कूचबिहार (पश्चिम बंगाल): मोहम्मद रुबेल (Mohammed Rubel) एक बांग्लादेशी किसान है जो हर सुबह सीमा पार कर भारतीय धरती पर खेती करता है और फिर वापस चला जाता है. उसने एक भारतीय से तीन बीघा जमीन लीज पर ली है. उसे प्रति 3,000 रुपये के हिसाब से भुगतान करना है. (1 बीघा 0.619 एकड़ के बराबर है हालांकि, पश्चिम बंगाल में, 1 बीघा लगभग 0.33 एकड़ हो सकता है)
रुबेल को भारत में खेती करने के लिए किसी पासपोर्ट या किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है. यह एक स्थानीय व्यवस्था है और रुबेल जब तक चाहे इसे जारी रख सकता है. वह अकेला ऐसा नहीं है. सैकड़ों ऐसे बांग्लादेशी हैं जो बिना किसी बड़ी रुकावट के भारतीय क्षेत्र में मवेशी चराने और खेती करने में लगे हैं(Bangladeshi farmers illegal cultivation in India).
इनमें से अधिकांश बांग्लादेशी नागरिक कूचबिहार जिले के मेखलीगंज के दूसरी तरफ भारत-बांग्लादेश सीमा पर तीस्ता नदी के किनारे रहते हैं. पुलिस और बीएसएफ की नाक के नीचे ये लोग रोजी-रोटी कमाने के लिए सीमा पार करते हैं. हालांकि स्थानीय अधिकारियों द्वारा कुछ छिटपुट उपाय किए गए, लेकिन समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं हुआ है.
जिले के अधिकारियों के अनुसार, इस प्रकार की अवैध गतिविधियां मुख्य रूप से कूचबिहार के कुचलीबाड़ी क्षेत्र में तीस्ता नदी के 25 पैस्टी से सटे गोवर नदी तल क्षेत्र में की जाती हैं. भारतीय सीमा के उस पार बांग्लादेश की तरफ रहने वाले मोहम्मद मोनिर ने कहा, 'मुझे एक भारतीय से कुछ बीघा जमीन मिली है. हमारे अनुबंध के अनुसार, मुझे आधी फसल उसके साथ बांटनी होगी. मेरे पास जमीन नहीं है और इसलिए अगर मुझे अपनी मेहनत से कुछ फसल मिल सकती है तो यह मेरे लिए अच्छा है.'
स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, मुख्य समस्या यह है कि यहां की सीमा ऊबड़ खबड़ है और तीस्ता नदी के कारण नजर रखना मुश्किल है. जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नदी की सीमा का सीमांकन करना कठिन है, साथ ही ये ऐसी अवैध गतिविधियों के लिए प्रमुख मार्ग है. उनका कहना है कि 'गाद जम जाने के कारण नदी इस हिस्से में गहरी नहीं है जिससे ग्रामीणों के लिए इसे पार करना आसान हो जाता है. ऐसे में उन्हें प्रबंधित करना वाकई मुश्किल है.'
दिलचस्प बात यह है कि जहां भारतीय निवासियों को अपने सभी दस्तावेज दिखाने होते हैं, वहीं बांग्लादेशी स्वतंत्र रूप से भारतीय धरती पर घूमते हैं. 'ईटीवी भारत' से बात करते हुए एक स्थानीय निवासी गोपाल रॉय ने कहा, 'हम इस क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से नहीं जा सकते हैं. कभी-कभी बीएसएफ के लोग हमारा पीछा करते हैं और हमें दस्तावेज दिखाने की जरूरत होती है. बांग्लादेश के लोगों के मामले में ऐसा नहीं है.वे यहां अपने मवेशियों को चराने, खेती करने आते हैं और स्वतंत्र रूप से वापस जाते हैं.'
स्थानीय जिला परिषद सदस्य फुलती रॉय (Fulti Roy) ने कहा, 'मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि ये असमानता क्यों है. भारतीय किसानों ने इस मामले के बारे में प्रशासन को सूचित किया है और हम इन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हैं.' भारतीय किसानों की शिकायतों के आधार पर मेखलीगंज पुलिस ने हाल ही में ट्रैक्टरों का उपयोग करके अधिकांश धान के बागानों को नष्ट कर दिया.
हालांकि, इससे अवैध प्रक्रिया नहीं रुकी क्योंकि सीमा के दूसरी ओर के लोग लगातार आते हैं और खेती की गतिविधियों में शामिल होते हैं. मेखलीगंज के बीडीओ अरुण कुमार सामंत (BDO of Mekhligonj Arun Kumar Samant) ने कहा, 'जब हमें पता चला तो हमने बांग्लादेशी किसानों द्वारा की गई पूरी खेती को नष्ट कर दिया. हमें बताया जा रहा है कि यह फिर से शुरू हो गया है. अगर हमें कोई विशेष जानकारी मिलती है, तो हम फिर से कार्रवाई करेंगे.'
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