पटना : बिहार का अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम मोइनुल हक अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. 1969 में स्थापित इस स्टेडियम में कई अंतरराष्ट्रीय मैच खेले गए, लेकिन आज यह स्टेडियम जर्जर और जंगल में तब्दील हो गया है. स्टेडियम में 5 जनवरी से रणजी ट्रॉफी क्रिकेट का आयोजन हो रहा है. लेकिन इस स्टेडियम को देखकर कोई नहीं कह सकता कि यहां पर एलीट ग्रुप का मैच खेला जा रहा है. यहां पर भारतीय क्रिक्रेट टीम की ओर से खेलने वाले आंजिक्य रहाणे, धवल कुलकर्णी जैसे प्लेयर आकर्षण का केंद्र रहे हैं. लेकिन उससे ज्यादा सुर्खियां यहां की बदइंतजामी ने बटोरी.
पवेलियन गैलरी में सूख रहे कपड़े : स्टेडियम के दर्शक दीर्घा में उगी लंबी लंबी घास, जगह जगह लगा डेंजर पॉइंट ये बताता है कि इस मैदान की हालत क्या होगी. ये लोगों का जुनून ही है जो लोग जंगल में खड़े होकर क्रिकेट का आनंद ले रहे हैं. स्टेडियम का भवन भी पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. गैलरी में कपड़े सुखाए जा रहे हैं और मैदान के अंदर मैच हो रहा है. देखा जा सकता है कि दर्शकों के बैठने वाली जगह पर घास उगी हुई है. चारों तरफ गंदगी का अंबार है. फिर भी लोग खड़े होकर मैच का आनंद ले रहे हैं.
खराब है पिच की कंडीशन : ग्राउंड की पिच खराब है. यही वजह है कि कई खिलाड़ी इस मैदान में नहीं खेल रहे हैं. कुछ खिलाड़ियों को मैदान खराब होने की वजह से भी चोटें आईं हैं. मुंबई की ओर से कप्तान आंजिक्य रहाणे को खेलना था लेकिन बताया जा रहा है कि खराब पिच की वजह से वो नहीं खेल रहे हैं. उनकी जगह शम्स मुलानी को मुंबई की कप्तानी सौंपी गई है.
डेंजर जोन घोषित करने के बावजूद हो रहे मैच : 5 साल पहले मोइनुल हक स्टेडियम को डेंजर जोन घोषित कर दिया गया था. ऐसे में बीसीसीआई की तरफ से रणजी ट्रॉफी कराने की इजाजत कैसे दे दी गई यह सवाल है. दरअसल खेल ग्राउंड को बीसीसीआई के द्वारा 28 दिसंबर से अपने कब्ज में कर लिया गया और खेल ग्राउंड को पूरे तरीके से तैयार कर रणजी ट्रॉफी करायी जा रही है.
बीसीए का बवाल : एक ओर जहां बिहार अपने ऐतिहासिक मैच के लिए इस तारीख को याद रखा जाएगा, तो वहीं दूसरी ओर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में मचे बवाल की वजह भी भूलने वाली नहीं है. शुक्रवार को टॉस से पहले जब बीसीए सचिव गुट की टीम खेलने पहुंची थी तो उसे सख्ती के साथ ग्राउंड में प्रवेश से रोक दिया गया. मौजूद पुलिस बल ने उन्हें बैरन उनके ही बस में बैठाकर स्टेडियम से बाहर कर दिया. कुछ देर के बाद अज्ञात लोगों ने बीसीए के ओएसडी पर जानलेवा हमला कर दिया. उनके साथ मारपीट की गई. पत्थर से उनके सिर पर प्रहार कर जख्मी कर दिया गया. अभी इस मारपीट को लेकर पटना और बिहार क्रिकेट एसोसिएशन शांत नहीं है, बल्कि बवाल मचा हुआ है.
क्या कहता है बीसीए : बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के प्रवक्ता संजीव कुमार मिश्रा का कहना है कि रणजी ट्रॉफी करने से पहले बीसीसीआई ने बिहार सरकार से स्टेडियम की मांग की थी. बिहार सरकार के द्वारा मोइनुल हक स्टेडियम मुहैया कराया गया. इसके बाद से बीसीसीआई ने अपने स्तर से ग्राउंड को तैयार किया. संजीव कुमार मिश्रा का यह भी कहना है कि ''बिहार टीम के लिए जिन दो गुटों में मारपीट की घटना सामने आई है, उसमें बीसीए के पूर्व सचिव अमित कुमार (बर्खास्त) उनके द्वारा अपना टीम खिलाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने कुछ लोगों से मिलकर साजिश करते हुए मारपीट करवाया.''
''बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने बिहार सरकार से स्टेडियम की मांग की थी. बिहार सरकार ने मोइनुल हक स्टेडियम आवंटित की मोइनुल हक जर्जर अवस्था में स्थित है. इसकी जिम्मेदारी सरकार की है, हमारी जिम्मेवारी रणजी ट्रॉफी कराने की है.''- संजीव कुमार मिश्रा, बीसीए प्रवक्ता
क्रिकेट ऑपरेशन जीएम सुनील कुमार सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि ''मुंबई टीम में जो खिलाड़ी नहीं खेल रहे हैं वह चोटिल हैं इस कारण से नहीं खेल रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर का ग्राउंड है या नहीं इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि बीसीसीआई के द्वारा अप्रूव्ड मिलने के बाद ही मैच कराया जाता है.'' स्टेडियम जर्जर के सवाल पर सुनील कुमार सिंह ने कहा कि ''हर एक चीज का समय होता है. इस स्टेडियम का समय खत्म हो गया है. इसलिए ऐसी अवस्था में ये पहुंच गया है. सरकार बहुत जल्द इस स्टेडियम का जिर्णोद्धार कराएगी. 1969 में हमने बिहार Vs बंगाल का मैच देखा था.''
कभी होते थे अंतरराष्ट्रीय मैच : बता दें कि मोइनुल हक स्टेडियम में कभी इंटरनेशनल मैच होते थे. इस मैदान पर पहला इंटरनेशनल मैच 15 नवंबर 1993 में श्रीलंका और जिम्बावे के बीच खेला गया था. इसके अलावा इसी मैदान पर भारत-वेस्ट इंडीज के बीच महिला क्रिकेट टेस्ट मैच 1976 में खेला गया था. इस मैदान पर आखिरी मैच 27 फरवरी 1996 में केन्या और जिम्बावे के बीच एक दिवसीय क्रिकेट टूर्नामेंट में खेला गया था. इसी मैच के बाद यहां पर कोई भी इंटरनेशनल मैच नहीं हुआ है. आज इस मैदान की हालात इतनी ख़राब है कि यहां अब रणजी मैच भी नहीं हो सकता.
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