अयोध्या: भारत के पड़ोसी देश नेपाल जनकपुर से अयोध्या में भगवान राम की प्रतिमा निर्माण के लिए आईं शालिग्राम शिलाओं का अयोध्या के रामसेवकपुरम परिसर में 51 आचार्य और अयोध्या के काफी संतों की मौजूदगी में वैदिक मंत्रोचार के बीच पूजन-अर्चन किया गया. इसके बाद इन्हें श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों को सौंप दिया गया. इस पूजन कार्यक्रम में यजमान की भूमिका में नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और जनकपुर मंदिर के महंत राम तपेश्वर दास मौजूद रहे.
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Uttar Pradesh | Shaligram stones brought from Nepal reached Ayodhya.
— ANI (@ANI) February 2, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
They are expected to be used for the construction of idols of Ram and Janaki. pic.twitter.com/76L3IzNdAF
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— ANI (@ANI) February 2, 2023
They are expected to be used for the construction of idols of Ram and Janaki. pic.twitter.com/76L3IzNdAFUttar Pradesh | Shaligram stones brought from Nepal reached Ayodhya.
— ANI (@ANI) February 2, 2023
They are expected to be used for the construction of idols of Ram and Janaki. pic.twitter.com/76L3IzNdAF
बताते चलें कि बुधवार देर शाम बीते 26 जनवरी को नेपाल के जनकपुर से रवाना हुईं यह शालिग्राम शिलाएं करीब 6 दिन का लंबा सफर पूराकर धर्म नगरी अयोध्या पहुंचीं. जहां देर रात अयोध्या शहर की सीमा में प्रवेश करने पर इन शिलाओं का भव्य स्वागत किया गया. साधु-संतों ने आरती उतारकर शीला लेकर आ रहे राम भक्तों का अभिवादन किया. इसके बाद देर रात तक रामसेवक पुरम में इन शिलाओं का दर्शन करने के लिए लोगों की भीड़ जमा रही.
रामसेवकपुरम परिसर में पहले से ही इन शिलाओं को स्थान देने के लिए तैयारी थी. एक स्थान पर रंग रोगन कर सजाया गया था. इसके बाद गुरुवार सुबह वहां पर एक भव्य पंडाल का निर्माण किया गया. जहां फूलों से सजे पंडाल में इन शिलाओं का 51 वैदिक आचार्यों द्वारा वैदिक मंत्रोचार के बीच पूजन-अर्चन किया गया. शिलाओं पर भगवान श्रीराम का नाम भी लिखा गया. इस दौरान तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय सहित ट्रस्ट के तमाम पदाधिकारी मौजूद रहे. पूजन-अर्चन के दौरान नेपाल से आए हुए अतिथियों ने इन प्रतिमाओं को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंप दिया.
इन शिलाओं से राम मंदिर की मूर्तियां बनाई जाएंगी. श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, डॉ. अनिल मिश्र, मेयर ऋषिकेश उपाध्याय ने शिलाओं को रामसेवकपुरम में रखवाया. सुरक्षा के लिए बाहर पीएसी और पुलिस बल को तैनात किया गया. सूत्रों से पता चला है कि एक शिला का इस्तेमाल गर्भगृह के ऊपर पहली मंजिल पर बनने वाले दरबार में श्रीराम की मूर्ति बनाने में किया जाएगा. वहीं, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की मूर्तियां भी इन्हीं शिलाओं से बनाई जाएंगी. बता दें कि गर्भगृह में अभी श्रीराम सहित चारों भाई बाल रूप में विराजमान हैं. इन प्रतिमाओं के छोटी होने के कारण भक्त अपने आराध्य को निहार नहीं पाते हैं. ऐसे में बताया जा रहा है कि इन प्रतिमाओं का बड़ा स्वरूप बनाया जाएगा. हालांकि, इसको लेकर अभी मंथन चल रहा है. मंदिर प्रशासन की ओर से इसकी पुष्टि नहीं की गई है.
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और विश्व हिंदू परिषद एक साल से इन शिलाओं को लाने का प्रयास कर रहा था. एक शिला का वजन 26 टन है. वहीं, दूसरी शिला का वजन 14 टन है. माना जा रहा है कि यह शिलाएं 6 करोड़ साल पुरानी हैं.
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