ETV Bharat / bharat

बाबू जगजीवन राम की जयंती आज, प्रधानमंत्री मोदी ने दी श्रद्धांजलि

स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम की आज जयंती है. उनका जन्म 5 अप्रैल, 1908 में बिहार में हुआ है. वह 1977–79 तक भारत के उप प्रधानमंत्री रहे.

Babu Jagjivan Ram Jayanti
बाबू जगजीवन राम की जयंती
author img

By

Published : Apr 5, 2022, 9:45 AM IST

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दौर के अग्रणी दलित नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम को मंगलवार को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान और आजादी के बाद जगजीवन राम के उल्लेखनीय योगदान को देश हमेशा याद रखेगा. प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, 'बाबू जगजीवन राम जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन. हमारा देश हमेशा उनके उल्लेखनीय योगदान को याद रखेगा, चाहे वह स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान हो या आजादी के बाद. प्रशासनिक कौशल और गरीब वर्ग के लिए उनकी चिंता को लेकर उनकी व्यापक रूप से प्रशंसा की जाती है.'

बाबू जगजीवन राम का जन्म 5 अप्रैल, 1908 में बिहार में हुआ था. वह एक स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू तथा इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकारों में मंत्री पद पर सेवाएं दी थीं. वह आपातकाल लगाने का विरोध करते हुए कांग्रेस से अलग हो गए थे और फिर जनता पार्टी की सरकार में उप प्रधानमंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दी थीं. वह 1977–79 तक भारत के उप प्रधानमंत्री रहे.

बिहार के एक दलित परिवार में जन्म लेने वाले जगजीवन को 'बाबूजी' के नाम से जाना जाता है, वह एक राष्ट्रीय नेता होने के साथ एक सामाजिक न्याय के योद्धा और दलितों के विकास के लिए आवाज उठाने वाले व्यक्ति थे. उन्होंने आरा के एक स्कूल से पढ़ाई की. अपनी स्कूली पढ़ाई के दौरान 'बाबूजी' ने दलितों के साथ होने वाले भेदभाव की पीढ़ा देखी. जिसके बाद उन्होंने इन सामाजिक भेदभाव को लांगा ही नहीं बल्कि इसका पुरजोर तरीके से विरोध भी किया और अपनी बात मनवाई. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जगजीवन 1931 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए. वह 1936 से 1986 कर लगातार 40 वर्षों तक संसद के सदस्य रहे, जो एक विश्व रिकॉर्ड है.

देश के लिए जगजीवन का योगदान
जगजीवन राम का देश के लिए स्वतंत्रता से पहले और बाद बड़ा योगदान रहा. उनका संसदीय जीवन का इतिहास 50 वर्षों का रहा. वह आजादी से पहले बनी सरकारों में भी शामिल थे. वह 1946 में जवाहर लाल नेहरु की प्रोविजिनल कैबिनेट में सबसे युवा मंत्री के तौर पर शामिल हुए थे. उन्होंने 1934-35 में दलितों के अधिकारों के लिए बने संगठन ऑल इंडिया डिप्रेस्ड क्लासेस लीग (All India Depressed Classes League) में विशेष योगदान दिया. वह दलितों के लिए सामाजिक समानता और समान अधिकारों के हिमायती थे. उन्होंने 1935 में हिंदू महासभा के एक सत्र में प्रस्ताव पारित किया, जिसमें दलितों को पीने के पानी के लिए कुएं में जाने की इजाजत और मंदिर में उनके प्रवेश के अधिकार शामिल थे.

दलितों को मतदान का अधिकार दिलाने की मांग
1935 में पहली बार जगजीवन राम ने रांची में हैमंड कमीशन (Hammond Commission) के सामने दलितों के मतदान के अधिकार की मांग की थी. उन्हें 1940 के दौर में ब्रिटिश शासन के खिलाफ 'भारत छोड़ो आंदोलन' से जुड़ी राजनीतिक गतिविधियों के मद्देनजर दो बार जेल भेजा गया.

आजादी के बाद संभाले ये मंत्रालय
देश आजाद होने के बाद जगजीवन राम ने 1952 तक श्रम मंत्रालय संभाला, उसके बाद वह 1952-56 तक संचार मंत्री रहे. इसके बाद लगातार 1956-62 परिवहन, रेलवे और 1962-63 तक परिवहन, संचार मंत्रालयों को उन्होंने संभाला था. जगजीवन राम 1967-70 तक देश के खाद्य व कृषि मंत्री रहे. 1970 के आम चुनावों में एक बार फिर बाबूजी की जीत हुई, वह इंदिरा गांधी की सरकार में रक्षा मंत्री बनाए गए. यहां तक कि जब 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध लड़ा गया था, तब वह देश के रक्षा मंत्री थे.

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दौर के अग्रणी दलित नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम को मंगलवार को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान और आजादी के बाद जगजीवन राम के उल्लेखनीय योगदान को देश हमेशा याद रखेगा. प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, 'बाबू जगजीवन राम जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन. हमारा देश हमेशा उनके उल्लेखनीय योगदान को याद रखेगा, चाहे वह स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान हो या आजादी के बाद. प्रशासनिक कौशल और गरीब वर्ग के लिए उनकी चिंता को लेकर उनकी व्यापक रूप से प्रशंसा की जाती है.'

बाबू जगजीवन राम का जन्म 5 अप्रैल, 1908 में बिहार में हुआ था. वह एक स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू तथा इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकारों में मंत्री पद पर सेवाएं दी थीं. वह आपातकाल लगाने का विरोध करते हुए कांग्रेस से अलग हो गए थे और फिर जनता पार्टी की सरकार में उप प्रधानमंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दी थीं. वह 1977–79 तक भारत के उप प्रधानमंत्री रहे.

बिहार के एक दलित परिवार में जन्म लेने वाले जगजीवन को 'बाबूजी' के नाम से जाना जाता है, वह एक राष्ट्रीय नेता होने के साथ एक सामाजिक न्याय के योद्धा और दलितों के विकास के लिए आवाज उठाने वाले व्यक्ति थे. उन्होंने आरा के एक स्कूल से पढ़ाई की. अपनी स्कूली पढ़ाई के दौरान 'बाबूजी' ने दलितों के साथ होने वाले भेदभाव की पीढ़ा देखी. जिसके बाद उन्होंने इन सामाजिक भेदभाव को लांगा ही नहीं बल्कि इसका पुरजोर तरीके से विरोध भी किया और अपनी बात मनवाई. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जगजीवन 1931 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए. वह 1936 से 1986 कर लगातार 40 वर्षों तक संसद के सदस्य रहे, जो एक विश्व रिकॉर्ड है.

देश के लिए जगजीवन का योगदान
जगजीवन राम का देश के लिए स्वतंत्रता से पहले और बाद बड़ा योगदान रहा. उनका संसदीय जीवन का इतिहास 50 वर्षों का रहा. वह आजादी से पहले बनी सरकारों में भी शामिल थे. वह 1946 में जवाहर लाल नेहरु की प्रोविजिनल कैबिनेट में सबसे युवा मंत्री के तौर पर शामिल हुए थे. उन्होंने 1934-35 में दलितों के अधिकारों के लिए बने संगठन ऑल इंडिया डिप्रेस्ड क्लासेस लीग (All India Depressed Classes League) में विशेष योगदान दिया. वह दलितों के लिए सामाजिक समानता और समान अधिकारों के हिमायती थे. उन्होंने 1935 में हिंदू महासभा के एक सत्र में प्रस्ताव पारित किया, जिसमें दलितों को पीने के पानी के लिए कुएं में जाने की इजाजत और मंदिर में उनके प्रवेश के अधिकार शामिल थे.

दलितों को मतदान का अधिकार दिलाने की मांग
1935 में पहली बार जगजीवन राम ने रांची में हैमंड कमीशन (Hammond Commission) के सामने दलितों के मतदान के अधिकार की मांग की थी. उन्हें 1940 के दौर में ब्रिटिश शासन के खिलाफ 'भारत छोड़ो आंदोलन' से जुड़ी राजनीतिक गतिविधियों के मद्देनजर दो बार जेल भेजा गया.

आजादी के बाद संभाले ये मंत्रालय
देश आजाद होने के बाद जगजीवन राम ने 1952 तक श्रम मंत्रालय संभाला, उसके बाद वह 1952-56 तक संचार मंत्री रहे. इसके बाद लगातार 1956-62 परिवहन, रेलवे और 1962-63 तक परिवहन, संचार मंत्रालयों को उन्होंने संभाला था. जगजीवन राम 1967-70 तक देश के खाद्य व कृषि मंत्री रहे. 1970 के आम चुनावों में एक बार फिर बाबूजी की जीत हुई, वह इंदिरा गांधी की सरकार में रक्षा मंत्री बनाए गए. यहां तक कि जब 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध लड़ा गया था, तब वह देश के रक्षा मंत्री थे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.