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जंगली हथिनी की मौत मामले में असम के किसान को 39 महीने की जेल

हाथी को खेत में आने से रोकने के लिए किसान ने इलक्ट्रोक्यूशंस लगया था. जिसकी चपेट में आने से हथिनी की मौत हो गई थी. कोर्ट ने किसान पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

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Published : Mar 6, 2021, 10:04 PM IST

गुवाहाटी : असम की एक अदालत ने शनिवार को एक किसान को बिजली की तार (इलक्ट्रोक्यूशंस) के जरिए हथिनी को मारने के लिए 39 महीने की जेल और 10,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है. असम के वन विभाग के वन्यजीव विंग के एक अधिकारी ने कहा कि पश्चिमी असम के बक्सा जिला और सत्र न्यायाधीश अमीनुर रहमान ने एक वयस्क हथिनी को मारने के लिए रंजन सिंह को तीन साल और तीन महीने के सश्रम कारावास की सजा सुनाई.

न्यायाधीश ने शुक्रवार को अपने आदेश में सिंह पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया और कहा कि जुर्माना न भरने की स्थिति में दो और महीने की जेल की सजा काटनी होगी.

अधिकारी ने मीडिया को बताया, 'जंगली हथिनी भोजन की तलाश में मैदान में आई थी, लेकिन अपनी फसल को जंगली जानवरों से बचाने के लिए सिंह द्वारा लगाए गए बिजली की तार के चपेट में आ गया.'

घटना के बाद, तमुलपुर के वन अधिकारियों ने सिंह के खिलाफ वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत मामला दर्ज किया था. हथिनी का शव और अपराध में प्रयुक्त सामग्री भी जब्त की गई. हथिनी के पोस्टमॉर्टम से पता चला है कि इलेक्ट्रोक्यूशन की वजह से उसकी मौत हो गई थी.

वन्यजीव कार्यकर्ताओं ने निर्णय की सराहना की, लेकिन कहा कि संबंधित अधिकारियों को किसानों को उनकी फसल की क्षतिपूर्ति भी तेजी से दी जानी चाहिए, ताकि मानव-पशु संघर्षो को कम किया जा सके.

गुवाहाटी : असम की एक अदालत ने शनिवार को एक किसान को बिजली की तार (इलक्ट्रोक्यूशंस) के जरिए हथिनी को मारने के लिए 39 महीने की जेल और 10,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है. असम के वन विभाग के वन्यजीव विंग के एक अधिकारी ने कहा कि पश्चिमी असम के बक्सा जिला और सत्र न्यायाधीश अमीनुर रहमान ने एक वयस्क हथिनी को मारने के लिए रंजन सिंह को तीन साल और तीन महीने के सश्रम कारावास की सजा सुनाई.

न्यायाधीश ने शुक्रवार को अपने आदेश में सिंह पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया और कहा कि जुर्माना न भरने की स्थिति में दो और महीने की जेल की सजा काटनी होगी.

अधिकारी ने मीडिया को बताया, 'जंगली हथिनी भोजन की तलाश में मैदान में आई थी, लेकिन अपनी फसल को जंगली जानवरों से बचाने के लिए सिंह द्वारा लगाए गए बिजली की तार के चपेट में आ गया.'

घटना के बाद, तमुलपुर के वन अधिकारियों ने सिंह के खिलाफ वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत मामला दर्ज किया था. हथिनी का शव और अपराध में प्रयुक्त सामग्री भी जब्त की गई. हथिनी के पोस्टमॉर्टम से पता चला है कि इलेक्ट्रोक्यूशन की वजह से उसकी मौत हो गई थी.

वन्यजीव कार्यकर्ताओं ने निर्णय की सराहना की, लेकिन कहा कि संबंधित अधिकारियों को किसानों को उनकी फसल की क्षतिपूर्ति भी तेजी से दी जानी चाहिए, ताकि मानव-पशु संघर्षो को कम किया जा सके.

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