हल्द्वानी : जेल, जिसका नाम सुनते ही जहन में काल कोठरियां, अपराधी, पुलिस का चेहरा घूमने लगता है. लोग इसका नाम सुनते ही कांपने लगते हैं लेकिन, बदलते दौर के साथ इसके रूप में भी बदलाव होने लगा है. जेल की कोठरियां अब शिक्षा के प्रकाश से रोशन हो रही हैं. कैदी किताबें पढ़कर और पढ़ाकर साक्षर होने के साथ ही शिक्षित भी हो रहे हैं. ऐसा ही नजारा हल्द्वानी जेल में देखने को मिल रहा है. यहां जेल में बंद कैदी अपने ही साथियों को पढ़ाकर उनकी दुनिया को बदल रहे हैं. अब तक इस जेल के कई कैदी यहां की गई पढ़ाई और ओपन विद्यालय के माध्यम से इंटर और हाई स्कूल की परीक्षा पास कर चुके हैं.
कुमाऊं की सबसे अधिक कैदी संख्या वाली हल्द्वानी जेल में जेल प्रशासन कैदियों के अच्छे आचरण के लिए लिए समय-समय पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करता है. इन कार्यक्रमों से प्रभावित होकर कैदी रिहा होने के बाद समाज की मुख्यधारा से जुड़ते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए हल्द्वानी जेल प्रशासन जेल में विद्यालय का संचालन करता है. जिससे कि जेल में बंद कैदी साक्षर होकर अपना भविष्य संवार सकें.
जेल प्रशासन द्वारा विद्यालय का संचालन
हल्द्वानी जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक मनोज आर्य बताते हैं कि 'कैदियों के लिए जेल प्रशासन द्वारा एक विद्यालय का संचालन किया जाता है. जिसमें बंदी शिक्षकों द्वारा कैदियों को पढ़ाने का काम किया जाता है.' उन्होंने बताया कि 'ऐसे कई कैदी हैं, जो शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. जो जाने-अनजाने जेल में बंद हैं.'
कई भाषाओं में दी जा रही शिक्षा
हल्द्वानी जेल में वर्तमान में 10 कैदी शिक्षक हैं, जो कैदियों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि 'इन कैदी शिक्षकों के द्वारा हिंदी, गणित, इंग्लिश के अलावा उर्दू, बांग्ला और पंजाबी भाषा पढ़ाई जाती है. जेल विद्यालय में कैदियों की पढ़ाई के साथ ही अटेंडेंस और एग्जाम टेस्ट भी लिये जाते हैं.'
20 कैदियों को ओपन स्कूल
वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने बताया कि 'अभी तक करीब 20 कैदियों को ओपन स्कूल के माध्यम से एग्जाम भी दिलाया गया है, जो हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर चुके हैं.' अधीक्षक मनोज आर्य ने बताया कि 'जेल में संचालित होने वाले स्कूल प्रबंधक का काम कैदी शिक्षक शंकर शर्मा करते हैं, पवन और राजेंद्र पटवारी, नावेद खान के अलावा कई अन्य टीचर हैं, जो अलग-अलग विषयों की पढ़ाई कराते हैं. आनंद नंदी (बांग्ला) टीचर हैं, जबकि जगतार सिंह (पंजाबी) टीचर हैं.'
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12 से तीन बजे तक लगती है क्लास
वहीं, जेल में बंदी शिक्षकों की मानें तो दोपहर 12 बजे से लेकर शाम तीन बजे तक कक्षाएं संचालित की जाती हैं. पढ़ाई के लिए पुस्तकें जेल प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई जाती हैं.
शिक्षा से जीवन संवार रहे कैदी
आम तौर पर जहां देश दुनिया की जेलों से कैदियों की आपसी झड़प, हिंसा और न जाने क्या-क्या खबरें सामने आती हैं, वहीं ऐसे में हल्द्वानी जेल से सामने आने वाली तस्वीर वाकई मन को सुकून देने वाली है, यहां बाहरी दुनिया की तमाम बुराइयों को छोड़कर सभी कैदी एक दूसरे का साथ देते हुए शिक्षा से जीवन संवार रहे हैं.