बेंगलुरु : सन 2013 में कॉर्पोरेशन बैंक की कर्मचारी ज्योति उदय पर कथित रूप से हमला करने वाले मधुकर रेड्डी को घटना के चार साल बाद गिरफ्तार किया गया था. आज उसे सेशन कोर्ट ने 12 साल की सजा सुनायी. पीड़िता ज्योति उदय ने ईटीवी भारत से कहा, मैं कोर्ट के इस फैसले से काफी खुश हूं. न्यायपालिका और पुलिस पर मेरा विश्वास अब और बढ़ गया हैै, हमारी पुलिस ने अभियुक्त मधुकर रेड्डी को गिरफ्तार किया. हालांकि अदालत इससे अधिक समय की सजा सुना सकती है.
तीन साल तक चली लंबी सुनवाई के बाद बेंगलुरु सिविल और सेशंस कोर्ट ने रेड्डी को मामले में दोषी करार दिया है. न्यायाधीश राजेश्वरा आज दोपहर को दोषी करार रेड्डी को सजा सुनाया.
बता दें कि 19 नवंबर 2013 को शहर के केंद्र में बीबीएमपी मुख्यालय के पास एनआर स्क्वायर के कॉर्पोरेशन बैंक के एटीएम में बैंक कर्मचारी ज्योति उदय की हत्या कर दी थी. भले ही 2013 के दौरान शहर में 217 हत्याएं हुई थीं, लेकिन एटीएम कांड ने सबका ध्यान आकर्षित किया क्योंकि ज्योति की हत्या की भयानक सीसीटीवी फुटेज को दुनिया भर में टीवी स्क्रीन पर दिखाया गया था.
पुलिस ने मामले को दर्ज कर लगभग चार साल तक आरोपी की तलाश करती रही. पुलिस ने आरोपी को ढ़ुंढने के लिए पडोसी राज्य तमिलनाडु, आंध्र और तेलंगाना भी गई थी. बाद में उन्होंने आरोपी का नाम और पहचान में असफल रहने के बाद अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल किया था. यहां तक कि पुलिस ने घोषणा किया की जो कोई भी अपराधी की सूचना देगा वो 12 लाख रुपये इनाम का हकदार होगा, इसके बावजूद भी पुलिस का हाथ खाली ही रहा.
अंत में, मधुकर रेड्डी को आंध्र प्रदेश के मदनपल्ली पुलिस स्टेशन ने फरवरी 2017 के अंतिम सप्ताह में गिरफ्तार किया. मधुकर, जो आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में तीन हत्या के केस में नामजद था और वह हर पाँच महीने में अपना ठिकाना बदलता रहता था. रेड्डी, जो एक पेशेवर अपराधी है, को 2017 में कर्नाटक पुलिस ने हिरासत में लिया और बेंगलुरु की अदालत में पेश किया गया।
यह घटना उस समय हुई थी, जब ज्योति के एटीएम के अंदर जाने के बाद हमलावर भी एटीएम में घुस गया और शटर को नीचे खींच लिया और ज्योति को एटीएम से पैसे निकाल कर खुद को सौंपने का आदेश दिया. जब ज्योति ने हमलावर की बात मानने से साफ इनकार कर दिया, तो रेड्डी ने उसपर धारदार हथियार से हमला कर दिया और मोबाइल भी छीन लिया. उसके बाद वह शटर गिराकर चला गया.
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बंद एटीएम से खून निकलता देख दो स्कूली छात्रों ने पुलिस को इसकी सूचना दी थी. हमले के बाद, ज्योति का इलाज काफी लंबा चला था और 87 दिनों तक वह काम पर नहीं गई, क्योंकि हमले के कारण उसकी खोपड़ी के अंदर गंभीर चोट आयी थी. मस्तिष्क में घुसे हड्डी के टुकड़े को हटाने और टुटी खोपड़ी की हड्डियों को रीसेट करने के लिए ज्योति को एक प्रमुख न्यूरोसर्जिकल ऑपरेशन से भी गुजरना पड़ा था.