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बाबुल सुप्रियो को शपथ दिलाने को राजी हुए डिप्टी स्पीकर, विधानसभा में होगा कार्यक्रम - डिप्टी स्पीकर आशीष बंदोपाध्याय

हाल ही में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए हुए उपचुनाव में बालीगंज से जीते बाबुल सुप्रियो 11 मई को सदस्यता की शपथ लेंगे. पश्चिम बंगाल के संसदीय कार्य राज्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने इसकी जानकारी दी.

Babul Supriyo oath controversy
Babul Supriyo oath controversy
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Published : May 10, 2022, 10:30 PM IST

कोलकाता : उपचुनाव में बालीगंज से जीते बाबुल सुप्रियो बुधवार दोपहर 12.30 बजे विधानसभा की सदस्यता की शपथ लेंगे. विधानसभा उपचुनाव के नतीजे आने के बाद से नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ कार्यक्रम लंबित था. कार्यक्रम के अनुसार पश्चिम बंगाल विधानसभा के डिप्टी स्पीकर विधायकों को शपथ दिलाएंगे. बता दें राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने विधानसभा अध्यक्ष के बजाय डिप्टी स्पीकर को शपथ दिलाने की अनुमति दी थी, इसके साथ ही उनकी एक सलाह के कारण भी इस पर विवाद बढ़ गया था. दरअसल गवर्नर ने शपथ दिलाने की संस्तुति देते हुए डिप्टी स्पीकर आशीष बंदोपाध्याय को स्पीकर से बचकर शपथ दिलाने का आदेश दिया. 'स्पीकर से बचकर' जैसे शब्द को डिप्टी स्पीकर ने विधानसभा अध्यक्ष का अपमान करार देते हुए शपथ दिलाने से मना कर दिया. जब विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी ने दोबारा डिप्टी स्पीकर से अनुरोध किया तो वह शपथ दिलाने के लिए राजी हुए,

इसके बाद राजभवन और विधानसभा सचिवालय के बीच खींचतान शुरू हो गई और शपथ ग्रहण कार्यक्रम टलता गया. बालीगंज विधानसभा उपचुनाव के नतीजे 17 अप्रैल को घोषित किए गए थे. तब से लगभग 24 दिन बीत चुके हैं, तब से तृणमूल कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायक शपथ का इंतजार कर रहे थे. तृणमूल कांग्रेस ने इस स्थिति के लिए राज्यपाल जगदीप धनखड़ को जिम्मेदार ठहराया है. चूंकि शपथ ग्रहण समारोह में कथित तौर से देरी हो रही है, ऐसे में एक सवाल उठता है कि क्या विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भी उनके शपथ ग्रहण समारोह को रोका जा सकता है?
संविधान विशेषज्ञ और राजनीतिक विश्लेषक अमल मुखर्जी के मुताबिक, शपथ के संबंध में संविधान में कोई लिखित दिशानिर्देश नहीं है और न ही अधिकतम समय सीमा का कोई उल्लेख है. विधानसभा चुनाव के मामले में विधायकों को सरकार के गठन के लिए समय सीमा के भीतर अपनी शपथ की प्रक्रिया पूरी करनी होती है. ऐसा करने में विफल रहने पर संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है. लेकिन, उपचुनावों के मामले में सरकार के गठन या सरकार गिरने का कोई सवाल ही नहीं है, इसलिए कोई निश्चित तारीख नहीं है.

आम तौर पर चुनाव आयोग वोटों की गिनती के बाद विधायक के चुने जाने की अधिसूचना जारी करता है. फिर सरकार विधानसभा को शपथ ग्रहण से संबंध में फाइल भेजती है. विधानसभा सचिवालय से यह फाइल राज्यपाल तक पहुंचती है और फिर उनकी अनुमति के बाद शपथ ग्रहण कार्यक्रम होता है. आम तौर पर विधानसभा अध्यक्ष उपचुनाव में जीते विधायक को शपथ दिलाते हैं. पश्चिम बंगाल में भी इसी प्रक्रिया के तहत फाइल राज्यपाल तक पहुंची. बाबुल सुप्रियो के मामले में राज्यपाल धनखड़ ने विधानसभा अध्यक्ष के बजाय डिप्टी स्पीकर आशीष बंदोपाध्याय को स्पीकर से बचकर शपथ पढ़ने का आदेश दिया. इसके बाद से बवाल शुरू हो गया. अब डिप्टी स्पीकर शपथ दिलाने के लिए राजी हो गए हैं, 11 मई को बाबुल सुप्रियो शपथ लेंगे. हालांकि इसके बाद भी राज्य विधानसभा और राजभवन के बीच टकराव जारी रहना तय है.

पढ़ें : शपथ ग्रहण विवाद के लिए प. बंगाल के राज्यपाल जिम्मेदार : बाबुल सुप्रियो

कोलकाता : उपचुनाव में बालीगंज से जीते बाबुल सुप्रियो बुधवार दोपहर 12.30 बजे विधानसभा की सदस्यता की शपथ लेंगे. विधानसभा उपचुनाव के नतीजे आने के बाद से नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ कार्यक्रम लंबित था. कार्यक्रम के अनुसार पश्चिम बंगाल विधानसभा के डिप्टी स्पीकर विधायकों को शपथ दिलाएंगे. बता दें राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने विधानसभा अध्यक्ष के बजाय डिप्टी स्पीकर को शपथ दिलाने की अनुमति दी थी, इसके साथ ही उनकी एक सलाह के कारण भी इस पर विवाद बढ़ गया था. दरअसल गवर्नर ने शपथ दिलाने की संस्तुति देते हुए डिप्टी स्पीकर आशीष बंदोपाध्याय को स्पीकर से बचकर शपथ दिलाने का आदेश दिया. 'स्पीकर से बचकर' जैसे शब्द को डिप्टी स्पीकर ने विधानसभा अध्यक्ष का अपमान करार देते हुए शपथ दिलाने से मना कर दिया. जब विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी ने दोबारा डिप्टी स्पीकर से अनुरोध किया तो वह शपथ दिलाने के लिए राजी हुए,

इसके बाद राजभवन और विधानसभा सचिवालय के बीच खींचतान शुरू हो गई और शपथ ग्रहण कार्यक्रम टलता गया. बालीगंज विधानसभा उपचुनाव के नतीजे 17 अप्रैल को घोषित किए गए थे. तब से लगभग 24 दिन बीत चुके हैं, तब से तृणमूल कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायक शपथ का इंतजार कर रहे थे. तृणमूल कांग्रेस ने इस स्थिति के लिए राज्यपाल जगदीप धनखड़ को जिम्मेदार ठहराया है. चूंकि शपथ ग्रहण समारोह में कथित तौर से देरी हो रही है, ऐसे में एक सवाल उठता है कि क्या विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भी उनके शपथ ग्रहण समारोह को रोका जा सकता है?
संविधान विशेषज्ञ और राजनीतिक विश्लेषक अमल मुखर्जी के मुताबिक, शपथ के संबंध में संविधान में कोई लिखित दिशानिर्देश नहीं है और न ही अधिकतम समय सीमा का कोई उल्लेख है. विधानसभा चुनाव के मामले में विधायकों को सरकार के गठन के लिए समय सीमा के भीतर अपनी शपथ की प्रक्रिया पूरी करनी होती है. ऐसा करने में विफल रहने पर संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है. लेकिन, उपचुनावों के मामले में सरकार के गठन या सरकार गिरने का कोई सवाल ही नहीं है, इसलिए कोई निश्चित तारीख नहीं है.

आम तौर पर चुनाव आयोग वोटों की गिनती के बाद विधायक के चुने जाने की अधिसूचना जारी करता है. फिर सरकार विधानसभा को शपथ ग्रहण से संबंध में फाइल भेजती है. विधानसभा सचिवालय से यह फाइल राज्यपाल तक पहुंचती है और फिर उनकी अनुमति के बाद शपथ ग्रहण कार्यक्रम होता है. आम तौर पर विधानसभा अध्यक्ष उपचुनाव में जीते विधायक को शपथ दिलाते हैं. पश्चिम बंगाल में भी इसी प्रक्रिया के तहत फाइल राज्यपाल तक पहुंची. बाबुल सुप्रियो के मामले में राज्यपाल धनखड़ ने विधानसभा अध्यक्ष के बजाय डिप्टी स्पीकर आशीष बंदोपाध्याय को स्पीकर से बचकर शपथ पढ़ने का आदेश दिया. इसके बाद से बवाल शुरू हो गया. अब डिप्टी स्पीकर शपथ दिलाने के लिए राजी हो गए हैं, 11 मई को बाबुल सुप्रियो शपथ लेंगे. हालांकि इसके बाद भी राज्य विधानसभा और राजभवन के बीच टकराव जारी रहना तय है.

पढ़ें : शपथ ग्रहण विवाद के लिए प. बंगाल के राज्यपाल जिम्मेदार : बाबुल सुप्रियो

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