हैदराबाद : भारत बायोटेक ने शनिवार को कहा कि परीक्षणों से संकेत मिलते हैं कि उसका टीका कोवैक्सीन (Covaxin) कोविड-19 के खिलाफ बूस्टर खुराक के तौर पर सुरक्षित है. कंपनी ने कहा कि आकलन बताते हैं कि कोवैक्सीन (बीबीवी152) की बूस्टर खुराक सुरक्षित है और प्रतिरक्षा को बनाए रखने के लिए जरूरी हो सकती है.
भारत बायोटेक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कृष्ण एला ने कहा कि परीक्षणों के परिणाम कोवैक्सीन को बूस्टर खुराक के तौर पर मुहैया कराने के हमारे लक्ष्य को मजबूत आधार प्रदान करते हैं. वयस्कों, बच्चों को दो प्राथमिक खुराक और बूस्टर खुराकों के साथ ही कोविड-19 के खिलाफ वैश्विक टीके का निर्माण करने का हमारा लक्ष्य पूरा हो गया है.
कंपनी ने कहा, 'सामने आ रहे आंकडों के आधार पर भारत बायोटेक का विश्वास है कि सुरक्षा के उच्चतम स्तर को बनाए रखने के लिए तीसरी खुराक लाभकारी होगी.'
रविवार को आईसीएमआर ने भी ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है.
भारत बायोटेक ने इस साल 60 से अधिक देशों को कोविड-19 की वैक्सीन 'कोवैक्सीन' निर्यात करने की योजना (Bharat Bio Tech to export Covaxin) बनाई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) पहले ही भारत बायोटेक की वैक्सीन को इमरजेंसी यूज की सूची (ईयूएल) में डाल रखा है. डब्लूएचओ की मंजूरी मिलने से पहले भी कई देशों ने कोवैक्सीन के आयात को मंजूरी दी थी.
कंपनी ने बताया कि उसके सामने पहली प्राथमिकता पहले से मिले ऑर्डर को पूरा करने की है. कंपनी 2022 की शुरुआत से ही अपना काम शुरू कर चुकी है. कंपनी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक पहुंच बनाने और लाभ कमाने के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनी 'ओक्यूजेन इंक' से समझौता किया है. कंपनी का कहना है कि उसे अभी तक अमेरिका और कनाडा से मंजूरी नहीं मिली है. लेकिन कंपनी उम्मीद करती है कि उसे इन दोनों देशों से भी बहुत जल्द मंजूरी मिल जाएगी.
भारत बायोटेक इंट्रानैसल वैक्सीन पेश करने की भी तैयारी कर रहा है. इसने तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षणों के संचालन के लिए डीजीसीआई से अनुमोदन मांगा है. कंपनी का लक्ष्य परीक्षण पूरा कर जल्द से जल्द वैक्सीन को सबके लिए उपलब्ध करवाना है. इंट्रानैसल जैब का उत्पादन और विपणन करना आसान है. उम्मीद की जा रही है कि इसे एक बूस्टर खुराक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. कंपनी नेज़ल कोविड -19 वैक्सीन की 100 करोड़ खुराक का उत्पादन करने की तैयारी कर रही है. इसके अलावा भारत बायोटेक हैजा, जीका वायरस, टाइफाइड और रोटावायरस के लिए टीके विकसित करने की प्रक्रिया में है.
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