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असम: बिहू की तैयारियां जोरों पर, लोगों में उत्साह - असम में बोहाग बिहू की तैयारी जोरों पर

असम में मनाए जाने वाले बोहाग बिहू या रोंगाली बिहू का बहुत महत्व है. यह त्योहार धार्मिक महोत्सव के रूप में मनाया जाता है. बिहू असम का सबसे प्रसिद्ध त्योहार है.

Assam is readying for the most colourful festival of the state, Rongali Bihu or Bohag Bihu.
असम में मनाए जाने वाले बोहाग बिहू की तैयारी जोरों पर
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Published : Apr 12, 2022, 11:57 AM IST

Updated : Apr 12, 2022, 12:05 PM IST

गुवाहाटी: असम में मनाए जाने वाले बोहाग बिहू या रोंगाली बिहू त्योहार की तैयारियां राज्य में धूमधाम से की जा रही है. बिहू का पहला दिन 14 अप्रैल को राज्य में गोरू बिहू (मवेशी बिहू) के रूप में मनाया जाने वाला है. गोरू बिहू पर लोग अपने मवेशियों को पास के तालाब में ले जाकर उन्हें औपचारिक स्नान कराते हैं. मवेशियों को दिघलाती पात (औषधीय मूल्य वाले पौधे की पत्ती) से पीटते है जिससे उनके शरीर से मक्खियां और कीड़े दूर भाग जाते हैं.

लोग जानवरों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करते हुए दिघलाती पात से पीटते हुए कुछ भजन भी गाते हैं. बिहू का दूसरा दिन (15 अप्रैल) नए असमिया कैलेंडर के पहले दिन पड़ेगा. इस दिन को मनुह बिहू (मानव बिहू) के रूप में जाना जाता है. मनुह बिहू पर लोग स्नान करते हैं और नए कपड़े पहनतें हैं. राज्य में जगह- जगह गायन और नृत्य का आयोजन किया जाता है और लोग इसका आनंद उठाते हैं.

ये भी पढ़ें- Horoscope Today 12 April 2022 राशिफल : मिथुन और तुला राशि वालों को 'अर्थलाभ' की संभावना

मनुह बिहू के दिन लोग परिवार के बुजुर्ग लोगों के पास जाते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं. बुजुर्ग लोग बिहुवन (पारंपरिक असमिया तौलिया जिसे गमछा के नाम से जाना जाता है) अपने से छोटों को देते हैं और उन्हें उनके अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए आशीर्वाद देते हैं. बोहाग बिहू या रोंगाली बिहू एक सप्ताह तक चलने वाला त्योहार है. यह उत्सव पूरे महीने और उसके बाद भी जारी रहता है. इस दौरान लोग राज्य के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और समारोहों का आयोजन करते हैं.

गुवाहाटी: असम में मनाए जाने वाले बोहाग बिहू या रोंगाली बिहू त्योहार की तैयारियां राज्य में धूमधाम से की जा रही है. बिहू का पहला दिन 14 अप्रैल को राज्य में गोरू बिहू (मवेशी बिहू) के रूप में मनाया जाने वाला है. गोरू बिहू पर लोग अपने मवेशियों को पास के तालाब में ले जाकर उन्हें औपचारिक स्नान कराते हैं. मवेशियों को दिघलाती पात (औषधीय मूल्य वाले पौधे की पत्ती) से पीटते है जिससे उनके शरीर से मक्खियां और कीड़े दूर भाग जाते हैं.

लोग जानवरों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करते हुए दिघलाती पात से पीटते हुए कुछ भजन भी गाते हैं. बिहू का दूसरा दिन (15 अप्रैल) नए असमिया कैलेंडर के पहले दिन पड़ेगा. इस दिन को मनुह बिहू (मानव बिहू) के रूप में जाना जाता है. मनुह बिहू पर लोग स्नान करते हैं और नए कपड़े पहनतें हैं. राज्य में जगह- जगह गायन और नृत्य का आयोजन किया जाता है और लोग इसका आनंद उठाते हैं.

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मनुह बिहू के दिन लोग परिवार के बुजुर्ग लोगों के पास जाते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं. बुजुर्ग लोग बिहुवन (पारंपरिक असमिया तौलिया जिसे गमछा के नाम से जाना जाता है) अपने से छोटों को देते हैं और उन्हें उनके अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए आशीर्वाद देते हैं. बोहाग बिहू या रोंगाली बिहू एक सप्ताह तक चलने वाला त्योहार है. यह उत्सव पूरे महीने और उसके बाद भी जारी रहता है. इस दौरान लोग राज्य के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और समारोहों का आयोजन करते हैं.

Last Updated : Apr 12, 2022, 12:05 PM IST
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