते कार्रवाई की होती तो जहरीली शराब कांड नहीं होता...हम 2017 से यह मुद्दा उठा रहे हैं.' उन्होंने आरोप लगाया कि लॉकडाउन के दौरान अवैध शराब की धड़ल्ले से अंतरराज्यीय तस्करी हुई.
दोनों नेताओं ने कहा कि वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलेंगे और उसके बाद यह मुद्दा प्रधानमंत्री तथा केंद्रीय गृह मंत्री के समक्ष उठाएंगे.
बाजवा ने कहा, 'लोगों की मौत होने का मुद्दा हम संसद में भी उठाएंगे.' उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री या पुलिस प्रमुख या मुख्य सचिव को उन इलाकों का दौरा करना चाहिए , जहां जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत हुई.
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उन्होंने राज्यपाल को सौंपे पत्र में कहा, 'हमने यह मुद्दा उठाया है क्योंकि यह राज्य में प्रशासनिक मशीनरी की स्पष्ट नाकामी है...खासतौर पर लॉकडाउन के दौरान पंजाब से अन्य राज्यों को शराब की धड़ल्ले से तस्करी हुई है. नकली शराब समूचे राज्य में बन रही है और बेची जा रही है. इसका उत्पादन और वितरण आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के बगैर नहीं हो सकता.'
उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री और उनकी टीम ने अपने समक्ष यह मुद्दा उठाये जाने पर उसे नजरअंदाज कर दिया.
कांग्रेस नेताओं ने राज्यपाल से अनुरोध किया, '...पंजाब में शराब के उत्पादन और वितरण की हम आपसे भारत सरकार को सीबीआई और ईडी से जांच कराने की सिफारिश करने का अनुरोध करते हैं. '
इस बीच, गुरदासपुर स्थित बटाला में जहरीली शराब पीने से एक और व्यक्ति की मौत के साथ ही राज्य में इस त्रासदी में मरने वालों की संख्या बढ़कर 105 हो गई है. अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी.
पिछले सप्ताह बुधवार शाम से जारी इस त्रासदी में अब तक तरनतारन जिले में सबसे अधिक 80 लोगों की मौत हुई है. वहीं, गुरदासपुर के बटाला में 13 और अमृतसर में 12 लोगों की जान गई है.