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बेंगलुरु की अदालत ने बलात्कार के आरोपी लिंगायत संत के खिलाफ बॉडी वारंट जारी किया

बेंगलुरु की एक कोर्ट ने बलात्कार के आरोपी लिंगायत संत शिवमूर्ति मुरुघा के खिलाफ अदालत के अपमान के मामले में बॉडी वारंट जारी किया है.

body warrant against Lingayat seer
लिंगायत संत के खिलाफ बॉडी वारंट जारी
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Published : Jan 6, 2023, 11:00 PM IST

बेंगलुरु : बेंगलुरु की एक अदालत ने शुक्रवार को बलात्कार के आरोपी लिंगायत संत शिवमूर्ति मुरुघा के खिलाफ अदालत का अपमान करने के लिए बॉडी वारंट जारी किया. अदालत ने चित्रदुर्ग के पुलिस अधीक्षक के. परशुराम को 9 फरवरी को आरोपी संत को अदालत में पेश करने का निर्देश दिया है. बॉडी वारंट, जिसे बेंच वारंट या बॉडी अटैचमेंट का रिट भी कहा जाता है, न्यायाधीश द्वारा सिविल या आपराधिक मामले में किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी को अधिकृत करने के लिए जारी किया जाता है. इस तरह का वारंट तब जारी किया जाता है जब कोई व्यक्ति किसी आदेश का पालन नहीं करता है, जिसमें अदालती कार्यवाही के लिए उपस्थित नहीं होना शामिल है.

बेंगलुरू में टिप्पाशेट्टी मठ से संबंधित संपत्ति के दुरुपयोग के संबंध में आरोपी संत अदालत की कार्यवाही में शामिल नहीं हुए. उनके खिलाफ 2009 में मामला दर्ज किया गया था. आरोप था कि बेंगलुरु के बाहरी इलाके में स्थित 8 करोड़ रुपये की संपत्ति को महज 49 लाख रुपये में बेच दिया गया. आरोपों में केंगेरी के पास सुलीकेरे में तिप्पाशेट्टी मठ से संबंधित 7.18 एकड़ भूमि को अवैध रूप से बेचना भी शामिल है. उनके खिलाफ धोखाधड़ी और विश्वासघात के आरोप भी लगाए गए हैं.

अदालत द्वारा समन जारी किए जाने के बाद भी कार्यवाही में शामिल नहीं होने के कारण अदालत ने पहले उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. आरोपी संत वर्तमान में पोक्सो अधिनियम और अत्याचार अधिनियम के तहत आरोपों का सामना करते हुए न्यायिक हिरासत में है. उसे मठ के आवासीय क्वार्टर में रहने वाली 15 और 16 साल की दो नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

बेंगलुरु : बेंगलुरु की एक अदालत ने शुक्रवार को बलात्कार के आरोपी लिंगायत संत शिवमूर्ति मुरुघा के खिलाफ अदालत का अपमान करने के लिए बॉडी वारंट जारी किया. अदालत ने चित्रदुर्ग के पुलिस अधीक्षक के. परशुराम को 9 फरवरी को आरोपी संत को अदालत में पेश करने का निर्देश दिया है. बॉडी वारंट, जिसे बेंच वारंट या बॉडी अटैचमेंट का रिट भी कहा जाता है, न्यायाधीश द्वारा सिविल या आपराधिक मामले में किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी को अधिकृत करने के लिए जारी किया जाता है. इस तरह का वारंट तब जारी किया जाता है जब कोई व्यक्ति किसी आदेश का पालन नहीं करता है, जिसमें अदालती कार्यवाही के लिए उपस्थित नहीं होना शामिल है.

बेंगलुरू में टिप्पाशेट्टी मठ से संबंधित संपत्ति के दुरुपयोग के संबंध में आरोपी संत अदालत की कार्यवाही में शामिल नहीं हुए. उनके खिलाफ 2009 में मामला दर्ज किया गया था. आरोप था कि बेंगलुरु के बाहरी इलाके में स्थित 8 करोड़ रुपये की संपत्ति को महज 49 लाख रुपये में बेच दिया गया. आरोपों में केंगेरी के पास सुलीकेरे में तिप्पाशेट्टी मठ से संबंधित 7.18 एकड़ भूमि को अवैध रूप से बेचना भी शामिल है. उनके खिलाफ धोखाधड़ी और विश्वासघात के आरोप भी लगाए गए हैं.

अदालत द्वारा समन जारी किए जाने के बाद भी कार्यवाही में शामिल नहीं होने के कारण अदालत ने पहले उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. आरोपी संत वर्तमान में पोक्सो अधिनियम और अत्याचार अधिनियम के तहत आरोपों का सामना करते हुए न्यायिक हिरासत में है. उसे मठ के आवासीय क्वार्टर में रहने वाली 15 और 16 साल की दो नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

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(आईएएनएस)

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