अलवर (राजस्थान): मध्यप्रदेश के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, राजस्थान के नेता सचिन पायलट और उत्तर प्रदेश के नेता जितिन प्रसाद दोस्त हैं. इन तीनों की तिकड़ी कांग्रेस पार्टी में चर्चाओं में रहती थी. यह पार्टी के युवा चेहरों में शामिल थे. इन तीनों में से ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा ज्वाइन कर ली. इन सबके बीच कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है. अब उत्तर प्रदेश की सियासत में जितिन प्रसाद ने भाजपा का दामन थाम लिया है.
ऐसे में कांग्रेस से नाराज चल रहे राजस्थान के बड़े नाम सचिन पायलट पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. एक साल पहले भी सचिन पायलट ने पार्टी से बगावत की थी. उस समय सचिन पायलट के भाजपा में शामिल होने की चर्चाएं तेज थीं, लेकिन पार्टी आलाकमान के प्रयासों के चलते मामला लंबे समय बाद शांत हुआ. इस दौरान राजस्थान के विधायक लंबे समय तक बाड़ेबंदी में रहे. लंबी खींचतान के बीच सचिन पायलट गुट के विधायक और मंत्रियों को कुछ को हटाया गया तो कुछ ने खुद ही इस्तीफा दिया. उसके बाद से लगातार पार्टी में खींचतान का दौर जारी है. सभी एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. सचिन पायलट गुट के नेता तो गहलोत सरकार पर कई गंभीर आरोप लगा चुके हैं. ऐसे में राजस्थान की सियासी गलियारों में फिर से एक बार हलचल नजर आने लगी है और कई तरह के विवादित मामले भी सामने आ रहे हैं.
सचिन पायलट की बातों का समर्थन...
इन सबके बीच राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के करीबी व पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने सचिन पायलट की बातों का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि अगर सचिन पायलट ने पार्टी आलाकमान के सामने कुछ मांगें रखी हैं तो उनको पूरा करना चाहिए. कांग्रेस पार्टी में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है. उन्होंने सोच समझकर यह मांगें रखी होंगी.
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जितेंद्र सिंह ने कहा कि सचिन पायलट ने मुझे नहीं बताया है. कोई मुख्यमंत्री बनने-बनाने की बात तो है नहीं, लेकिन उन्होंने अपने विधायक व नेताओं के लिए जरूर कुछ मुद्दे रखे होंगे. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सचिन पायलट उनके काफी करीबी हैं. उनके पारिवारिक संबंध हैं. सचिन पायलट के पिता भी उनके घर आते थे, उनकी मां के चुनाव प्रचार में शामिल होते थे.
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ऐसे में जितेंद्र सिंह के बयान के बाद प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से भूचाल आता नजर आ रहा है. बयानबाजी का दौर शुरू हो चुका है. जितेंद्र सिंह के बयान के बाद भाजपा में भी हलचल नजर आने लगी है. ऐसे में देखना होगा कि प्रदेश की राजनीति अब किस ओर जाती है व सरकार और पार्टी में क्या बदलाव देखने को मिलते हैं.