नई दिल्ली : दुष्कर्म के मामले में सजा काट रहे आसाराम ने इलाज स्थानांतरण की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इस मामले में राजस्थान सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सिंघवी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश हुए. सिंघवी ने न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ से कहा कि आसाराम की याचिका निरर्थक हो गई है. सरकार ने कहा कि उत्तराखंड में हरिद्वार के निकट एक आयुर्वेदिक केंद्र (Ayurvedic centre) में आसाराम को स्थानांतरित करने का अनुरोध स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि आसाराम अस्पताल में भर्ती हैं और इस कारण उन्हें स्थानांतरित नहीं किया जा सकता.
राज्य से मांगे जाएं मेडिकल रिकॉर्ड
आसाराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि उनके मुवक्किल को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और अदालत को मेडिकल रिकॉर्ड मांगना चाहिए. लूथरा ने कहा, 'हम नहीं जानते कि उन्हें क्या बीमारियां हैं. इस अदालत को राज्य से उनके मेडिकल रिकॉर्ड मंगवाने का आदेश देना चाहिए क्योंकि अस्पताल के अधिकारी उन्हें ब्योरा नहीं देंगे.'
'आसाराम की तबीयत ठीक है'
पीठ ने हालांकि कहा कि वह गर्मी की छुट्टी के बाद अदालत के दोबारा खुलने तक मामले को स्थगित कर रही है. राज्य सरकार ने आठ जून को शीर्ष अदालत से कहा था कि आसाराम की तबियत ठीक है और उसकी हालत स्थिर है और वह इलाज के बहाने अपनी हिरासत की जगह बदलने की कोशिश कर रहा है.
आसाराम को पाया गया कोविड-19 संक्रमित
उत्तराखंड (Uttarakhand) में हरिद्वार (Haridwar) के पास एक आयुर्वेदिक केंद्र में विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए सजा को निलंबित करने और अंतरिम जमानत के अनुरोध वाली आसाराम की एक नई याचिका के जवाब में राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत को यह जानकारी दी थी. आसाराम यौन उत्पीड़न के दो मामलों में उम्रकैद की सजा सहित अलग-अलग जेल की सजा काट रहा है. राज्य सरकार ने कहा था कि आसाराम छह मई को कोविड-19 ( COVID-19) से संक्रमित पाया गया था और उनका बेहतर ढंग से इलाज किया गया.
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2018 में हुई आसाराम को सजा
आपकाे बता दें कि जोधपुर की एक अदालत ने 2013 में अपने आश्रम में एक किशोरी के साथ बलात्कार का दोषी पाये जाने के बाद आसाराम को 25 अप्रैल, 2018 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.
(पीटीआई-भाषा)