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14 साल की दीक्षा का नासा फेलोशिप के लिए हुआ चयन - NASAs MSI Fellowships Virtual Panel

नासा ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद की रहने वाली दीक्षा शिंदे को फेलोशिप देने की घोषणा की है. 14 साल की छात्रा ने अपनी मेहनत और लगन से एक मुकाम हासिल किया है. दीक्षा ने ब्लैक होल और गॉड पर एक थ्योरी लिखी है, जो नासा को पसंद आई और उनका चयन एमएसआई फेलोशिप वर्चुअल पैनल के लिए किया गया.

दीक्षा शिंदे
दीक्षा शिंदे
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Published : Aug 22, 2021, 5:41 PM IST

औरंगाबाद : महाराष्ट्र के औरंगाबाद की रहने वाली 10वीं कक्षा की छात्रा दीक्षा शिंदे (Diksha Shinde) ने न सिर्फ अपने शहर व प्रदेश का नाम रोशन किया है, बल्कि देश का गौरव बढ़ाया है. दरअसल, 14 साल की दीक्षा शिंदे को नासा फेलोशिप वर्चुअल पैनल (NASA Fellowship Virtual Panel) में पैनलिस्ट के रूप में चुना गया है.

दीक्षा ने ब्लैक होल और गॉड (ईश्वर) के अस्तित्व पर एक शोध पत्र लिखा है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इस लेख की समीक्षा करने के बाद दीक्षा को अपने फेलोशिप पैनल के लिए चुना है. दीक्षा को छह महीने के फेलोशिप प्रोग्राम के लिए चुना गया है और उन्हें प्रतिमाह 50,000 रुपये मानदेय मिलेगा.

दीक्षा शिंदे
दीक्षा शिंदे

अब दीक्षा छह महीने तक एमएसआई फेलोशिप वर्चुअल पैनल की सदस्य के रूप में शोध करेंगी. दीक्षा को नासा में अनुसंधान परियोजनाओं का निरीक्षण करने और सुझाव देने का काम सौंपा गया है.

नासा ने दीक्षा को अक्टूबर में होने वाले विश्व सम्मेलन के लिए भी आमंत्रित किया है.

दीक्षा ने ब्लैक होल और ईश्वर के अस्तित्व पर नासा को भेजे लेख में निष्कर्ष निकाला है कि दुनिया में ईश्वर का कोई अस्तित्व नहीं है. दीक्षा का यह लेख अब नासा की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाएगा.

परिवार के साथ दीक्षा शिंदे
परिवार के साथ दीक्षा शिंदे

दीक्षा ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में बताया कि उन्होंने ब्लैक होल और गॉड पर एक थ्योरी लिखी थी, जो नासा को काफी पसंद आई. उनकी थ्योरी को ध्यान में रखते हुए उन्हें यह फेलोशिप मिली है. दीक्षा ने कहा कि तीन प्रयासों के बाद नासा ने उनके शोध पत्र को स्वीकार किया.

यह भी पढ़ें- भौतिकी विज्ञान विषय पढ़ने के निर्णय ने नासा में मेरे जुनून को आगे बढ़ाने में मदद की : स्वाति मोहन

दीक्षा नासा फेलोशिप के लिए चयनित होने पर बहुत खुश हैं. उन्होंने अपनी कामयाबी का श्रेय अपने परिजनों को दिया, जो उन्हें गाइड कर रहे थे. दीक्षा ने कहा कि वह नासा के माध्यम से देश के लिए बहुत कुछ करना चाहती है.

औरंगाबाद : महाराष्ट्र के औरंगाबाद की रहने वाली 10वीं कक्षा की छात्रा दीक्षा शिंदे (Diksha Shinde) ने न सिर्फ अपने शहर व प्रदेश का नाम रोशन किया है, बल्कि देश का गौरव बढ़ाया है. दरअसल, 14 साल की दीक्षा शिंदे को नासा फेलोशिप वर्चुअल पैनल (NASA Fellowship Virtual Panel) में पैनलिस्ट के रूप में चुना गया है.

दीक्षा ने ब्लैक होल और गॉड (ईश्वर) के अस्तित्व पर एक शोध पत्र लिखा है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इस लेख की समीक्षा करने के बाद दीक्षा को अपने फेलोशिप पैनल के लिए चुना है. दीक्षा को छह महीने के फेलोशिप प्रोग्राम के लिए चुना गया है और उन्हें प्रतिमाह 50,000 रुपये मानदेय मिलेगा.

दीक्षा शिंदे
दीक्षा शिंदे

अब दीक्षा छह महीने तक एमएसआई फेलोशिप वर्चुअल पैनल की सदस्य के रूप में शोध करेंगी. दीक्षा को नासा में अनुसंधान परियोजनाओं का निरीक्षण करने और सुझाव देने का काम सौंपा गया है.

नासा ने दीक्षा को अक्टूबर में होने वाले विश्व सम्मेलन के लिए भी आमंत्रित किया है.

दीक्षा ने ब्लैक होल और ईश्वर के अस्तित्व पर नासा को भेजे लेख में निष्कर्ष निकाला है कि दुनिया में ईश्वर का कोई अस्तित्व नहीं है. दीक्षा का यह लेख अब नासा की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाएगा.

परिवार के साथ दीक्षा शिंदे
परिवार के साथ दीक्षा शिंदे

दीक्षा ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में बताया कि उन्होंने ब्लैक होल और गॉड पर एक थ्योरी लिखी थी, जो नासा को काफी पसंद आई. उनकी थ्योरी को ध्यान में रखते हुए उन्हें यह फेलोशिप मिली है. दीक्षा ने कहा कि तीन प्रयासों के बाद नासा ने उनके शोध पत्र को स्वीकार किया.

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दीक्षा नासा फेलोशिप के लिए चयनित होने पर बहुत खुश हैं. उन्होंने अपनी कामयाबी का श्रेय अपने परिजनों को दिया, जो उन्हें गाइड कर रहे थे. दीक्षा ने कहा कि वह नासा के माध्यम से देश के लिए बहुत कुछ करना चाहती है.

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