नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता सुनील फर्नांडिस ने शुक्रवार को न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की. उन्होंने शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि अभियुक्तों को सुरक्षा की आवश्यकता है, अन्यथा एजेंसियां अपनी जांच आगे बढ़ाएंगी.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आपत्ति जताई कि सीबीआई या ईडी जांच के आदेश के खिलाफ कोई राज्य कैसे आ सकता है और याचिका दायर कर सकता है. उन्होंने कहा कि कोई आरोपी आया होगा तो समझा जा सकता है. अदालत ने कहा कि इस मामले की सुनवाई तीन जुलाई को अवकाश के बाद होगी और वकील को इसका फिर से उल्लेख करने को कहा. याचिकाकर्ता पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा पारित 22 मई, 2023 के अंतरिम आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें पीठ ने न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय द्वारा पारित 21 अप्रैल के आदेश पर रोक लगाने से अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था. जिसे बाद में न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा द्वारा पारित 12 मई के निर्णय द्वारा संशोधित किया गया था.
याचिका में कहा गया है कि कथित नगर पालिका भर्ती घोटाले से संबंधित सीबीआई और ईडी द्वारा की गई जांच पर रोक लगाने में विफल रहने के कारण विवादित आदेश इस अदालत द्वारा मामलों की श्रेणी में निर्धारित कानून की अनदेखी करने के लिए भी आगे बढ़ा है.
सीबीआई और ईडी द्वारा जांच की अनुमति देने वाली खंडपीठ द्वारा पारित विवादित आदेश, इस न्यायालय द्वारा पारित आदेशों को दंड से मुक्ति दिलाने और राज्य सरकार पर आक्षेप लगाने का एक कमजोर प्रयास है. एक कार्यवाही में, जहां राज्य को किसी भी कथित अपराध की जांच करने का कोई अवसर नहीं दिया गया है, जिससे उनकी शक्तियों का घोर तरीके से उपयोग किया जा सके.
याचिका में कहा गया है, "वास्तव में, खंडपीठ का मानना है कि सीबीआई द्वारा जांच एक प्रारंभिक चरण में है, जिसे अवैधता के आगे के अपराध से बचने के लिए तत्काल प्रभाव से रोका जाना चाहिए." पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा कि खंडपीठ इस बात की सराहना करने में "विफल" रही है कि कानून और व्यवस्था एक राज्य का विषय है, और राज्य पुलिस के पास अपने क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में किए गए किसी भी संज्ञेय अपराध की जांच करने की "प्राथमिकता" है.
आगे कहा गया है कि यद्यपि संवैधानिक न्यायालयों को सीबीआई को जांच स्थानांतरित करने का अधिकार है, लेकिन ऐसी शक्तियों का संयम से और केवल दुर्लभ मामलों में ही प्रयोग किया जाना चाहिए, जो कल्पना के किसी भी खंड द्वारा हाथ में नहीं है. पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा, "इसलिए, विभाग यह मानने में विफल रहा कि इसके विपरीत दिया गया कोई भी निर्देश प्रथम दृष्टया अवैध है और ऐसे निर्देशों के अनुसार सीबीआई और ईडी द्वारा की गई जांच पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए."
(एएनआई)
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