कोच्चि : लक्षद्वीप प्रशासन ने आयशा सुल्ताना की अग्रिम जमानत याचिका (anticipatory bail plea ) का विरोध करते हुए अपने बयान में कहा कि जमानत याचिका विचार करने योग्य नहीं है क्योंकि याचिकाकर्ता ने कोई भी वास्तविक और विश्वास करने योग्य कारण नहीं बताया कि उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा. इसमें कहा गया है कि कवरत्ती में रहने वाले एक राजनीतिक नेता द्वारा दर्ज कराई गई एक शिकायत के आधार पर आईपीसी की धारा 124-ए (देशद्रोह) और 153 बी (अभद्र भाषा) के तहत अपराधों के लिए नौ जून को मामला दर्ज किया गया था.
एक नेता ने फिल्मकार के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि सात जून को एक टीवी परिचर्चा के दौरान आयशा सुल्ताना ने केंद्र शासित प्रदेश में कोविड-19 के प्रसार को लेकर के गलत खबर फैलायी है. शिकायत में कहा गया था कि एक मलयालम चैनल (malayalam channel) पर चर्चा के दौरान सुल्ताना ने कथित तौर पर कहा था कि केंद्र सरकार ने लक्षद्वीप के लोगों के खिलाफ जैविक हथियार का इस्तेमाल किया है.
प्रशासन ने बयान में कहा कि सुल्ताना ( Sultana) ने कानून द्वारा स्थापित केंद्र सरकार के खिलाफ गंभीर परिणाम वाला एक आधारहीन बयान दिया. इसमें कहा गया है, ' एंकर द्वारा चेतावनी दिए जाने के बावजूद, उन्होंने कहा कि उन्होंने जो कहा वह उस पर कायम है और यह भी कहा कि वह ऐसा बयान देने के लिए किसी भी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार है.'
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इसमें कहा गया है, 'याचिकाकर्ता (सुल्ताना) द्वारा निराधार दावा भारत सरकार के प्रति लक्षद्वीप के लोगों में घृणा या अवमानना को पैदा करने के लिए पर्याप्त है.' प्रशासन ने कहा कि इसे प्रथम दृष्टया भारत सरकार के प्रति लोगों में असंतोष पैदा करने का प्रयास माना जा सकता है. सुल्ताना ने अपनी याचिका में कहा था कि अगर वह कवरत्ती जाती हैं तो उन्हें गिरफ्तार किए जाने की आशंका है. पुलिस ने उन्हें 20 जून को कवरत्ती थाने में पेश होने के लिये कहा है.
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(पीटीआई-भाषा)