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Scam in Atal Ahar Yojana: महाराष्ट्र में अटल आहार योजना में 400 करोड़ रुपये का घोटाला! - चंद्रपुर जिले में अटल आहार योजना घोटाला

महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में अटल आहार योजना में कथित घोटाला सामने आया है. आरोप है कि इस योजना के लाभार्थी गांव की आबादी से अधिक है. इस योजना के तहत श्रमिकों को दो वक्त का भोजन दिया जाता है.

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Etvमहाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में अटल आहार योजना घोटाला हुआ उजागर Bharat
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Published : Apr 30, 2023, 7:05 AM IST

चंद्रपुर: जिले के कुछ गांवों में अटल आहार योजना में कथित घोटाला सामने आया है. आरोप है कि गांव की आबादी से ज्यादा लाभार्थियों की संख्या देखी गई. यहां लाभार्थियों की संख्या कागजों में बढ़ा दी गई. इस योजना के माध्यम से विदर्भ में लगभग 400 करोड़ रुपये का कथित भ्रष्टाचार हुआ है और महाराष्ट्र में यह आंकड़ा एक हजार करोड़ रुपये से अधिक है.

राज्य सरकार ने सरकारी भवनों के निर्माण में लगे पंजीकृत श्रमिकों को दो समय के भोजन की सुविधा प्रदान करने के लिए अटल आहार योजना शुरू की थी. इसके माध्यम से श्रमिकों को दो समय का भोजन उपलब्ध कराया जाता है. हालांकि, चंद्रपुर जिले में इस अटल आहार योजना में एक बड़ा घोटाला सामने आया है. यहां फर्जी मजदूरों के नाम लाभार्थी मजदूरों की सूची में शामिल कर मोटी रकम वसूल किया गया.

कोरपना तालुक के पिपरदा गांव की आबादी 700 है. हालांकि, कागजों पर यहां मजदूरों की संख्या 735 बताई गई है. जिन गांवों में कोई सरकारी काम नहीं है, वहां से भी राशि वसूल की गई है. इस पूरे घोटाले को राकांपा के पदाधिकारी आबिद अली और कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रकाश देवताले सामने लाए हैं. उन्होंने गंभीर आरोप लगाया है कि पूरे प्रदेश में एक ही तरह से करोड़ों का भ्रष्टाचार किया गया. ऐसे में अब अटल आहार योजना के क्रियान्वयन पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा हो गया है.

अटल आहार योजना कोरोना के संकट से पहले तैयार की गई थी. फिर 2019-20 में इस योजना को प्रथम चरण में राज्य के शहरी क्षेत्रों में लागू किया गया. 2020-21 में इस योजना में और जिले बढ़ाए गए और राज्य में 3 कंपनियों को विभागवार ठेके दिए गए. इसमें जस्ट किचन प्रा. लिमिटेड सर्विसेज, इंडो अलाई फूड प्रा. लिमिटेड और गुनिता कमर्शियल प्रा. लिमिटेड ये तीन कंपनियां शामिल हैं.

ये भी पढ़ें- Maharashtra News: बरसू रिफाइनरी परियोजना को लेकर ग्रामीणों का आंदोलन, पुलिस ने किया लाठीचार्ज

आरोप है कि अपर श्रमायुक्त एवं सहायक श्रमायुक्त के कार्यालय में श्रमिकों का पंजीयन न होने पर फर्जी पंजीयन की संख्या बढ़ा-चढ़ा कर फर्जी तरीके से इस योजना के लाभार्थियों के चयन की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया है. राष्ट्रवादी कांग्रेस के आबिद अली और भवन निर्माण बोर्ड के पूर्व सदस्य व कांग्रेस के जिलाध्यक्ष प्रकाश देवताले ने आरोप लगाया है कि समझौते की शर्तों का उल्लंघन कर सैकड़ों करोड़ रुपये सरकार पर थोपे गए हैं. इस पूरे घोटाले को लेकर जब चंद्रपुर की श्रमायुक्त जानकी भोइते से संपर्क किया गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. फिर संभागीय आयुक्त नितिन पाटणकर से संपर्क किया तो उन्होंने भी इस पर कोई जवाब नहीं दिया.

चंद्रपुर: जिले के कुछ गांवों में अटल आहार योजना में कथित घोटाला सामने आया है. आरोप है कि गांव की आबादी से ज्यादा लाभार्थियों की संख्या देखी गई. यहां लाभार्थियों की संख्या कागजों में बढ़ा दी गई. इस योजना के माध्यम से विदर्भ में लगभग 400 करोड़ रुपये का कथित भ्रष्टाचार हुआ है और महाराष्ट्र में यह आंकड़ा एक हजार करोड़ रुपये से अधिक है.

राज्य सरकार ने सरकारी भवनों के निर्माण में लगे पंजीकृत श्रमिकों को दो समय के भोजन की सुविधा प्रदान करने के लिए अटल आहार योजना शुरू की थी. इसके माध्यम से श्रमिकों को दो समय का भोजन उपलब्ध कराया जाता है. हालांकि, चंद्रपुर जिले में इस अटल आहार योजना में एक बड़ा घोटाला सामने आया है. यहां फर्जी मजदूरों के नाम लाभार्थी मजदूरों की सूची में शामिल कर मोटी रकम वसूल किया गया.

कोरपना तालुक के पिपरदा गांव की आबादी 700 है. हालांकि, कागजों पर यहां मजदूरों की संख्या 735 बताई गई है. जिन गांवों में कोई सरकारी काम नहीं है, वहां से भी राशि वसूल की गई है. इस पूरे घोटाले को राकांपा के पदाधिकारी आबिद अली और कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रकाश देवताले सामने लाए हैं. उन्होंने गंभीर आरोप लगाया है कि पूरे प्रदेश में एक ही तरह से करोड़ों का भ्रष्टाचार किया गया. ऐसे में अब अटल आहार योजना के क्रियान्वयन पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा हो गया है.

अटल आहार योजना कोरोना के संकट से पहले तैयार की गई थी. फिर 2019-20 में इस योजना को प्रथम चरण में राज्य के शहरी क्षेत्रों में लागू किया गया. 2020-21 में इस योजना में और जिले बढ़ाए गए और राज्य में 3 कंपनियों को विभागवार ठेके दिए गए. इसमें जस्ट किचन प्रा. लिमिटेड सर्विसेज, इंडो अलाई फूड प्रा. लिमिटेड और गुनिता कमर्शियल प्रा. लिमिटेड ये तीन कंपनियां शामिल हैं.

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आरोप है कि अपर श्रमायुक्त एवं सहायक श्रमायुक्त के कार्यालय में श्रमिकों का पंजीयन न होने पर फर्जी पंजीयन की संख्या बढ़ा-चढ़ा कर फर्जी तरीके से इस योजना के लाभार्थियों के चयन की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया है. राष्ट्रवादी कांग्रेस के आबिद अली और भवन निर्माण बोर्ड के पूर्व सदस्य व कांग्रेस के जिलाध्यक्ष प्रकाश देवताले ने आरोप लगाया है कि समझौते की शर्तों का उल्लंघन कर सैकड़ों करोड़ रुपये सरकार पर थोपे गए हैं. इस पूरे घोटाले को लेकर जब चंद्रपुर की श्रमायुक्त जानकी भोइते से संपर्क किया गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. फिर संभागीय आयुक्त नितिन पाटणकर से संपर्क किया तो उन्होंने भी इस पर कोई जवाब नहीं दिया.

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