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Basant Panchami 2023: ये है बसंत पंचमी का धार्मिक-सामाजिक महत्व, शुभ कार्यों के लिए क्यों है उत्तम दिन

सरस्वती पूजा में अब एक सप्ताह से भी कम समय रह गया है. ऐसे तो विद्या की देवी की पूजा का अपना महत्व है, लेकिन इस दिन को शुभ कार्य के लिए उत्तम माना जाता है. जानें क्या है Basant Panchami significance, इस दिन में खास. पढ़ें पूरी खबर...

Basant Panchami 2023
सरस्वती पूजा
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Published : Jan 20, 2023, 5:24 PM IST

Updated : Jan 20, 2023, 5:33 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय कैलेंडर में 6 ऋतुएं होती हैं. बसंत ऋतु का अपना खास महत्व है. इसलिए इसे 'ऋतुओं का राजा' भी कहा जाता है. ठंड की विदाई के साथ बसंत ऋतु की शुरुआत होती है. बसंत के शुरू होते ही कई फल, फूल, सब्जियां और फसलें तैयार हो जाती है. रंग-बिरंगे फूलों के खिलने का मौसम होता है. मौसमी फूलों के साथ सरसों के पीले फूलों से खेत लहलहा रहे होते हैं. आम के पेड़ों पर बौर (मौर या फूल या मंजर) से लदने लगते हैं. चूंकि बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती का प्राक्ट्य माना जाता है, इसलिए माघ माह की पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है.

अबूझ मुहूर्त के कारण बसंत पंचमी का बढ़ जाता है महत्व
हिंदू धार्मिक मान्याताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन किसी शुभ व मांगलिक कार्य की शरुआत कर सकते हैं. इस दिन मुहूर्त विचार की आवश्यकता नहीं रहती है, इसलिए इसे अबूझ मुहूर्त भी कहते हैं. अबूझ मुहूर्त होने के कारण इस दिन पठन-पाठन के साथ-साथ व्यापारिक कार्य, यात्रा, धार्मिक अनुष्ठान, भू-पूजन, गृह प्रवेश, शादी-विवाह, संतान से जुड़े अनुष्ठान जैसे अनेक शुभ कार्य इस दिन किये जाते हैं. Basant Panchami significance and importance .

Basant Panchami 2023
बसंत पंचमी - कॉन्सेप्ट फोटो

खिचड़ी और पीले चावल का भोग लगाने की है परंपरा
सामान्यतः बसंत पंचमी के अवसर पर मां सरस्वती की पूजा की जाती है. लेकिन कई जगहों पर इस अवसर पर भगवान विष्णु के साथ-साथ कामदेव की भी पूजा की जाती है वसंतोत्सव मनाया जाता है. इस दिन पूजा में खिचड़ी और पीले चावल का भोग लगाने परंपरा है. मां सरस्वती को पीली मिठाई और बुंदिया का भोग लगाया जाता है. इसके अलावा पूजन में बसंत में उगने वाले फल जैसे गाजर, शकरकंद आदि फलों और पीले फूलों के उपयोग की परंपरा है. बसंत पंचमी के अवसर पर मनाया जाने वाला वसंतोत्सव और सरस्वती पूजा से वातावरण में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है.

ये भी पढ़ें-Basant Panchami 2023 : 25 या 26 जनवरी, कब है सरस्वती पूजा, जानें मुहूर्त

नई दिल्ली : भारतीय कैलेंडर में 6 ऋतुएं होती हैं. बसंत ऋतु का अपना खास महत्व है. इसलिए इसे 'ऋतुओं का राजा' भी कहा जाता है. ठंड की विदाई के साथ बसंत ऋतु की शुरुआत होती है. बसंत के शुरू होते ही कई फल, फूल, सब्जियां और फसलें तैयार हो जाती है. रंग-बिरंगे फूलों के खिलने का मौसम होता है. मौसमी फूलों के साथ सरसों के पीले फूलों से खेत लहलहा रहे होते हैं. आम के पेड़ों पर बौर (मौर या फूल या मंजर) से लदने लगते हैं. चूंकि बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती का प्राक्ट्य माना जाता है, इसलिए माघ माह की पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है.

अबूझ मुहूर्त के कारण बसंत पंचमी का बढ़ जाता है महत्व
हिंदू धार्मिक मान्याताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन किसी शुभ व मांगलिक कार्य की शरुआत कर सकते हैं. इस दिन मुहूर्त विचार की आवश्यकता नहीं रहती है, इसलिए इसे अबूझ मुहूर्त भी कहते हैं. अबूझ मुहूर्त होने के कारण इस दिन पठन-पाठन के साथ-साथ व्यापारिक कार्य, यात्रा, धार्मिक अनुष्ठान, भू-पूजन, गृह प्रवेश, शादी-विवाह, संतान से जुड़े अनुष्ठान जैसे अनेक शुभ कार्य इस दिन किये जाते हैं. Basant Panchami significance and importance .

Basant Panchami 2023
बसंत पंचमी - कॉन्सेप्ट फोटो

खिचड़ी और पीले चावल का भोग लगाने की है परंपरा
सामान्यतः बसंत पंचमी के अवसर पर मां सरस्वती की पूजा की जाती है. लेकिन कई जगहों पर इस अवसर पर भगवान विष्णु के साथ-साथ कामदेव की भी पूजा की जाती है वसंतोत्सव मनाया जाता है. इस दिन पूजा में खिचड़ी और पीले चावल का भोग लगाने परंपरा है. मां सरस्वती को पीली मिठाई और बुंदिया का भोग लगाया जाता है. इसके अलावा पूजन में बसंत में उगने वाले फल जैसे गाजर, शकरकंद आदि फलों और पीले फूलों के उपयोग की परंपरा है. बसंत पंचमी के अवसर पर मनाया जाने वाला वसंतोत्सव और सरस्वती पूजा से वातावरण में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है.

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Last Updated : Jan 20, 2023, 5:33 PM IST
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