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आशीष पर टिकी देश की निगाहें, ड्रैगन से भिड़ने रिंग में उतरेगा हिमाचली मुक्केबाज

देश और हिमाचल के लिए सोमवार का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है. टोक्यो ओलंपिक में आशीष का मुकाबला चीन के बॉक्सर से है. यह मुकाबला दोपहर करीब 3 बजे खेला जाएगा. देश की 130 करोड़ जनता की उम्मीदें हिमाचल के बॉक्सर आशीष पर टिकी हैं. घर परिवार के साथ-साथ देशवासी भी आशीष की जीत के लिए दुआएं कर रहे हैं.

आशीष
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Published : Jul 25, 2021, 4:27 PM IST

मंडी : देश सहित हिमाचल प्रदेश के लिए सोमवार का दिन महत्वपूर्ण होने वाला है. देश के बॉक्सिंग स्टार एवं ओलंपियन आशीष चौधरी टोक्यो ओलंपिक्स में 75 किलोग्राम भार वर्ग में अपना पहला मुकाबला चीनी मुक्केबाज के खिलाफ खेलेंगे. यह मुकाबला दोपहर करीब तीन बजे शुरू होगा. मंडी जिले के सुंदरनगर उपमंडल के रहने वाले आशीष के इस रोमांचक मुकाबले पर उनके परिवार के साथ-साथ प्रदेश और देश के लोगों की जीत हासिल करने को लेकर नजर रहेगी. उनकी जीत के लिए परिवार के साथ-साथ देश की 130 करोड़ जनता दुआएं कर रही है.

Tokyo Olympics में हिमाचली मुक्केबाज

अब हिमाचल वासियों को अपने इस मुक्केबाज पर देश के लिए गोल्ड मेडल लाने को लेकर पूरी उम्मीद है. वहीं, आशीष चौधरी भी अपनी कड़ी मेहनत, बॉक्सिंग फेडरेशन और अपने परिवार की उम्मीदों पर खरा उतरने को लेकर आश्वस्त हैं. आशीष ओलंपिक से गोल्ड मेडल लाकर अपने पिता को श्रद्धांजलि देना चाहते हैं. क्योंकि, आशीष के पिता उन्हें ओलंपिक में खेलता देखना चाहते थे, लेकिन आज वो इस दुनिया में नहीं हैं.

8 जुलाई, 1994 को जिला मंडी के सुंदरनगर उपमंडल के जरल निवासी स्वर्गीय भगतराम डोगरा के घर जन्मे 27 वर्षीय आशीष चौधरी ने 9 साल की उम्र में बॉक्सिंग ग्लव्स पहन लिए थे. स्कूली शिक्षा के बाद सुंदरनगर के एमएलएसएम कॉलेज में दाखिला लिया. यहां कोच नरेश वर्मा से बॉक्सिंग की बारीकियां सीखीं और आज कड़ी मेहनत कर ओलंपिक के सफर तक पहुंच गए.

आशीष चौधरी एशियन चैंपियनशिप (Asian Championship) में भारत को सिल्वर मेडल और थाईलैंड ओपन बॉक्सिंग चैंपियनशिप (Thailand Open Boxing Championship) में भारत को गोल्ड मेडल दिला चुके हैं. बॉक्सिंग के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस सुंदरनगर के कोच नरेश कुमार ने उन्हें प्रशिक्षित किया है. आशीष के परिवार का खेलों से नाता रहा है. उनके पिता कबड्डी के स्टेट लेवल के खिलाड़ी रहे हैं. आशीष के बड़े भाई और चाचा का लड़का बॉक्सिंग की ट्रेनिंग करने के लिए जाते थे. उनको देखकर उन्हें भी यह खेल भा गया. इसके बाद आशीष इसमें ही करियर बनाने की ठान ली.

पढ़ें :- Tokyo Olympics : सौरभ चौधरी का टूटा सपना, पिता ने दी सांत्वना

कोरोना की वजह से जब लॉकडाउन हुआ तो शुरुआत में आशीष को ट्रेनिंग को लेकर काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. कैंप स्थगित होने के कारण आशीष घर आ चुके थे. घर पर ट्रेनिंग के लिए इक्विपमेंट नहीं थे. इसलिए शुरुआत में फिटनेस को मेंटेन रखना ज्यादा जरूरी था. इसलिए सबसे पहले आशीष ने अपनी फिटनेस को लेकर घर पर ही एक्सरसाइज करना शुरू किया.

टोक्यो ओलंपिक से कुछ महीने पहले ही आशीष कोरोना संक्रमित हो गए थे. उस दौरान देश के बाहर टूर्नामेंट खेलने गए आशीष पॉजिटिव पाए गए. वहां करीब एक महीने आशीष को अकेला रहना पड़ा. इस दौरान उन्हें ओलंपिक की तैयारियों को लेकर चिंता भी सता रही थी. लेकिन एक महीने में कोविड-19 से रिकवर हो गए. जहां उन्हें रखा गया था, वहां वे छत पर जाकर एक्सरसाइज और पंच की ट्रेनिंग कर सकते थे. करीब एक महीने तक आशीष को प्रॉपर ट्रेनिंग नहीं मिल पाई. वहीं, अब देखना होगा कि आशीष ओलंपिक की इस राह में किस तरह से अपने पिता का सपना पूरा करते हुए देश के लिए मेडल लाते हैं.

मंडी : देश सहित हिमाचल प्रदेश के लिए सोमवार का दिन महत्वपूर्ण होने वाला है. देश के बॉक्सिंग स्टार एवं ओलंपियन आशीष चौधरी टोक्यो ओलंपिक्स में 75 किलोग्राम भार वर्ग में अपना पहला मुकाबला चीनी मुक्केबाज के खिलाफ खेलेंगे. यह मुकाबला दोपहर करीब तीन बजे शुरू होगा. मंडी जिले के सुंदरनगर उपमंडल के रहने वाले आशीष के इस रोमांचक मुकाबले पर उनके परिवार के साथ-साथ प्रदेश और देश के लोगों की जीत हासिल करने को लेकर नजर रहेगी. उनकी जीत के लिए परिवार के साथ-साथ देश की 130 करोड़ जनता दुआएं कर रही है.

Tokyo Olympics में हिमाचली मुक्केबाज

अब हिमाचल वासियों को अपने इस मुक्केबाज पर देश के लिए गोल्ड मेडल लाने को लेकर पूरी उम्मीद है. वहीं, आशीष चौधरी भी अपनी कड़ी मेहनत, बॉक्सिंग फेडरेशन और अपने परिवार की उम्मीदों पर खरा उतरने को लेकर आश्वस्त हैं. आशीष ओलंपिक से गोल्ड मेडल लाकर अपने पिता को श्रद्धांजलि देना चाहते हैं. क्योंकि, आशीष के पिता उन्हें ओलंपिक में खेलता देखना चाहते थे, लेकिन आज वो इस दुनिया में नहीं हैं.

8 जुलाई, 1994 को जिला मंडी के सुंदरनगर उपमंडल के जरल निवासी स्वर्गीय भगतराम डोगरा के घर जन्मे 27 वर्षीय आशीष चौधरी ने 9 साल की उम्र में बॉक्सिंग ग्लव्स पहन लिए थे. स्कूली शिक्षा के बाद सुंदरनगर के एमएलएसएम कॉलेज में दाखिला लिया. यहां कोच नरेश वर्मा से बॉक्सिंग की बारीकियां सीखीं और आज कड़ी मेहनत कर ओलंपिक के सफर तक पहुंच गए.

आशीष चौधरी एशियन चैंपियनशिप (Asian Championship) में भारत को सिल्वर मेडल और थाईलैंड ओपन बॉक्सिंग चैंपियनशिप (Thailand Open Boxing Championship) में भारत को गोल्ड मेडल दिला चुके हैं. बॉक्सिंग के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस सुंदरनगर के कोच नरेश कुमार ने उन्हें प्रशिक्षित किया है. आशीष के परिवार का खेलों से नाता रहा है. उनके पिता कबड्डी के स्टेट लेवल के खिलाड़ी रहे हैं. आशीष के बड़े भाई और चाचा का लड़का बॉक्सिंग की ट्रेनिंग करने के लिए जाते थे. उनको देखकर उन्हें भी यह खेल भा गया. इसके बाद आशीष इसमें ही करियर बनाने की ठान ली.

पढ़ें :- Tokyo Olympics : सौरभ चौधरी का टूटा सपना, पिता ने दी सांत्वना

कोरोना की वजह से जब लॉकडाउन हुआ तो शुरुआत में आशीष को ट्रेनिंग को लेकर काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. कैंप स्थगित होने के कारण आशीष घर आ चुके थे. घर पर ट्रेनिंग के लिए इक्विपमेंट नहीं थे. इसलिए शुरुआत में फिटनेस को मेंटेन रखना ज्यादा जरूरी था. इसलिए सबसे पहले आशीष ने अपनी फिटनेस को लेकर घर पर ही एक्सरसाइज करना शुरू किया.

टोक्यो ओलंपिक से कुछ महीने पहले ही आशीष कोरोना संक्रमित हो गए थे. उस दौरान देश के बाहर टूर्नामेंट खेलने गए आशीष पॉजिटिव पाए गए. वहां करीब एक महीने आशीष को अकेला रहना पड़ा. इस दौरान उन्हें ओलंपिक की तैयारियों को लेकर चिंता भी सता रही थी. लेकिन एक महीने में कोविड-19 से रिकवर हो गए. जहां उन्हें रखा गया था, वहां वे छत पर जाकर एक्सरसाइज और पंच की ट्रेनिंग कर सकते थे. करीब एक महीने तक आशीष को प्रॉपर ट्रेनिंग नहीं मिल पाई. वहीं, अब देखना होगा कि आशीष ओलंपिक की इस राह में किस तरह से अपने पिता का सपना पूरा करते हुए देश के लिए मेडल लाते हैं.

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