नई दिल्ली : पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने एक कार्य समिति गठित की है. जिसका काम पेट्रोलियम सेक्टर से जुड़े सेफ्टी सिस्टम को देखना और इसमें सुधार के लिए आवश्क बदलावों का सुझाव देना शामिल है. कार्य समूह द्वारा इस माह के अंत तक केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपने की उम्मीद है. विदित हो कि ये कदम असम के बागजान विस्फोट की घटना के बाद उठाया गया है.
एक सरकारी अधिकारी ने बताया-'पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा गठित इस कार्य समिति में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी), तेल उद्योग सुरक्षा निदेशालय (ओआईएसडी) अकादमी से जुड़ें सदस्य शामिल हैं. जिनका काम सेफ्टी सेक्टर से जुड़ें तमाम पहलूओं की समीक्षा करना है. इसके साथ ही भारत में पेट्रोलियम क्षेत्र के लिए आवश्यक बदलावों का सुझाव देना, मौजूदा कानूनों में कमियों की पहचान करना और Petroleum Sector के लिए एकल सुरक्षा नियामक स्थापित करने के लिए आगे बढ़ने का रास्ता सुझाने की गुंजाइश है. उम्मीद है कि कार्य समिति अगस्त के अंत तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
![Petroleum Sector](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/27-08-2023/19369179_16x9_petroleum.jpg)
अधिकारी ने कहा कि रिपोर्ट बनाते समय ओआईएल के स्थायी आदेशों, नियमों और अनुबंध की शर्तों के अनुसार सभी अनुशासनात्मक कार्रवाइयों और दंड प्रक्रियाओं का ध्यान रखा जा रहा है. साथ ही एक जीरो टॉलरेंस नीति तैयार की गई है. परिचालन और सुरक्षा प्रक्रियाओं के सख्त पालन के लिए क्या किया जा सकता है, इसकी समीक्षा की जा रही है. हालांकि तेल खदानों में विभिन्न परिचालनों के लिए तेल खदान विनियम 2017, (खान अधिनियम 1952 के तहत) में प्रावधान और सुरक्षा प्रोटोकॉल पहले ही बनाए जा चुके हैं. जिसके तहत कानून का पालन करने की जिम्मेदारी संबंधित तेल कंपनियों पर है.
9 जून, 2020 को हुई बागजान विस्फोट घटना (असम) का जिक्र करते हुए, अधिकारी ने कहा कि ओआईएल के भीतर आंतरिक रूप से विचार-विमर्श के बाद, 11 अप्रैल को एक कानूनी नोटिस में 462 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की गई (ओआईएल द्वारा ब्लोआउट को नियंत्रित करने के लिए किया गया खर्च और इसके परिणामी प्रभावों को ब्लोआउट की तारीख से 12 प्रतिशत ब्याज के साथ) नोटिस प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर ठेकेदार, जॉन एनर्जी लिमिटेड को भेज दिया गया है. हालांकि, OIL ने न्यायालय और न्यायाधिकरण के समक्ष लंबित उपरोक्त सिविल अपील के नतीजे के आधार पर भविष्य में अतिरिक्त मुआवजे की मांग करने का अपना अधिकार सुरक्षित रखा है. इसके अतिरिक्त, ओआईएल ने जनशक्ति लागत का दावा करने का अपना अधिकार भी सुरक्षित रखा है जो कि बागजान विस्फोट को नियंत्रित करने के लिए गणना की प्रक्रिया के तहत है.
![Baghjan Blow-Out Incident](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/27-08-2023/19369179_petroleum.jpg)
अधिकारी ने कहा कि ओआईएल ने अपने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम और कवरेज को बढ़ाने के लिए कई तरह के उपाय किए हैं. वर्ष 2022-2023 के दौरान ओआईएल ने एडवांस सिक्योरिटी ट्रेनिंग शुरू किया और तेल उद्योग सुरक्षा निदेशालय (ओआईएसडी) मानक 176 के अनुसार 549 कर्मियों को ट्रेनिंग दी. वहीं, साल 2023-2024 के लिए 1626 कर्मियों को ट्रेनिंग देने का लक्ष्य रखा गया है. इसके अलावा जोरहाट शहर में एक इमरजेंसी रिस्पॉन्स सेंटर स्थापित किया जा रहा है.
बागजान विस्फोट की घटना: असम के तिनसुकिया जिले में ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) द्वारा संचालित बगजान क्षेत्र में एक कुएं से 27 मई 2020 को प्राकृतिक गैस का अनियंत्रित रूप से रिसाव होने लगा था. इसके कारण विस्फोट हो गया जिससे आठ जून को कुएं में आग लग गई थी. इस घटना की जांच के लिए पेट्रोलियम मंत्रालय ने तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति भी गठित की थी.