नई दिल्ली : अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने स्पष्ट किया है कि शैक्षणिक सत्र 2010-12 से पहले इग्नू से प्राप्त बीटेक की डिग्री और इंजीनियरिंग में डिप्लोमा को वैध माना जाएगा.
उल्लेखनीय है कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) दो पाठ्यक्रमों को दूरस्थ शिक्षा के जरिये चलाता था लेकिन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा यह कहे जाने पर कि तकनीकी पाठ्यक्रम दूरस्था शिक्षा के माध्यम से संचालित नहीं किए सकते और यह नियमों का उल्लंघन है, तब इग्नू ने उन्हें बंद कर दिया.
तकनीकी शिक्षा के नियामक के नीति एवं अकादमिक योजना ब्यूरो द्वारा जारी आदेश में कहा गया, ' इग्नू दो पाठ्यक्रमों का संचालन दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से करता था और इन पाठ्यक्रमों की वैधता को लेकर विभिन्न अदालतों में वाद चल रहा है.'
आदेश में कहा गया, ' वर्ष 2018 में उच्चतम न्यायालय ने इग्नू द्वारा वर्ष 2009-10 के सत्र में पंजीकृत उम्मीदवारों को दी गई डिप्लोमा और बीटेक की डिग्री वैध करार दिया.'
आदेश में कहा गया कि शीर्ष अदालत ने अब वर्ष 2010-11 और 2011-12 शैक्षणिक सत्र के कुछ उम्मीदवारों को भी राहत दी है और समझा जाता है कि इसके बाद इग्नू ने दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से इन पाठ्यक्रमों को संचालित नहीं किया और यह आखिरी बैच है जिन्हें यह राहत दी जाएगी.'
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एआईसीटीई ने कहा, 'उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुरूप शैक्षणिक सत्र 2010-12 तक पंजीकृत विद्यार्थियों जिन्हें इग्नू ने इंजीनियरिंग में डिप्लोमा एवं बीटेक की उपाधि दी गई है, उनकी उपाधि पर एआईसीटीई को कोई आपत्ति नहीं है और इसलिए उन्हें विशेष मामला मान वैध माना जाएगा, लेकिन वर्ष 2012 के बाद के मामले में इसे नजीर नहीं माना जाएगा.'