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असम कांग्रेस में अंतर्कलह, पार्टी आलाकमान के सामने नई चुनौती - Assam Congress infighting

असम विधानसभा चुनाव 2021 के नतीजे घोषित होने के बाद से ही कांग्रेस की राज्य इकाई में अंदरूनी कलह खुलकर देखने को मिल रहा है. पार्टी का एक गुट असम कांग्रेस प्रमुख रिपुन बोरा को हटाने की मांग कर रहा है. असम कांग्रेस के मीडिया विभाग की अध्यक्ष बबीता शर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत में सभी मुद्दों पर खुल कर अपनी राय रखी.

रिपुन बोरा
रिपुन बोरा
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Published : Jun 24, 2021, 10:43 PM IST

नई दिल्ली : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) वर्तमान में पंजाब कांग्रेस में अंदरूनी कलह को खत्म करने की कोशिश में जुड़ी है. लेकिन उसे जल्द ही असम की राज्य इकाई में चल रही गुटबाजी से निपटने के लिए असम का रुख करना पड़ सकता है.

असम कांग्रेस के नेताओं का एक वर्ग प्रदेश कांग्रेस कमेटी (APCC) के प्रमुख रिपुन बोरा (Ripun Bora) को हटाने की मांग कर रहा है. उन्हें लगता है कि चीजें ज्यादा बिगड़ने से पहले, यह उचित समय है कि केंद्रीय नेतृत्व को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए.

बता दें कि असम की मरियानी (Mariani) विधानसभा सीट से चार बार विधायक रह चुके रूपज्योति कुर्मी (Rupjyoti Kurmi) ने हाल ही में पार्टी से इस्तीफा दे दिया था, इसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए.

कुर्मी ने आरोप लगाया था कि उनके जैसे युवा नेताओं को असम कांग्रेस में दरकिनार कर दिया गया था. साथ ही उनका कहना है कि विभिन्न राज्यों में बार-बार चुनावी विफलताओं के लिए पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व जिम्मेदार है.

असम कांग्रेस के मीडिया विभाग की अध्यक्ष बबीता शर्मा (Bobbeeta Sharma) ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि लोकतंत्र का सार यह है कि यह अलग-अलग विचारों को विश्वास और सम्मान देता है.

पार्टी में नेतृत्व का संकट नहीं
शर्मा ने कहा, असम कांग्रेस के पास कई सक्षम नेता हैं और यह केंद्रीय नेतृत्व को इन अलग-अलग विचारों को ध्यान में रखकर निर्णय लेना है. इसका मतलब यह नहीं है कि पार्टी में नेतृत्व का संकट है.

हाल में संपन्न हुए असम विधानसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर शर्मा ने कहा कि जब भी नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं होते हैं तो हर पार्टी को गहराई से विश्लेषण और आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत होती है.

शर्मा ने कहा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण की अध्यक्षता में पहले ही एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था और उन्होंने अपनी रिपोर्ट पार्टी आलाकमान को सौंप दी है.

असम कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो कई अन्य नेता भी भाजपा में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ने की योजना बना रहे हैं. नाम न जाहिर करने की शर्त पर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'मैं कुछ और दिन इंतजार करूंगा. अगर हमारी शिकायतों को निपटाने में पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व आगे नहीं आता है, तो हम पार्टी छोड़ने पर विचार कर सकते हैं.

भाजपा पर कांग्रेस में असंतोष भड़काने का आरोप
हालांकि, बबीता शर्मा ने भाजपा पर कांग्रेस में असंतोष को भड़काने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, 'हम इस बात के गवाह हैं कि भाजपा ने कई राज्यों में विधायकों की खरीद-फरोख्त की है और कांग्रेस की सरकार गिराई है. लोकतंत्र में विपक्ष को अस्तित्व में नहीं आने देना भाजपा की नीति है. भाजपा को यह पसंद नहीं है कि कोई उनसे सवाल करे.

उन्होंने कहा कि भाजपा को लेकर यह भी मशहूर है कि वह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और अन्य जांच एजेंसियों के सहारे दूसरे दलों के लोगों को ब्लैकमेल करती है.

यह भी पढ़ें- सर्वदलीय बैठक में पीएम मोदी के सामने कांग्रेस ने इन पांच मुद्दों को उठाया

असम कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन के बारे में पूछे जाने पर, शर्मा ने कहा कि चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद मौजूदा अध्यक्ष ने पहले ही अपना इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा, उन्हें केंद्रीय नेतृत्व द्वारा नए अध्यक्ष की नियुक्ति तक काम पर रखने के लिए कहा गया है.

नई दिल्ली : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) वर्तमान में पंजाब कांग्रेस में अंदरूनी कलह को खत्म करने की कोशिश में जुड़ी है. लेकिन उसे जल्द ही असम की राज्य इकाई में चल रही गुटबाजी से निपटने के लिए असम का रुख करना पड़ सकता है.

असम कांग्रेस के नेताओं का एक वर्ग प्रदेश कांग्रेस कमेटी (APCC) के प्रमुख रिपुन बोरा (Ripun Bora) को हटाने की मांग कर रहा है. उन्हें लगता है कि चीजें ज्यादा बिगड़ने से पहले, यह उचित समय है कि केंद्रीय नेतृत्व को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए.

बता दें कि असम की मरियानी (Mariani) विधानसभा सीट से चार बार विधायक रह चुके रूपज्योति कुर्मी (Rupjyoti Kurmi) ने हाल ही में पार्टी से इस्तीफा दे दिया था, इसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए.

कुर्मी ने आरोप लगाया था कि उनके जैसे युवा नेताओं को असम कांग्रेस में दरकिनार कर दिया गया था. साथ ही उनका कहना है कि विभिन्न राज्यों में बार-बार चुनावी विफलताओं के लिए पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व जिम्मेदार है.

असम कांग्रेस के मीडिया विभाग की अध्यक्ष बबीता शर्मा (Bobbeeta Sharma) ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि लोकतंत्र का सार यह है कि यह अलग-अलग विचारों को विश्वास और सम्मान देता है.

पार्टी में नेतृत्व का संकट नहीं
शर्मा ने कहा, असम कांग्रेस के पास कई सक्षम नेता हैं और यह केंद्रीय नेतृत्व को इन अलग-अलग विचारों को ध्यान में रखकर निर्णय लेना है. इसका मतलब यह नहीं है कि पार्टी में नेतृत्व का संकट है.

हाल में संपन्न हुए असम विधानसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर शर्मा ने कहा कि जब भी नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं होते हैं तो हर पार्टी को गहराई से विश्लेषण और आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत होती है.

शर्मा ने कहा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण की अध्यक्षता में पहले ही एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था और उन्होंने अपनी रिपोर्ट पार्टी आलाकमान को सौंप दी है.

असम कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो कई अन्य नेता भी भाजपा में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ने की योजना बना रहे हैं. नाम न जाहिर करने की शर्त पर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'मैं कुछ और दिन इंतजार करूंगा. अगर हमारी शिकायतों को निपटाने में पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व आगे नहीं आता है, तो हम पार्टी छोड़ने पर विचार कर सकते हैं.

भाजपा पर कांग्रेस में असंतोष भड़काने का आरोप
हालांकि, बबीता शर्मा ने भाजपा पर कांग्रेस में असंतोष को भड़काने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, 'हम इस बात के गवाह हैं कि भाजपा ने कई राज्यों में विधायकों की खरीद-फरोख्त की है और कांग्रेस की सरकार गिराई है. लोकतंत्र में विपक्ष को अस्तित्व में नहीं आने देना भाजपा की नीति है. भाजपा को यह पसंद नहीं है कि कोई उनसे सवाल करे.

उन्होंने कहा कि भाजपा को लेकर यह भी मशहूर है कि वह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और अन्य जांच एजेंसियों के सहारे दूसरे दलों के लोगों को ब्लैकमेल करती है.

यह भी पढ़ें- सर्वदलीय बैठक में पीएम मोदी के सामने कांग्रेस ने इन पांच मुद्दों को उठाया

असम कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन के बारे में पूछे जाने पर, शर्मा ने कहा कि चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद मौजूदा अध्यक्ष ने पहले ही अपना इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा, उन्हें केंद्रीय नेतृत्व द्वारा नए अध्यक्ष की नियुक्ति तक काम पर रखने के लिए कहा गया है.

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