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BCI on Foreign Lawyers : विदेशी वकीलों और लॉ फर्म को भारत में प्रैक्टिस करने की अनुमति मिली

विदेशी वकीलों और विदेशी लॉ फर्म को भारत में प्रैक्टिस करने की इजाजत मिल गई है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इसकी इजाजत दे दी है.

bar council of india
बार काउंसिल ऑफ इंडिया
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Published : Mar 15, 2023, 4:25 PM IST

नई दिल्ली : बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने विदेशी वकीलों और लॉ फर्म को भारत में प्रैक्टिस करने की अनुमति प्रदान कर दी है. यह बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला है, क्योंकि इसके पहले बार काउंसिल ऑफ इंडिया इस निर्णय का लगातार विरोध करता रहा है.

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस बाबत सोमवार को ही अधिसूचना जारी कर दी थी. इसके अनुसार कोई भी विदेशी वकील जिसने अपने आपको भारतीय कानून के तहत प्रैक्टिस करने के लिए निबंधित किया है, वे नॉन-लिटिगियस मैटर्स में प्रैक्टिस कर सकते हैं. इसका अर्थ यह हुआ कि वे किसी भी कोर्ट में सीधे अपियर नहीं हो सकते हैं, बल्कि उन्हें कानूनी सलाह दे सकते हैं. जाहिर है, उन्हें बीसीआई के अधीन रजिस्टर्ड करवाना होगा.

अधिसूचना में आगे बताया गया है कि विदेशी वकीलों या विदेशी लॉ फर्मों को किसी भी कोर्ट या फिर ट्रिब्यूनल्स या अन्य स्टेट्यूटरी या रेगुलेटरी ऑथरिटीज के सामने उपस्थित होने की इजाजत नहीं होगी. वे ट्रांजेक्शनल वर्क, कॉरपोरेट वर्क, इंटिलेक्चुअल प्रोपर्टी मैटर्स और कॉन्ट्रैक्स का मसौदा तैयार कर सकते हैं.

पूरे मामले में बार काउंसिल ऑफ इंडिया को पूरा अधिकार है कि वह उनके कार्यक्षेत्र का निर्धारण करे. अगर इसके लिए जरूरत पड़ी, तो बार काउंसिल भारत सरकार और भारत सरकार के कानून मंत्रालय से संपर्क कर सकता है. इसका मतलब ये भी हुआ कि बार काउंसिल किसी भी विदेशी वकील या फर्म को रजिस्टर करने से मना भी कर सकता है. यानी उन्हें भारत में प्रैक्टिस करने से रोका जा सकता है. बार काउंसल उनकी संख्या या अनुपात पर नजर रखेगा.

ये भी पढे़ं : ट्रिब्यूनल के पास उसके सामने पेश होने वाले वकीलों के लिए ड्रेस कोड निर्धारित करने का कोई अधिकार नहीं : मद्रास हाईकोर्ट

नई दिल्ली : बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने विदेशी वकीलों और लॉ फर्म को भारत में प्रैक्टिस करने की अनुमति प्रदान कर दी है. यह बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला है, क्योंकि इसके पहले बार काउंसिल ऑफ इंडिया इस निर्णय का लगातार विरोध करता रहा है.

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस बाबत सोमवार को ही अधिसूचना जारी कर दी थी. इसके अनुसार कोई भी विदेशी वकील जिसने अपने आपको भारतीय कानून के तहत प्रैक्टिस करने के लिए निबंधित किया है, वे नॉन-लिटिगियस मैटर्स में प्रैक्टिस कर सकते हैं. इसका अर्थ यह हुआ कि वे किसी भी कोर्ट में सीधे अपियर नहीं हो सकते हैं, बल्कि उन्हें कानूनी सलाह दे सकते हैं. जाहिर है, उन्हें बीसीआई के अधीन रजिस्टर्ड करवाना होगा.

अधिसूचना में आगे बताया गया है कि विदेशी वकीलों या विदेशी लॉ फर्मों को किसी भी कोर्ट या फिर ट्रिब्यूनल्स या अन्य स्टेट्यूटरी या रेगुलेटरी ऑथरिटीज के सामने उपस्थित होने की इजाजत नहीं होगी. वे ट्रांजेक्शनल वर्क, कॉरपोरेट वर्क, इंटिलेक्चुअल प्रोपर्टी मैटर्स और कॉन्ट्रैक्स का मसौदा तैयार कर सकते हैं.

पूरे मामले में बार काउंसिल ऑफ इंडिया को पूरा अधिकार है कि वह उनके कार्यक्षेत्र का निर्धारण करे. अगर इसके लिए जरूरत पड़ी, तो बार काउंसिल भारत सरकार और भारत सरकार के कानून मंत्रालय से संपर्क कर सकता है. इसका मतलब ये भी हुआ कि बार काउंसिल किसी भी विदेशी वकील या फर्म को रजिस्टर करने से मना भी कर सकता है. यानी उन्हें भारत में प्रैक्टिस करने से रोका जा सकता है. बार काउंसल उनकी संख्या या अनुपात पर नजर रखेगा.

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