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Asadhi Purnima 2023 : आषाढ़ी पूर्णिमा पर नदियों में स्नान व दान का है खास महत्व, चंद्र दोष खत्म करने के लिए करें पूजा - चंद्र दोष खत्म करने के लिए पूजा

आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि का खास महत्व है. इस दिन चंद्रमा पूजा से कुंडली का चंद्र दोष खत्म हो सकता है और रात में लक्ष्मी माता की पूजा करने से धन दौलत बढ़ने के आसार रहते हैं...

Asadhi Purnima 2023 Asadh Purnima Vrat and Importance
आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि पर स्नान
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Published : Jul 1, 2023, 1:28 AM IST

Updated : Jul 1, 2023, 1:08 PM IST

नई दिल्ली : आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को असाढ़ी पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया जाता है. इस दिन व्रत रहकर भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने के साथ-साथ, नदियों में स्नान और दान खास महत्व है. इसके साथ ही आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन साथ में चंद्रमा पूजा से कुंडली का चंद्र दोष खत्म हो जाता है और रात में लक्ष्मी माता की पूजा करने से धन में अपार वृद्धि होती है.

अषाढ़ी पूर्णिमा की तिथि
हमारे हिंदू पंचांग व कैलेंडर के अनुसार साल 2023 में आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि​ 02 जुलाई दिन रविवार की रात को 08 बजकर 21 मिनट पर प्रारंभ हो जा रही है. इसके बाद इस तिथि का समापन अगले दिन सोमवार को शाम 05 बजकर 08 मिनट पर होने जा रहा है. ऐसी स्थिति में उदयातिथि की मान्यता के आधार पर आषाढ़ पूर्णिमा व्रत और स्नान-दान 3 जुलाई दिन सोमवार को ही किया जा सकेगा.

Asadhi Purnima 2023 Asadh Purnima Vrat and Importance
आषाढ़ मास की पूर्णिमा पर नदियों में स्नान

भद्रा का प्रभाव
ऐसा कहा जा रहा है कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को आषाढ़ पूर्णिमा के व्रत रखने के साथ-साथ स्नान और दान के समय भद्रा का भी ध्यान रखना जरूरी होता है. इस बार आषाढ़ पूर्णिमा के दिन भद्रा लगने जा रही है, जो पाताल लोक से संबंधित कही जा रही है. हालांकि इस भद्राकाल का समय केवल 1 घंटा 20 मिनट बताया जा रहा है. 3 जुलाई 2023 को आषाढ़ पूर्णिमा वाले दिन सुबह में 1 घंटा 20 मिनट के लिए जो भद्रा लग रही है. उस भद्रा का समय सुबह 05 बजकर 27 मिनट से सुबह 06 बजकर 47 मिनट तक ही होगा . कुछ लोगों का यह भी कहना है कि पाताल और स्वर्ग लोक की भद्रा का दुष्प्रभाव मृत्यु लोक यानि पृथ्वी लोक पर नहीं माना जाएगा.

आषाढ़ पूर्णिमा 2023 का शुभ मुहूर्त
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन सुबह से ही गंगा व अन्य पवित्र नदियों व तीर्थों में स्नान, दान और पूजा की शुरुआत सबेरे से ही हो जाती है. लेकिन इस दिन अमृत मुहूर्त सुबह 05:27 बजे से सुबह 07:12 बजे तक का बताया जा रहा. उसके बाद दूसरा शुभ-उत्तम मुहूर्त सुबह 08:56 बजे से सुबह 10:41 बजे के बीच होगा. अगर इस दौरान स्नान, दान और पूजा की शुरुआत की जाए तो बेहतर होगा.

आषाढ़ पूर्णिमा पर चंद्रमा पूजा
आषाढ़ पूर्णिमा 2023 के दिन शाम 07 बजकर 40 मिनट पर चंद्रमा का उदय होने का शुभ मुहूर्त है, जो लोग इन व्रत रखते हैं और कुंडली का चंद्र दोष दूर करने के लिए पूजा करना चाहते हैं. वे लोग इस समय पर चंद्रमा की पूजा करने के बाद अर्घ्य दे सकते हैं. चंद्र अर्घ्य और पूजा करने से जीवन में कुंडली का चंद्र दोष खत्म हो जाता है और घर परिवार में सुख और शांति आती है.

आषाढ़ पूर्णिमा को सुनें सत्यनारायण भगवान की कथा
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर दिन में सत्यनारायण भगवान की पूजा करते हुए उनकी कथा सुननी चाहिए. कथा के आयोजन के पश्चात प्रसाद का अधिक से अधिक वितरण कराया जाना चाहिए. ऐसा करने से परिवार में सुख और समृद्धि आती है. इसके अलावा आप रात्रि के समय में माता लक्ष्मी की पूजा भी कर सकते हैं, जो आपके धन वैभव में वृद्धि में सहायक हो सकता है.

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नई दिल्ली : आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को असाढ़ी पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया जाता है. इस दिन व्रत रहकर भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने के साथ-साथ, नदियों में स्नान और दान खास महत्व है. इसके साथ ही आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन साथ में चंद्रमा पूजा से कुंडली का चंद्र दोष खत्म हो जाता है और रात में लक्ष्मी माता की पूजा करने से धन में अपार वृद्धि होती है.

अषाढ़ी पूर्णिमा की तिथि
हमारे हिंदू पंचांग व कैलेंडर के अनुसार साल 2023 में आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि​ 02 जुलाई दिन रविवार की रात को 08 बजकर 21 मिनट पर प्रारंभ हो जा रही है. इसके बाद इस तिथि का समापन अगले दिन सोमवार को शाम 05 बजकर 08 मिनट पर होने जा रहा है. ऐसी स्थिति में उदयातिथि की मान्यता के आधार पर आषाढ़ पूर्णिमा व्रत और स्नान-दान 3 जुलाई दिन सोमवार को ही किया जा सकेगा.

Asadhi Purnima 2023 Asadh Purnima Vrat and Importance
आषाढ़ मास की पूर्णिमा पर नदियों में स्नान

भद्रा का प्रभाव
ऐसा कहा जा रहा है कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को आषाढ़ पूर्णिमा के व्रत रखने के साथ-साथ स्नान और दान के समय भद्रा का भी ध्यान रखना जरूरी होता है. इस बार आषाढ़ पूर्णिमा के दिन भद्रा लगने जा रही है, जो पाताल लोक से संबंधित कही जा रही है. हालांकि इस भद्राकाल का समय केवल 1 घंटा 20 मिनट बताया जा रहा है. 3 जुलाई 2023 को आषाढ़ पूर्णिमा वाले दिन सुबह में 1 घंटा 20 मिनट के लिए जो भद्रा लग रही है. उस भद्रा का समय सुबह 05 बजकर 27 मिनट से सुबह 06 बजकर 47 मिनट तक ही होगा . कुछ लोगों का यह भी कहना है कि पाताल और स्वर्ग लोक की भद्रा का दुष्प्रभाव मृत्यु लोक यानि पृथ्वी लोक पर नहीं माना जाएगा.

आषाढ़ पूर्णिमा 2023 का शुभ मुहूर्त
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन सुबह से ही गंगा व अन्य पवित्र नदियों व तीर्थों में स्नान, दान और पूजा की शुरुआत सबेरे से ही हो जाती है. लेकिन इस दिन अमृत मुहूर्त सुबह 05:27 बजे से सुबह 07:12 बजे तक का बताया जा रहा. उसके बाद दूसरा शुभ-उत्तम मुहूर्त सुबह 08:56 बजे से सुबह 10:41 बजे के बीच होगा. अगर इस दौरान स्नान, दान और पूजा की शुरुआत की जाए तो बेहतर होगा.

आषाढ़ पूर्णिमा पर चंद्रमा पूजा
आषाढ़ पूर्णिमा 2023 के दिन शाम 07 बजकर 40 मिनट पर चंद्रमा का उदय होने का शुभ मुहूर्त है, जो लोग इन व्रत रखते हैं और कुंडली का चंद्र दोष दूर करने के लिए पूजा करना चाहते हैं. वे लोग इस समय पर चंद्रमा की पूजा करने के बाद अर्घ्य दे सकते हैं. चंद्र अर्घ्य और पूजा करने से जीवन में कुंडली का चंद्र दोष खत्म हो जाता है और घर परिवार में सुख और शांति आती है.

आषाढ़ पूर्णिमा को सुनें सत्यनारायण भगवान की कथा
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर दिन में सत्यनारायण भगवान की पूजा करते हुए उनकी कथा सुननी चाहिए. कथा के आयोजन के पश्चात प्रसाद का अधिक से अधिक वितरण कराया जाना चाहिए. ऐसा करने से परिवार में सुख और समृद्धि आती है. इसके अलावा आप रात्रि के समय में माता लक्ष्मी की पूजा भी कर सकते हैं, जो आपके धन वैभव में वृद्धि में सहायक हो सकता है.

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Last Updated : Jul 1, 2023, 1:08 PM IST
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