जयपुर. राजस्थान के शिल्पकार और हनुमानगढ़ जिले के मूल निवासी लक्ष्मण व्यास इन दिनों कला जगत की सुर्खियों में हैं. लक्ष्मण व्यास की कड़ी मेहनत से तैयार अशोक स्तंभ को दिल्ली में बन रही नई संसद भवन की इमारत पर (New Parliament House of India) स्थापित किया गया. सोमवार को एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका अनावरण किया था. इस विशालकाय अशोक स्तंभ को देखकर खुद पीएम मोदी भी उत्साहित नजर आए थे. इस सिलसिले में ईटीवी भारत ने अशोक स्तंभ को तैयार करने वाले लक्ष्मण व्यास से खास बातचीत की. उन्होंने बातचीत में बताया कि कैसे इस चुनौती को उन्होंने तय मियाद में पूरा करके दिखाया.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए लक्ष्मण व्यास ने बताया कि संसद भवन पर स्थापित (Architects Laxman Vyas on New Parliament) अशोक स्तंभ को तैयार करने में उन्हें 5 महीने का वक्त लगा था. इस दौरान उनकी 40 लोगों की टीम ने दिन-रात एक करके इस टास्क पर काम किया. इस मूर्ति को खास तौर पर जंग रोधक बनाया गया है, जिसमें नब्बे फीसदी तांबे और दस प्रतिशत टीन का इस्तेमाल किया गया है. जिससे सालों तक इस स्टैच्यू को कोई नुकसान ना हो. मूर्ति को बनाने के बाद इसे अलग-अलग 150 टुकड़ों में दिल्ली ले जाकर असेंबल किया गया और फिर जोड़कर अनावरण किया गया. मूर्ति के अनावरण के बाद जब लक्ष्मण व्यास से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बातचीत की तो उन्हें बेहतर काम के लिए प्रेरित करते हुए उत्साहवर्धक शब्द भी कहे.
यह खासियत है अशोक स्तंभ कीः अशोक स्तंभ की ऊंचाई करीब 21 फीट है. इसका डायमीटर 38 फीट चौड़ा है. इटालियन लॉस्ट वैक्स पद्धति से इसे तैयार किया गया है, जिसमें डिजाइन के साथ किसी प्रकार के बदलाव की गुंजाइश ना के बराबर रहती है. इस दौरान मॉडल में वैक्स को उपयोग में लाकर भट्टी में तपाया जाता है, जिसमें वैक्स के पिघलने के बाद वजन की अगर बात की जाए तो यह है कुल 9 टन 620 किलो का है. 5 माह में 40 कारीगरों ने जयपुर के एक स्टूडियो में मूर्तिकार लक्ष्मण व्यास के डायरेक्शन में इसे तैयार किया है. इसी टीम में लक्ष्मण व्यास के पुत्र और शिल्पकार गौतम व्यास ने भी बराबर की भूमिका निभाई है. वे फिलहाल राजस्थान यूनिवर्सिटी से मूर्ति कला में स्नातक के छात्र हैं. गौतम व्यास ने ईटीवी भारत को बताया कि बीते 5 महीने के दौरान उनके पिता ने शिद्दत के साथ इस मूर्ति के निर्माण पर काम किया था. इस दौरान उन्हें खुद पारिवारिक आयोजन छोड़ने पड़े तो खुद गौतम को भी अपनी तालीम में समझौता करना पड़ा.
डिजाइन को लेकर विवाद पर जवाबः इस मूर्ति के डिजाइन को लेकर विपक्ष ने आरोप लगाए हैं. वहीं, दूसरी ओर ईटीवी भारत के साथ बातचीत में लक्ष्मण व्यास ने बताया कि ये डिजाइन (Ashok Stambh Design Controversy) सारनाथ से लिया गया है. जिसे टाटा कंसल्टेंसी के जरिए मंजूरी मिलने के बाद उसे सांचे में ढालने की जिम्मेदारी लक्ष्मण व्यास को सौंपी गई थी. लक्ष्मण व्यास ने इस दौरान कॉन्ट्रोवर्सी को लेकर कोई बात नहीं कही.
उन्होंने बताया कि इससे पहले उदयपुर में महाराणा प्रताप की आदमकद प्रतिमा लगा चुके हैं तो हल्दीघाटी में भी (Special Conversation with Architects Laxman Vyas) उनकी तैयार की गई प्रतिमा को स्थापित किया गया है. इसी तरह से अजमेर में सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति को भी इन्होंने ही तैयार किया था. वहीं, देशभर में अलग-अलग स्थानों पर उनकी बनाई मूर्तियों को स्थापित किया गया है. दिल्ली एयरपोर्ट पर हाथियों का जोड़ा हो, भरतपुर में राणा सांगा की मूर्ति हो या गोगामेडी में वीर गोगाजी की मूर्ति हो, सभी जगह पर उन्होंने काम किया है.