प्रयागराज: कॉल्विन अस्पताल में 15 अप्रैल की रात पुलिस कस्टडी में अतीक अहमद और उसके छोटे भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस घटना के बाद पुलिस कमिश्नर ने पूरे मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर दिया. अतीक अशरफ की हत्या की जांच के लिए बनी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम की जांच शुरू हो चुकी है.
एसआईटी हर पहलू से पूरे मामले की जांच कर रही है. इसके साथ ही अतीक अशरफ की हत्या करने वाले तीनों शूटरों की 20 अप्रैल से 23 अप्रैल तक की कस्टडी रिमांड के दौरान तमाम सवाल पूछकर जानकारियां हासिल करने का प्रयास किया. लेकिन, पुलिस को इस कस्टडी रिमांड के दौरान उनके किसी भी सवाल का ऐसा जवाब नहीं मिला, जिससे वो घटना का खुलासा कर सकें. तीनों शूटरों ने इस घटना को खुद के द्वारा प्लानिंग करके ही अंजाम देने बात कही है.
प्रयागराज पुलिस ने अतीक अहमद और अशरफ को मौत के घाट उतारने वाले तीनों शूटरों से कुछ मुख्य सवाल जानने चाहे. लेकिन, शूटरों के जवाब से पुलिस को कुछ नयी जानकारी हासिल नहीं हो सकी है. सूत्रों के द्वारा बताया जा रहा है कि कस्टडी रिमांड के दौरान पुलिस ने लवलेश तिवारी, सनी सिंह और अरुण मौर्या से अलग-अलग व एक साथ बैठाकर भी कई राउंड में पूछताछ की. लेकिन, उन्हें कोई नयी व खास जानकारी हासिल नहीं हो सकी. पुलिस ने घटना के मास्टरमाइंड के बारे में जितने भी सवाल किए तीनों आरोपी उसके लिए खुद को ही जिम्मेदार और साजिशकर्ता बताते रहे. उनका कहना है कि उन्होंने जुर्म की दुनिया में बड़ा नाम कमाने के लिए ये प्लानिंग बनाई थी.
टीवी पर असद को देखकर उसी तरह का काम करने का मन में ठान लिया था
पुलिस कस्टडी के दौरान पूछताछ में सनी सिंह ने कहा कि जब उसने 24 फरवरी को असद को सरेआम सड़क पर विदेशी पिस्टल से फायरिंग करके उमेश पाल को मौत के घाट उतारते हुए टीवी पर देखा था. तभी से उसके मन में कुछ वैसा ही काम करने का आइडिया आने लगा था. उसने यह भी सोच लिया था कि अगर पुलिस असद को पकड़ ले तो उसको ही उसी तरह से मारकर वो सुर्खियों में आ सकता है. लेकिन, असद के पकड़े न जाने से उसका प्लान आगे नहीं बढ़ा. लेकिन, अतीक अहमद और अशरफ को प्रयागराज लाने की जब उसे जानकारी मिली, तभी उसने तय कर लिया था कि अतीक अहमद और अशरफ को मारकर बहुत बड़ा डॉन बनना है. इसके बाद उसने लवलेश तिवारी और अरुण मौर्या के साथ मिलकर पूरी घटना को अंजाम देने की योजना बना डाली.
सनी का कहना था कि जब से उसने टीवी पर असद को फायरिंग करते हुए देखा था, तभी उसके मन में ये योजना चलनी शुरू हो गई थी कि कुछ इसी तरह का बड़ा काम करना है, जिससे कि देश दुनिया में उसका नाम भी इसी तरह से सुर्खियों में छा जाए. सूत्रों की मानें तो तीनों हत्यारों ने किसी भी और साजिशकर्ता का नाम नहीं बताया है. सनी ने यह जरूर कहा था कि वह लॉरेंस विश्नोई का फैन है और लगातार उसका वीडियो देखता रहता था. लॉरेंस बिश्नोई की तरह खलनायक बनकर जुर्म की दुनिया में राज करेगा. इसके लिए अतीक अहमद और अशरफ की हत्या करने की योजना को न सिर्फ बनाया, बल्कि उसे अंजाम तक पहुंचा भी दिया.
जितेन्द्र गोगी गैंग से मिली विदेशी पिस्टल
एसआईटी की टीम ने पूछताछ में आरोपियों से पूछा था कि उन्हें तुर्किये की विदेशी पिस्टल कहां से मिली. उनको पिस्टल किसने और क्यों दी. इस सवाल के जवाब में सनी ने बताया कि विदेशी पिस्टल जिगाना और गिरसाना पिस्टल उसको दिल्ली के जितेन्द्र गोगी से मिली थी. सनी का कहना है कि उसने जितेंद्र गोगी गैंग के साथ मिलकर भी काम किया था. दिल्ली एनसीआर में रहने वाले किसी वकील की हत्या की सुपारी उसको दी गई थी. उस काम के लिए ही जितेन्द्र गोगी ने उसे दोनों विदेशी पिस्टल भी दी थी.
उस वकील की हत्या भी मीडिया वाला बनकर ही कचहरी में जाकर करने की योजना थी. लेकिन, घटना को करने से पहले ही जितेन्द्र की हत्या हो गई. इसके बाद उसने दोनों विदेशी पिस्टल अपने पास रख ली थी. जबकि, वारदात में इस्तेमाल की गई तीसरी पिस्टल देशी थी. लवलेश ने तो 2018 में देशी पिस्टल के साथ ही फेसबुक पर एक फोटो भी अपलोड कर दी थी. यही नहीं, एसआईटी की पूछताछ में सनी ने बताया कि उसकी लवलेश से दोस्ती बांदा जेल में हुई थी और पेशी पर आने के दौरान अरुण से भी संपर्क हुआ और फिर तीनों दोस्त बन गए थे. जमानत पर जेल से छूटने के बाद तीनों एनसीआर एरिया में मिलते थे. वहीं, पर तीनों ने अतीक की हत्या की साजिश रची और सनी के समझाने पर एक बड़ा काम करने में जुट गए.
किसी और को न मारना और फंसने पर सरेंडर करने का ही प्लान था
कस्टडी के दौरान पुलिस को आरोपियों ने यह भी बताया कि उन्होंने प्लान बनाते समय ही यह तय किया था कि अटैक के समय अतीक और अशरफ के अलावा कोई और घायल भी न हो. खासतौर से किसी भी पुलिस वाले पर हमला करना प्लान में शामिल नहीं था. वारदात करके भागने का प्लान था. लेकिन, मौके से पैदल भागने में खतरा दिखा, इसी वजह से ऐन मौके पर हत्या करके हथियार फेंककर सरेंडर किया गया. उसी दौरान डर और घबराहट बढ़ने की वजह से उन्होंने धार्मिक नारे लगा दिए थे, जिससे पुलिस उन पर गोलियां न चलाए. हथियार भी इसी वजह से तुंरत मौके पर फेंक दिए गए थे, जिससे कि मीडिया वालों के सामने निहत्थे होने की वजह से पुलिस उन पर फायर न करें.
कुछ और जानकारियां भी एसआईटी को मिली
सूत्रों के मुताबिक, सनी ने बताया कि वो हमेशा गोगी गैंग के लोगों से मिलने के दौरान एनसीआई शब्द सुनता था. इस वजह से उसने एनसीआर नाम के माइक का इस्तेमाल किया. पूरी तरह से मीडिया वाला दिखने के लिए दिल्ली से बड़ा सा पुराना कैमरा भी खरीदा और वहीं से माइक का भी इंतजाम किया था. यही नहीं एनसीआर के जितेन्द्र गोगी से उसने पिस्टल ली थी. कैमरा दिल्ली से लिया और एनसीआर नाम थोड़ा ज्यादा महत्वपूर्ण लगा जिस कारण उसने एनसीआर न्यूज नाम का इस्तेमाल किया था. इसके अलावा उन लोगों ने यह भी बताया कि पिस्टल में जितनी गोलियां थीं, लगभग सब अतीक अशरफ के ऊपर चला दी थीं.
सनी ने जिगाना से 13 व लवलेश ने गिरसान से 11 राउंड और अरुण ने देशी पिस्टल से 4 राउंड फायरिंग की थी. अरुण मीडिया वालों के बीच फंस गया था, जिस कारण वो सिर्फ 4 राउंड ही फायरिंग कर पाया था. सनी ने अशरफ के उपर गोलियां दागी थीं. जबकि, लवलेश ने बाहुबली अतीक अहमद को निशाना बनाकर उस पर फायरिंग की थी. इस तरह से पूछताछ के दौरान पता चला कि मौके पर 28 राउंड फायरिंग की गई थी. वहीं, लवलेश का कहना है कि उसने अतीक की हत्या करके उसके आतंक का अंत कर दिया है. वहीं, अरुण मौर्या ने यह भी बताया कि अतीक और अशरफ को मारना है. इस बात की जानकारी उसको तब हुई, जब वो प्रयागराज के होटल में पहुंच गया था. लेकिन, दोस्ती और साथ निभाने के लिए वो भी इस कांड में शामिल होने के लिए राजी हो गया.
पुलिस कई और सवालों के तलाश रही है जवाब
वहीं चार दिन की इस पूछताछ के बाद भी पुलिस कई सवाल का कोई जवाब हासिल नहीं कर सकी है. इन तीन शूटरों के पीछे चौथे किस व्यक्ति का हाथ है. पुलिस को जो शक था कि इस घटना के पीछे किसी बड़े माफिया, व्यापारी, बिल्डर या राजनेता का हाथ तो नहीं है. उसका पुलिस को कोई भी ठोस जवाब नहीं मिल पाया है. हालांकि, पुलिस ने इन तीनों के होटल से 2 मोबाइल फोन बरामद किए थे. इसमें सिम कार्ड नहीं लगा हुआ था. पुलिस उसी मोबाइल के आईएमईआई नंबर के सहारे कॉल डिटेल निकलवाने में जुटी हुई है. कॉल डिटेल से पुलिस को यह पता चल सकता है कि उन लोगों ने किससे-किससे कब संपर्क किया. क्योंकि, पुलिस को शक है कि इतनी बड़ी घटना की साजिश के पीछे कुछ और लोगों का हाथ हो सकता है. इसके साथ ही पुलिस के पास कई और ऐसे सवाल हैं, जिसका जवाब वो तलाशने में जुटी हुई है.
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