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106 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी गोवर्धन लाल बोले- मैं आज भी राष्ट्र के लिए समर्पण को तैयार

उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में गांधी जी के सत्याग्रह और स्वतंत्रता की लड़ाई में साथ देने वाले स्वतंत्रता सेनानी गोवर्धन लाल कनौजिया में अब भी वही जज्बा कायम है और वह आज भी राष्ट्र के लिए समर्पण करने को तैयार हैं.

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106 साल के स्वतंत्रता सेनानी गोवर्धन लाल
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Published : Jan 26, 2020, 4:28 PM IST

Updated : Feb 25, 2020, 4:49 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में आज भी महात्मा गांधी के सत्याग्रह और स्वतंत्रता की लड़ाई में साथ देने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गोवर्धन लाल कनौजिया मौजूद हैं. उनकी उम्र करीब 106 साल हो चुकी है, लेकिन उनका राष्ट्र के प्रति जज्बा आज भी उसी तरह कायम है, जब उन्होंने गांधीजी के साथ स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते हुए देश को आजादी दिलाई थी. उनका शरीर भले ही बूढ़ा हो गया हो, लेकिन उनका मन अब भी जवान है और वह आज भी राष्ट्र के लिए समर्पण को तैयार हैं.

गोवर्धन लाल के हौसले आज भी बुलंद हैं
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गोवर्धन लाल कनौजिया अब 106 वर्ष की उम्र पूरी कर चुके हैं. उनके हौसले आज भी बुलंद है और आजादी की लड़ाई में जो जज्बा उन्होंने दिखाया था, उसी को मन में लिए राष्ट्र समर्पण की भावना से जीवन जी रहे हैं. उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को नीचा दिखाने के लिए जो भी कार्य किए, वे देश की आजादी के लिए काफी महत्वपूर्ण थे.

स्वतंत्रता सेनानी गोवर्धन लाल से बातचीत.

पढ़ें- जॉर्ज, जेटली व सुषमा सहित सात को पद्म विभूषण, 16 पद्म भूषण, 118 को पद्म श्री

अंग्रेजी हुकूमत का था बोलबाला
गांधी जी के साथ 31 सितंबर 1929 को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गोवर्धन लाल कनौजिया ने प्रण लिया था कि वह अपने जीवन को देशहित में लगाएंगे, जिसके बाद से लगातार सन् 30, 32, 39, 40 के दौरान स्वतंत्रता संग्राम के समय की उनकी कहानी आज भी लोगों के दिलों में है. उन्होंने बताया कि उस समय अंग्रेजी हुकूमत से लोग बहुत डरते थे. आलम यह था कि अगर एक चौकीदार गांव में आ जाता था तो लोग घरों में छिप जाते थे.

अंग्रेजी हुकूमत में भी दिलेरी का किया काम
13 अगस्त 1942 को होने वाली मीटिंग को लेकर अंग्रेज बहुत सतर्क हो गए थे. तब गोवर्धन लाल ने कन्नौज तहसील में आग लगा दी, जिसके बाद अंग्रेजों का ध्यान भटक गया. इसी बीच उन्होंने तिर्वां में एक दारोगा की वर्दी उन्होंने फाड़ दी और उसकी रिवाल्वर छीनकर उसे मरणासन्न कर छोड़ दिया.

पढ़ें- कैप्टन तान्या शेरगिल ने राजपथ पर पुरुष दस्ते का नेतृत्व कर दिखाई नारी शक्ति

गांधी जी के नारे की गूंज मुंबई से कन्नौज तक पहुंची थी
वयोवृद्ध गोवर्धन लाल ने बताया कि वह अगस्त 1942 में गांधी जी के साथ रहे और 1942 के आंदोलन में जेल भी गए. 9 अगस्त 1942 की रात को जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने मुंबई से 'करो या मरो' का नारा दिया, तो उनका फरमान कन्नौज के तिर्वां तक पहुंचा था. इस पर गोवर्धन लाल भी 'जेल भरो आंदोलन' का हिस्सा बनकर अंग्रेजी हुकूमत में जेल गए थे.

सत्याग्रह आंदोलन में दिया था गांधी जी का साथ
कन्नौज जिले के तिर्वां के रहने वाले गोवर्धन लाल ने बताया, 'सन् 30, 32, 39, 40 और 42 तक मैं सभी कार्यक्रमों में गांधीजी के साथ रहा और आजीवन कारावास की सजा प्राप्त की. मैं आज जीवित हूं और मैं अब भी राष्ट्र के प्रति नतमस्तक होकर सदैव के लिए अपना जीवन दे रहा हूं.'

'आज भी मेरा मन राष्ट्र के प्रति समर्पित'
गोवर्धन लाल ने कहा, 'भले ही मैं 106 वर्ष का हो गया हूं, फिर भी मेरे अंदर लालसा यही है कि मैं अपनी उम्र को देखते हुए आज आपके सामने एक नौजवान की तरह अपना जीवन व्यतीत कर रहा हूं. मैं नहीं समझता कि मैं 106 वर्ष का हूं. आज भी मेरा मन राष्ट्र के प्रति लगा हुआ है और मैं राष्ट्र के लिए अपने आपको दिए बैठा हूं.'

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में आज भी महात्मा गांधी के सत्याग्रह और स्वतंत्रता की लड़ाई में साथ देने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गोवर्धन लाल कनौजिया मौजूद हैं. उनकी उम्र करीब 106 साल हो चुकी है, लेकिन उनका राष्ट्र के प्रति जज्बा आज भी उसी तरह कायम है, जब उन्होंने गांधीजी के साथ स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते हुए देश को आजादी दिलाई थी. उनका शरीर भले ही बूढ़ा हो गया हो, लेकिन उनका मन अब भी जवान है और वह आज भी राष्ट्र के लिए समर्पण को तैयार हैं.

गोवर्धन लाल के हौसले आज भी बुलंद हैं
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गोवर्धन लाल कनौजिया अब 106 वर्ष की उम्र पूरी कर चुके हैं. उनके हौसले आज भी बुलंद है और आजादी की लड़ाई में जो जज्बा उन्होंने दिखाया था, उसी को मन में लिए राष्ट्र समर्पण की भावना से जीवन जी रहे हैं. उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को नीचा दिखाने के लिए जो भी कार्य किए, वे देश की आजादी के लिए काफी महत्वपूर्ण थे.

स्वतंत्रता सेनानी गोवर्धन लाल से बातचीत.

पढ़ें- जॉर्ज, जेटली व सुषमा सहित सात को पद्म विभूषण, 16 पद्म भूषण, 118 को पद्म श्री

अंग्रेजी हुकूमत का था बोलबाला
गांधी जी के साथ 31 सितंबर 1929 को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गोवर्धन लाल कनौजिया ने प्रण लिया था कि वह अपने जीवन को देशहित में लगाएंगे, जिसके बाद से लगातार सन् 30, 32, 39, 40 के दौरान स्वतंत्रता संग्राम के समय की उनकी कहानी आज भी लोगों के दिलों में है. उन्होंने बताया कि उस समय अंग्रेजी हुकूमत से लोग बहुत डरते थे. आलम यह था कि अगर एक चौकीदार गांव में आ जाता था तो लोग घरों में छिप जाते थे.

अंग्रेजी हुकूमत में भी दिलेरी का किया काम
13 अगस्त 1942 को होने वाली मीटिंग को लेकर अंग्रेज बहुत सतर्क हो गए थे. तब गोवर्धन लाल ने कन्नौज तहसील में आग लगा दी, जिसके बाद अंग्रेजों का ध्यान भटक गया. इसी बीच उन्होंने तिर्वां में एक दारोगा की वर्दी उन्होंने फाड़ दी और उसकी रिवाल्वर छीनकर उसे मरणासन्न कर छोड़ दिया.

पढ़ें- कैप्टन तान्या शेरगिल ने राजपथ पर पुरुष दस्ते का नेतृत्व कर दिखाई नारी शक्ति

गांधी जी के नारे की गूंज मुंबई से कन्नौज तक पहुंची थी
वयोवृद्ध गोवर्धन लाल ने बताया कि वह अगस्त 1942 में गांधी जी के साथ रहे और 1942 के आंदोलन में जेल भी गए. 9 अगस्त 1942 की रात को जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने मुंबई से 'करो या मरो' का नारा दिया, तो उनका फरमान कन्नौज के तिर्वां तक पहुंचा था. इस पर गोवर्धन लाल भी 'जेल भरो आंदोलन' का हिस्सा बनकर अंग्रेजी हुकूमत में जेल गए थे.

सत्याग्रह आंदोलन में दिया था गांधी जी का साथ
कन्नौज जिले के तिर्वां के रहने वाले गोवर्धन लाल ने बताया, 'सन् 30, 32, 39, 40 और 42 तक मैं सभी कार्यक्रमों में गांधीजी के साथ रहा और आजीवन कारावास की सजा प्राप्त की. मैं आज जीवित हूं और मैं अब भी राष्ट्र के प्रति नतमस्तक होकर सदैव के लिए अपना जीवन दे रहा हूं.'

'आज भी मेरा मन राष्ट्र के प्रति समर्पित'
गोवर्धन लाल ने कहा, 'भले ही मैं 106 वर्ष का हो गया हूं, फिर भी मेरे अंदर लालसा यही है कि मैं अपनी उम्र को देखते हुए आज आपके सामने एक नौजवान की तरह अपना जीवन व्यतीत कर रहा हूं. मैं नहीं समझता कि मैं 106 वर्ष का हूं. आज भी मेरा मन राष्ट्र के प्रति लगा हुआ है और मैं राष्ट्र के लिए अपने आपको दिए बैठा हूं.'

Intro:26 जनवरी स्पेशल
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कन्नौज : 106 साल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ने गांधी जी के साथ किया था यह काम

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उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में आज भी गांधी जी का सत्याग्रह और स्वतंत्रता की लड़ाई में साथ देने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गोवर्धन लाल कनौजिया मौजूद हैं । इस समय उनकी उम्र करीब 106 साल की हो चुकी है, लेकिन उनका राष्ट्र के प्रति जो जज्बा है, वह आज भी उसी तरह से कायम है, जो गांधीजी के समय में था । जब उन्होंने गांधीजी के साथ स्वतंत्रता की लड़ाई लड़कर देश को आजादी दिलाई थी। शरीर भले ही उनका बूढ़ा हो गया हो लेकिन उनका मन आज भी जवान है और वह आज भी राष्ट्र के लिए अपने को समर्पण करने को तैयार हैं। उनका कहना है कि यह जीवन राष्ट्र के लिए ही समर्पण है । आइए देखते हैं कन्नौज से यह स्पेशल रिपोर्ट।


Body:कन्नौज में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गोवर्धन लाल कनौजिया अब 106 वर्ष की उम्र पूरी कर चुके हैं । उनके हौसले आज भी बुलंद है और आज भी आजादी की लड़ाई में जो जज्बा उन्होंने दिखाया था वह जज्बा मन में लिए राष्ट्र को समर्पण की भावना से जीवन जी रहे हैं । उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को नीचा दिखाने के लिए जो भी कार्य किए वह देश की आजादी के लिए महत्वपूर्ण थे, सन 30 से गांधी जी के साथ 31 सितंबर सन 29 को यह व्रत ले लिया था कि वह अपने जीवन को देश के हित में लगाएंगे । जिसके बाद से लगातार सन 30, 32, 39, 40, उनकी स्वतंत्रता के समय की कहानी आज भी लोगों के दिलों में बैठी हुई है उन्होंने बताया कि उस समय अंग्रेजी हुकूमत से लोग बहुत डरते थे, अगर एक चौकीदार गांव में आ जाता था तो लोग घरों में छिप जाते थे।

अंग्रेजी हुकूमत में भी दिलेरी का किया काम

13 अगस्त 1942 को होने वाली मीटिंग को लेकर अंग्रेज बहुत सतर्क हो गए थे तब उन्होंने एक ऐसा खेल खेला और कन्नौज तहसील में आग लगा दी जिसके बाद अंग्रेजों का ध्यान उधर से भटक गया और तिर्वा में एक दरोगा की वर्दी उन्होंने फार दी और उसकी रिवाल्वर छीन कर उसको मरणासन्न कर छोड़ दिया।


Conclusion:गांधी जी के नारे की गूंज मुंबई से पहुंची थी कन्नौज तक

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गोवर्धन लाल कनौजिया ने बताया कि वह अगस्त 1942 में गांधी जी के साथ रहे और वह 1942 के आंदोलन में जेल भी गए हैं । 9 अगस्त 1942 की रात को जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने मुंबई से करो या मरो का नारा दिया, तो उसका फरमान कन्नौज के तिर्वा तक पहुंचा था। जिस पर उन्होंने भी जेल भरो आंदोलन का हिस्सा बनकर अंग्रेजी हुकूमत में जेल गए थे।


सत्याग्रह में गांधी जी का साथ देने वाले आज भी हमारे बीच हैं मौजूद

आजादी की लड़ाई के फ्रीडम फाइटर गोवर्धन लाल कनौजिया आज भी हमारे बीच में मौजूद हैं । जो कन्नौज जिले के तिर्वा क्षेत्र के रहने वाले हैं और इनकी उम्र करीब 106 वर्ष की हो चुकी है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गोवर्धन लाल कनौजिया का कहना है कि मैंने अंग्रेजी हुकूमत को नीचा दिखाने के लिए जो भी कार्य किए सन् 30 से गांधी जी के आगमन के बाद 31 सितंबर सन 29 को यह व्रत ले लिया था कि मैं अपने जीवन को देश के हित में लगाएंगे और बराबर लगातार सन 30, 32, 39, 40 और 42 तक हमने सभी कार्यक्रमों में गांधीजी के साथ रहा और आजीवन कारावास की सजा प्राप्त की। मैं आज जीवित हूं और मैं अभी भी राष्ट्र के प्रति नतमस्तक करते हुए हमेशा के लिए अपना जीवन दे रहा हूं।


राष्ट्र के लिए अपने को दिया बैठा हूं : गोवर्धन लाल कनौजिया

उनका कहना है कि यद्यपि मैं 106 वर्ष का हो गया हूं, परंतु फिर भी मेरे अंदर लालसा यही है कि मैं अपनी उम्र को देखते हुए आज आपके सामने एक लड़के की तरह से अपना जीवन व्यतीत कर रहा हूं । मैं नहीं समझता हूं कि मैं 106 वर्ष का हूं । आज भी हमारा मन हमेशा राष्ट्र के प्रति जो कुछ भी लगाने के लिए हो रहा है । मैं राष्ट्र के लिए अपने को दिए बैठा हूं।

बाइट - गोवर्धन लाल कनौजिया - स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, कन्नौज
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कन्नौज से पंकज श्रीवास्तव
09415168969
Last Updated : Feb 25, 2020, 4:49 PM IST
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