गोरखपुर: अगर आप भारत में रहते हैं तब, भारत के कुछ हिस्सों से कल यानि 18 अगस्त 2023 को आपकी परछाई भी छोड़ देगी आपका साथ. यह घटना जीरो शैडो डे की वजह से होगी. वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला गोरखपुर के खगोलविद अमर पाल सिंह ने इस विषय पर बताया कि अगर आप पृथ्वी पर खड़े हैं और सूर्य आपके सिर के ठीक ऊपर दिखाई दे रहा हो, उस दौरान पृथ्वी के कुछ हिस्सों या स्थानों पर जीरो शैडो डे की स्थिति बनती है.
यह जीरो शैडो डे की स्थिति एक साथ पृथ्वी के सभी जगहों पर नहीं बनती है. इसके बनने का मुख्य कारण है कि जब सूर्य की किरणें पृथ्वी के कुछ हिस्सों या स्थानों पर लंबवत पड़ती हैं, तब कुछ खास समय के लिए किसी भी वस्तु की छाया दिखाई नहीं देती है. जैसे कि किसी खंभे की छाया इधर-उधर न दिखाई देकर उसके बिल्कुल निचले हिस्से पर ही दिखाई देती है. या यूं कहें कि अगर आप किसी खुले स्थान पर खड़े हैं और सूर्य आपके सिर के ठीक ऊपर दिख रहा है, तब आपकी परछाई आपके पैरों के तले ही बनती हुई नजर आती है, इसी खगोलीय घटना को खगोल विज्ञान की भाषा में 'जीरो शैडो डे' या 'शून्य छाया दिवस' कहा जाता है.
खगोलविद ने बताया कि यह घटना साल में दो बार घटित होने वाली खगोलीय घटना है. जब एक बार सूर्य उत्तरायण में होता है और दूसरी बार सूर्य दक्षिणायन में होता है. उन्हीं तिथियों के दौरान यह जीरो शैडो डे की घटना घटित होती है. पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 अंश झुकी हुई है, इस कारण यह घटना केवल +23.5 अंश से लेकर -23.5 अंश के बीच ही बनती है. इसी कारण यह पृथ्वी के अलग-अलग स्थानों से अलग-अलग समय पर दिखाई देती है.
इसका दिखना स्थान के लैटिट्यूड और लॉन्गिक्यूड पर निर्भर करता है. यह केवल उन्हीं स्थानों पर दिखाई देता है जो स्थान या जगह ट्रोपिक ऑफ कैंसर और ट्रोपिक ऑफ कैप्रीकॉर्न (मकर रेखा और कर्क रेखा) के मध्य और पास में ही पड़ते हैं. इसी कारण इसे एक साथ में सम्पूर्ण भारत में नहीं देखा जा सकता है. जैसे कि 18 अगस्त 2023 को यह खगोलीय घटना केवल बेंगलुरु, मंगलौर, मूदबिद्री, बंटाल, हासन, तिरुवल्लूर, अराकोनम और उसके आस पास के स्थानों से ही देखी जा सकती है. इस बार 18 अगस्त 2023 को बेंगलुरु में इसका समय दोपहर 12 बजकर 24 मिनट है. इस दौरान बेंगलुरु में जीरो शैडो डे दिखाई देगा. ऐसे ही अगली बार इस खगोलीय घटना को 1 सितंबर 2023 को कन्याकुमारी, नागरकोइल, कुंडानुकूलम, कटचल आदि स्थानों से ही देखा जा सकेगा.
खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि यह भी जानना बेहद जरूरी होता है कि पृथ्वी से किसी भी खगोलीय घटनाओं का दिखना और न दिखना स्थान, समय, देश काल और मौसम की वायुमंडलीय परिस्थितियों पर ही निर्भर करता है. सूर्य निकलेगा, मौसम साफ होगा तो ही यह घटना लोगों को घटित होते दिखाई भी देगी. इस घटना को भारत के केवल कुछ हिस्सों से ही देखा जा सकता है. इस खागोलीय घटना को शुक्रवार को उत्तर प्रदेश से नहीं देखा जा सकेगा और अन्य कई राज्यों से भी नहीं देखा जा सकेगा.
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