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माओवादियों के डर से बीजापुर में वोटरों ने नहीं लगाई वोटिंग की स्याही, लेकिन जमकर किया मतदान - लोकतंत्र के इस महापर्व

Bastar Election बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों में इस बार भी वोटरों को स्याही नहीं लगाने की छूट मिली है. दरअसल माओवादी पहले वोट डालने वालों की पहचान उंगली में लगे स्याही से सकते थे, फिर उस ग्रामीण की उंगली काट देने की धमकी देते थे. मतदान को प्रभावित करने के लिए माओवादियों ने खौफ फैलाने का ये तरीका अपनाया था.चुनाव आयोग ने माओवादियों के खौफ को कम करने और मतदाताओं की पहचान गुप्त रखने के लिए इस बार भी नक्सल प्रभावित केंद्रों पर स्याही नहीं लगाने की छूट दी है.

Bastar Election
बीजापुर में चुनाव
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 7, 2023, 5:01 PM IST

बस्तर: लोकतंत्र के महापर्व को प्रभावित करने के लिए सालों से लाल आतंक नए नए तरीके इस्तेमाल में लाता रहा है. पहले तो नक्सली वोट डालने की वाले की पहचान गांव में जाकर करते थे, और धमकाते थे कि जो भी वोट डालेगा वो उसकी उंगली काट लेंगे. चुनाव आयोग ने इसके बाद ये तय किया कि वो नक्सल प्रभावित मतदान केंद्रों पर वोट डालने वालों के हाथों पर स्याही नहीं लगाएंगे जिससे वोट डालने वाले की पहचान गुप्त रहे. पिछली बार की तरह इस बार भी चुनाव आयोग ने नक्सल प्रभावित जिलों और केंद्रों में ये सुविधा वोटरों की दी. लिहाजा कई गांववालों ने वोट डालने के बाद अपने हाथों पर स्याही नहीं लगवाई.

उंगली पर स्याही लगाने की मनाही: बस्तर के कई ऐसे इलाके हैं जैसे बीजापुर, भैरमगढ़, अबूझमाड़ जहां माओवादियों ने बीते दिनों जमकर उत्पात मचाया था. हत्या की वारदात को अंजाम देकर सनसनी फैलाने की कोशिश की थी. इस बार जो तस्वीरें सामने आ रही हैं उसे देखकर ये साफ लग रहा है कि माओवादियों का खौफ न सिर्फ कम हुआ है बल्कि जिस तरह से वोटर मतदान केंद्रों पर खुशी से पहुंच रहे हैं उसे देखकर चुनाव आयोग जरुर खुश होगा.

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लाल आतंक को तमाचा: लोकतंत्र के इस महापर्व में जिस तरह से गांव के लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं, माओवादियों के लिए ये एक सबक से कम नहीं है. माओवादियों ने चुनाव से पहले जरूर बैनर पोस्टर लगाकार चुनाव मे वोट नहीं देने की धमकी जारी की थी. माओवादियों की ये धमकी बस हवा हवाई रह गई. लोग मतदान केंद्रों पर घंटों अपनी बारी का इंतजार करने के बाद वोट कर घर जा रहे हैं, जो लाल आतंक के गाल पर किसी तमाचे से कम नहीं है.

बस्तर: लोकतंत्र के महापर्व को प्रभावित करने के लिए सालों से लाल आतंक नए नए तरीके इस्तेमाल में लाता रहा है. पहले तो नक्सली वोट डालने की वाले की पहचान गांव में जाकर करते थे, और धमकाते थे कि जो भी वोट डालेगा वो उसकी उंगली काट लेंगे. चुनाव आयोग ने इसके बाद ये तय किया कि वो नक्सल प्रभावित मतदान केंद्रों पर वोट डालने वालों के हाथों पर स्याही नहीं लगाएंगे जिससे वोट डालने वाले की पहचान गुप्त रहे. पिछली बार की तरह इस बार भी चुनाव आयोग ने नक्सल प्रभावित जिलों और केंद्रों में ये सुविधा वोटरों की दी. लिहाजा कई गांववालों ने वोट डालने के बाद अपने हाथों पर स्याही नहीं लगवाई.

उंगली पर स्याही लगाने की मनाही: बस्तर के कई ऐसे इलाके हैं जैसे बीजापुर, भैरमगढ़, अबूझमाड़ जहां माओवादियों ने बीते दिनों जमकर उत्पात मचाया था. हत्या की वारदात को अंजाम देकर सनसनी फैलाने की कोशिश की थी. इस बार जो तस्वीरें सामने आ रही हैं उसे देखकर ये साफ लग रहा है कि माओवादियों का खौफ न सिर्फ कम हुआ है बल्कि जिस तरह से वोटर मतदान केंद्रों पर खुशी से पहुंच रहे हैं उसे देखकर चुनाव आयोग जरुर खुश होगा.

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