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बडगाम में हुआ बेबी एक्सचेंज विवाद, कब्र खोदकर निकाला जाएगा मृत शिशु का शव - Baby exchange dispute

जम्मू-कश्मीर के बडगाम में प्रशासनिक अधिकारी एक बच्ची की कब्र को खुदवाने जा रहे हैं. ऐसा बच्ची के परिजनों और एसकेआईएमएस अस्पताल के बीच हो रहे विवाद को सुलझाने के लिए किया जा रहा है.

Baby exchange controversy in Budgam
बेबी एक्सचेंज विवाद
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Published : Nov 21, 2022, 9:29 PM IST

बडगाम (जम्मू-कश्मीर): राज्य में बडगाम जिले के पाटलीबाग इलाके में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां प्रशासनिक अधिकारी एक मृत बच्ची को उसकी कब्र से निकालने की तैयारी कर रहे हैं. कब्र से निकालने के बाद उस बच्ची के डीएनए सैंपल लिए जाएंगे, जिससे एसकेआईएमएस अस्पताल बेमिना और शोक में डूबी एक मां के बीच पैदा हुए विवाद को सुलझाया जा सके. बच्ची की कब्र की खुदाई सोमवार को कराई जा सकती है.

प्रशासन द्वारा मिली जानकारी के अनुसार बीती 3 नवंबर को बडगाम में पाटलीबाग इलाके के एक परिवार के घर उनकी बहू ने लड़के को जन्म दिया था, जिसके बाद अस्पताल के स्टाफ ने उन्हें बधाई दी थी. हालांकि जन्म के बाद इस बच्चे को नवजात गहन देखभाल यूनिट में रखा जाना आवश्यक था. यह एक ऐसा क्षेत्र होता है, जहां आमतौर पर तीमारदारों को जाने की अनुमति नहीं दी जाती है. 13 दिनों के बाद परिवार को सूचित किया गया कि बच्चे की मृत्यु हो गई है और परिवार वालों को बच्चे का शव उन्हें सौंप दिया.

बडगाम में हुआ बेबी एक्सचेंज विवाद

परिवार वाले उस बच्चे को दफनाने के लिए घर ले गए और अंतिम संस्कार करते समय उन्हें पता चला कि यह एक लड़की है. बच्ची को दफनाने के बाद, वे अस्पताल लौट आए और उन्हें बताया कि जब उन्होंने उनसे एक लड़का लिया, तो उन्होंने एक मृत बच्ची को क्यों लौटाया. दिलचस्प बात यह है कि परिवार का दावा है कि उनके पास जेवीसी अस्पताल द्वारा जारी किए गए लिखित दस्तावेज हैं कि उनके पास एक लड़का था.

अब अधिकारी मृत बच्ची के पितृत्व की जांच करने की कोशिश कर रहे हैं. यदि यह सिद्ध हो जाता है कि वह पाटलीबाग परिवार से संबंधित नहीं है, तो दूसरा कदम लापता बच्चे का पता लगाना होगा. इससे पहले एसकेआईएमएस अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. शिफा देवा ने कहा था कि रुखसाना नाम की एक महिला को 3 नवंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेफ्ट वेंट्रिकुलर फेल होने पर एक वरिष्ठ सर्जन ने उसका इलाज किया था.

पढ़ें: पीएम मोदी की रैली में सभास्थल पर दिखा सांप, मची अफरा-तफरी

उसने बाद में एक लड़की को जन्म दिया, जिसे लड़के के रूप में इंटुबैट किया गया था, जिसे पेरि-नेटल एस्फिक्सिया था. उन्होंने दावा किया कि परिवार ने एमआरडी में यह दर्ज कराया था कि उनके पास एक लड़का था, न कि अस्पताल ने दर्ज कराया था. अब मृत बच्ची का पितृत्व स्थापित होने के बाद ही विवाद का समाधान होगा.

बडगाम (जम्मू-कश्मीर): राज्य में बडगाम जिले के पाटलीबाग इलाके में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां प्रशासनिक अधिकारी एक मृत बच्ची को उसकी कब्र से निकालने की तैयारी कर रहे हैं. कब्र से निकालने के बाद उस बच्ची के डीएनए सैंपल लिए जाएंगे, जिससे एसकेआईएमएस अस्पताल बेमिना और शोक में डूबी एक मां के बीच पैदा हुए विवाद को सुलझाया जा सके. बच्ची की कब्र की खुदाई सोमवार को कराई जा सकती है.

प्रशासन द्वारा मिली जानकारी के अनुसार बीती 3 नवंबर को बडगाम में पाटलीबाग इलाके के एक परिवार के घर उनकी बहू ने लड़के को जन्म दिया था, जिसके बाद अस्पताल के स्टाफ ने उन्हें बधाई दी थी. हालांकि जन्म के बाद इस बच्चे को नवजात गहन देखभाल यूनिट में रखा जाना आवश्यक था. यह एक ऐसा क्षेत्र होता है, जहां आमतौर पर तीमारदारों को जाने की अनुमति नहीं दी जाती है. 13 दिनों के बाद परिवार को सूचित किया गया कि बच्चे की मृत्यु हो गई है और परिवार वालों को बच्चे का शव उन्हें सौंप दिया.

बडगाम में हुआ बेबी एक्सचेंज विवाद

परिवार वाले उस बच्चे को दफनाने के लिए घर ले गए और अंतिम संस्कार करते समय उन्हें पता चला कि यह एक लड़की है. बच्ची को दफनाने के बाद, वे अस्पताल लौट आए और उन्हें बताया कि जब उन्होंने उनसे एक लड़का लिया, तो उन्होंने एक मृत बच्ची को क्यों लौटाया. दिलचस्प बात यह है कि परिवार का दावा है कि उनके पास जेवीसी अस्पताल द्वारा जारी किए गए लिखित दस्तावेज हैं कि उनके पास एक लड़का था.

अब अधिकारी मृत बच्ची के पितृत्व की जांच करने की कोशिश कर रहे हैं. यदि यह सिद्ध हो जाता है कि वह पाटलीबाग परिवार से संबंधित नहीं है, तो दूसरा कदम लापता बच्चे का पता लगाना होगा. इससे पहले एसकेआईएमएस अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. शिफा देवा ने कहा था कि रुखसाना नाम की एक महिला को 3 नवंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेफ्ट वेंट्रिकुलर फेल होने पर एक वरिष्ठ सर्जन ने उसका इलाज किया था.

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उसने बाद में एक लड़की को जन्म दिया, जिसे लड़के के रूप में इंटुबैट किया गया था, जिसे पेरि-नेटल एस्फिक्सिया था. उन्होंने दावा किया कि परिवार ने एमआरडी में यह दर्ज कराया था कि उनके पास एक लड़का था, न कि अस्पताल ने दर्ज कराया था. अब मृत बच्ची का पितृत्व स्थापित होने के बाद ही विवाद का समाधान होगा.

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