कोलकाता : फर्जी टीकाकरण रैकेट मामले (fake vaccination racket case) में मुख्य आरोपी देबंजन देब (Debanjan Deb) प्रतिभाशाली छात्र होने के बावजूद अपने अकादमिक करियर (academic career) में कुछ खास हासिल नहीं कर सका. जांच अधिकारियों का कहना है कि वह अपना खुद का शिक्षा व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रतिष्ठित निजी क्षेत्र के शिक्षा संस्थानों (education institutions ) का इस्तेमाल करने के लिए दृढ़ था.
महामारी और लॉकडाउन (pandemic and lockdown) का फायदा उठाते हुए और अपनी नकली आईएएस अधिकारी पहचान (fake IAS officer identity) का उपयोग करते हुए, देब ने निजी ऑनलाइन कोचिंग सेंटरों (private online coaching centers) की अपनी श्रृंखला स्थापित करने के लिए विभिन्न निजी संस्थानों (private institutions) के शीर्ष अधिकारियों के साथ बातचीत की थी. हालांकि वह इसमें सफल न हो सके.
जांच प्रक्रिया से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि कोलकाता के दक्षिणी इलाके मदुरदोहो (Madurdoho) में देबंजन के आवास पर तलाशी अभियान (search operation ) चलाने के बाद पुलिस ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज हासिल किए हैं, जो स्पष्ट रूप से आरोपी के इस तरह के इरादों की ओर इशारा करते हैं. जब्त किए गए दस्तावेजों में कई मोबाइल सिम कार्ड, डेबिट कार्ड, कई बैंकों के चेक-बुक और इसी तरह के दस्तावेज शामिल हैं.
शहर और इसके बाहरी इलाकों में कई संस्थान हैं, जो छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं (competitive examinations.) में सफल होने के लिए ट्रेनिंग और शिक्षा दी जाती है. ऐसे कोचिंग सेंटरों से कई सेवानिवृत्त नौकरशाह (retired bureaucrats) और प्रतिष्ठित शिक्षक (coaching center) भी जुड़े हुए हैं.
सूत्रों ने कहा कि देबंजन का सपना ऐसे प्रतिष्ठित प्रशिक्षण संस्थानों के सहयोग से इसी तरह के कोचिंग सेंटरों की अपनी श्रृंखला स्थापित करना था.
इस उद्देश्य के लिए उसने इन संस्थानों के कुछ उच्च अधिकारियों से संपर्क करना भी शुरू कर दिया और इस चर्चा के लिए उसने खुद को एक भारतीय प्रशासनिक सेवा (Indian Administrative Service) अधिकारी के रूप में पेश किया.
देब से पूछताछ और जांच के बाद और नए नए खुलासे होने लगे हैं. एक फर्जी आईएएस अधिकारी और कोलकाता नगर निगम (Kolkata Municipal Corporation) के अधिकारी के रूप में देब के पास शॉर्टकट सफलता की कई योजनाएं थीं.
उसने ईस्टर्न मेट्रोपॉलिटन बाइपास (astern Metropolitan Bypass) से सटी भूमि पर काल्पनिक सरकारी परियोजनाओं (fictitious government projects) की एक योजना भी बनाई थी.
एक जांच अधिकारी ने कहा कि हमें आश्चर्य है कि एक अकेला व्यक्ति एक ही समय में इतनी सारी संदिग्ध योजनाओं की साजिश कैसे रच सकता है.
उन्हें लगता है कि अगर देबंजन की सही समय पर जांच शुरू की होती, तो वह कुछ भी प्रगति नहीं कर सकते थे. उनके पिता जो राज्य के आबकारी विभाग के एक सेवानिवृत्त डिप्टी कलेक्टर (retired deputy collector) हैं, उनको लगभग एक साल पहले पता चल गया था कि उनका बेटा एक फर्जी आईएएस अधिकारी है,
हालांकि,अपने बेटे के प्रति अपने स्नेह के कारण उन्होंने इस बात को छिपा कर रखा. अगर उन्होंने उस समय अपने बेटे को चेतावनी दी होती या पुलिस को सूचित किया होता, तो देबंजन ने जो कुछ भी किया, वह नहीं कर सकता था.
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कोलकाता पुलिस (Kolkata Police ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा देबंजन के पिता वर्तमान में कोविड-19 पॉजिटिव हैं और इसलिए अपने मदुरदोहो स्थित आवास पर होम क्वारंटाइन (home quarantine) में हैं.
पता चला है कि पिछले साल मार्च में बिधाननगर इलेक्ट्रॉनिक कॉम्प्लेक्स (Bidhannagar Electronic Complex ) थाने में देबंजन के खिलाफ मौखिक शिकायत दर्ज कराई गई थी. शिकायत नौकरियों में जालसाजी से संबंधित थी.
कोलकाता पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि हालांकि उस समय उनके खिलाफ कोई ठोस सुराग नहीं था और इसलिए उसे शुरुआती पूछताछ के बाद उन्हें जाने दिया गया था.
पूछताछ के दौरान देब ने स्वीकार किया कि 2020 में उन्होंने कस्बा में एक व्यक्ति अशोक राय ( Ashok Ray) से 65,000 रुपये में एक कार्यालय किराए पर लिया था. इसी ऑफिस से वह अपना फर्जी टीकाकरण रैकेट ( fake vaccination racket) चला रहा था. पुलिस अब अशोक राय के ठिकाने का पता लगाने की कोशिश कर रही है.