वाराणसी: ज्ञानवापी मामले के मूल मुकदमे यानी 1991 के लॉर्ड विश्वेश्वर प्रकरण की सुनवाई सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट की अदालत में जारी है. इस मामले में पहले ही हाईकोर्ट ने 6 महीने के अंदर सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया है. इसके बाबत कोर्ट ने पिछले दिनों आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया (Archaeological Survey of India) को यह स्पष्ट निर्देश दिया था कि 19 जनवरी को वाराणसी कोर्ट में होने वाली सुनवाई में हाल ही में किये गए सर्वे की रिपोर्ट साक्ष्य के रूप में दाखिल की जाए.
इस पर शुक्रवार को एएसआई को अपनी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करनी थी, लेकिन आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की तरफ से उनके वकील ने एप्लीकेशन देकर इस मामले में 7 दिन का अतिरिक्त समय मांगा है. वकील की तरफ से दिए गए एप्लीकेशन में कहा गया है, की रिपोर्ट की दूसरी कॉपी तैयार करने में वक्त लग रहा है. इसलिए एक सप्ताह का समय दिया जाए. इस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 25 जनवरी की तिथि निर्धारित की है.
वहीं मुख्य वाद में वादमित्र वकील विजय शंकर रस्तोगी की जगह अपना नाम चढ़ावा कर इस मामले में आगे पर भी करने के लिए व्यास जी के नाती की तरफ से भी एक एप्लीकेशन दी गई है. इस पर सुनवाई 25 को होगी. इस बारे में वादी पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने बताया कि शुक्रवार को ज्ञानवापी प्रकरण के मूल वाद लॉर्ड विशेश्वर प्रकरण पर सीनियर जैसे सिविल डिवीजन फास्ट ट्रैक में सुनवाई होनी थी. इस मामले में आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया को अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने के लिए कहा गया था, लेकिन उनके वकील की तरफ से एक एप्लीकेशन दी गई है.
इसमें यह कहा गया है की रिपोर्ट की एक अतिरिक्त कॉफी बनाने में वक्त लग रहा है. जिसके लिए एक सप्ताह का वक्त कोर्ट की तरफ से उन्हें दिया जाए. इस एप्लीकेशन पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया को 25 जनवरी तक का समय दिया है और उस दिन रिपोर्ट सबमिट करने के लिए कहा है. अब इस मामले पर 25 जनवरी को ही सुनवाई होगी.
वहीं ज्ञानवापी प्रकरण में मुख्य वादी के रूप में मुकदमा दाखिल करने वाले सोमनाथ व्यास की मृत्यु के बाद उनके मुकदमे में अपना नाम चढ़ावाने और वारिस के रूप में खुद को प्रस्तुत करते हुए उनके नाती शैलेंद्र व्यास ने एक एप्लीकेशन कोर्ट में आज दाखिल किया है. उसमें उन्होंने कोर्ट से अपील की है कि उनके नाना की तरफ से दाखिल किए गए मुकदमे में वह वादी के रूप में आगे शामिल होना चाहते हैं. वर्तमान में वार्ड मित्र के रूप में विजय शंकर रस्तोगी इस मुकदमे की पर भी कर रहे हैं, लेकिन नाना होने के नाते पहला हक उनके नाती का है वारिस के रूप में, इसलिए वह इस मामले में खुद मुकदमे में अपना नाम चढ़ावाना चाहते हैं. इस पर कोर्ट ने 25 जनवरी को ही सुनवाई के लिए तिथि मुकर्रर की है.
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