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खुलासा, पांच दिसंबर को नहीं इस दिन हुई थी पूर्व सीएम जयललिता की मौत - jayalalitha death enquiry

तमिलनाडु की पूर्व सीएम और अन्नाद्रमुक नेता जे जयललिता की मौत मामले में नया खुलासा हुआ है. मंगलवार को अरुमुगासामी जांच समिति की रिपोर्ट तमिलनाडु विधानसभा में पेश की गई. जयललिता की मृत्यु की आधिकारिक तौर पर 5 दिसंबर को घोषणा की गई थी जबकि अरुमुगासामी आयोग ने कहा कि सबूतों के आधार पर उनकी मृत्यु 4 दिसंबर को हो गई थी.

तमिलनाडु की पूर्व सीएम जयललिता की मौत
तमिलनाडु की पूर्व सीएम जयललिता की मौत
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Published : Oct 18, 2022, 11:50 AM IST

Updated : Oct 18, 2022, 2:04 PM IST

चेन्नई: तमिलनाडु की पूर्व सीएम और अन्नाद्रमुक नेता जे जयललिता की मौत मामले में नया खुलासा हुआ है. मंगलवार को अरुमुगासामी जांच समिति की रिपोर्ट तमिलनाडु विधानसभा में पेश की गई. समिति तमिलनाडु की पूर्व सीएम और अन्नाद्रमुक नेता जे जयललिता की मौत की जांच कर रही थी. विधानसभा में पेश रिपोर्ट के अनुसार शशिकला के साथ तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव राधाकृष्णन केएस शिवकुमार और तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सी. विजयभास्कर के खिलाफ जांच की सिफारिश की है. समिति द्वारा पेश किये गये रिपोर्ट में दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन का समय महत्वपूर्ण है और इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं. जयललिता की मृत्यु की आधिकारिक तौर पर 5 दिसंबर को घोषणा की गई थी जबकि अरुमुगासामी आयोग ने कहा कि सबूतों के आधार पर उनकी मृत्यु 4 दिसंबर को हो गई थी.

पढ़ें: जयललिता की मौत पर राज्य सरकार को जस्टिस अरुमुघस्वामी आयोग ने सौंपी रिपोर्ट

अस्पताल ने आधिकारिक तौर पर पूर्व सीएम जयललिता की मृत्यु का समय 5 दिसंबर 2016, रात 11:30 बजे घोषित किया था. जयललिता के अंतिम समय में अस्पताल में उनकी देखभाल करने वाले पैरामेडिकल स्टाफ की गवाही इस समय से काफी अलग है. यह कहा गया है कि 04.12.16 को दोपहर 3:50 बजे से पहले, दिवंगत मुख्यमंत्री को हृदय गति रुक ​​गई थी. रिपोर्ट में कहा गया कि उनकी स्थिति की निगरानी कर रहे नर्सों, तकनीशियनों और ड्यूटी डॉक्टरों ने स्पष्ट गवाही दी है कि 04.12.16 को दोपहर 3:50 बजे के बाद उनके दिल में कोई गतिविधि नहीं थी और ना ही कोई रक्त प्रवाह था.

  • Arumugasamy Inquiry Committee's report tabled in Tamil Nadu assembly. The Committee was probing the death of former Tamil Nadu CM and AIADMK leader J Jayalalithaa.

    (file pic) pic.twitter.com/GwNzODvH4j

    — ANI (@ANI) October 18, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

आयोग ने शशिकला की जांच की सिफारिश की: अरुमुगासामी आयोग ने जयललिता की मौत के संबंध में शशिकला और अन्य के खिलाफ जांच की सिफारिश की है. समिति की रिपोर्ट में शशिकला और अन्य पर गंभीर आरोप लगाये गये हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि शशिकला को जयललिता के घर 'पोएस एस्टेट' से बाहर कर दिया गया था. 2012 में जयललिता के साथ फिर से जुड़ने के बाद से दोनों के बीच अच्छे संबंध नहीं थे. घटनाओं की श्रृंखला के आधार पर, उक्त आयोग शशिकला को दोषी ठहराने के अलावा किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सका. आयोग ने शशिकला की जांच की सिफारिश की है.

जयललिता के बेहोश होने के बाद से सब कुछ संदिग्ध : जांच आयोग ने जयललिता के इलाज पर भी कई सवाल उठाए हैं. डॉ. सुमिन शर्मा की सिफारिश के बाद भी जयललिता को एंजियोग्राफी क्यों नहीं दी गई. डॉ. रिचर्ड पील के यह कहने के बाद भी कि वह उन्हें इलाज के लिए विदेश ले जाने को तैयार हैं, ऐसा क्यों नहीं हुआ? जैसे सवाल जांच समिति ने उठाये हैं. जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर उचित इलाज होता तो जयललिता की जान बचाई जा सकती थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर 2016 में जयललिता के बेहोश होने के बाद से सब कुछ संदिग्ध है.

पढ़ें: जयललिता के इलाज में नहीं हुई गड़बड़ी, AIIMS पैनल की रिपोर्ट

बता दें कि 5 दिसंबर 2016 को चेन्नैई के अस्पताल में जयललिता के निधन के बाद मामले की जांच के लिए रिटायर्ड जज ए अरुमुगास्वामी की अगुवाई में एक जांच आयोग का गठन किया गया था. उनकी मौत के 9 महीने के बाद जांच आयोग गठित हुई थी. इससे पहले तत्कालीन डेप्युटी सीएम ओ पन्नीरसेल्वम भी कई बार मांग कर चुके थे कि जयललिता की मौत की जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा था कि जयललिता की मौत से पहले उनसे मिलने की किसी को इजाजत नहीं थी. उनकी सहयोगी शशिकला ही अस्पताल में उनके पास थीं. इसको लेकर भी सवाल खड़े हुए थे.

पढ़ें: पन्नीरसेल्वम ने जयललिता की मौत की जांच संबंधी अपनी मांग का बचाव किया

चेन्नई: तमिलनाडु की पूर्व सीएम और अन्नाद्रमुक नेता जे जयललिता की मौत मामले में नया खुलासा हुआ है. मंगलवार को अरुमुगासामी जांच समिति की रिपोर्ट तमिलनाडु विधानसभा में पेश की गई. समिति तमिलनाडु की पूर्व सीएम और अन्नाद्रमुक नेता जे जयललिता की मौत की जांच कर रही थी. विधानसभा में पेश रिपोर्ट के अनुसार शशिकला के साथ तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव राधाकृष्णन केएस शिवकुमार और तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सी. विजयभास्कर के खिलाफ जांच की सिफारिश की है. समिति द्वारा पेश किये गये रिपोर्ट में दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन का समय महत्वपूर्ण है और इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं. जयललिता की मृत्यु की आधिकारिक तौर पर 5 दिसंबर को घोषणा की गई थी जबकि अरुमुगासामी आयोग ने कहा कि सबूतों के आधार पर उनकी मृत्यु 4 दिसंबर को हो गई थी.

पढ़ें: जयललिता की मौत पर राज्य सरकार को जस्टिस अरुमुघस्वामी आयोग ने सौंपी रिपोर्ट

अस्पताल ने आधिकारिक तौर पर पूर्व सीएम जयललिता की मृत्यु का समय 5 दिसंबर 2016, रात 11:30 बजे घोषित किया था. जयललिता के अंतिम समय में अस्पताल में उनकी देखभाल करने वाले पैरामेडिकल स्टाफ की गवाही इस समय से काफी अलग है. यह कहा गया है कि 04.12.16 को दोपहर 3:50 बजे से पहले, दिवंगत मुख्यमंत्री को हृदय गति रुक ​​गई थी. रिपोर्ट में कहा गया कि उनकी स्थिति की निगरानी कर रहे नर्सों, तकनीशियनों और ड्यूटी डॉक्टरों ने स्पष्ट गवाही दी है कि 04.12.16 को दोपहर 3:50 बजे के बाद उनके दिल में कोई गतिविधि नहीं थी और ना ही कोई रक्त प्रवाह था.

  • Arumugasamy Inquiry Committee's report tabled in Tamil Nadu assembly. The Committee was probing the death of former Tamil Nadu CM and AIADMK leader J Jayalalithaa.

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    — ANI (@ANI) October 18, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

आयोग ने शशिकला की जांच की सिफारिश की: अरुमुगासामी आयोग ने जयललिता की मौत के संबंध में शशिकला और अन्य के खिलाफ जांच की सिफारिश की है. समिति की रिपोर्ट में शशिकला और अन्य पर गंभीर आरोप लगाये गये हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि शशिकला को जयललिता के घर 'पोएस एस्टेट' से बाहर कर दिया गया था. 2012 में जयललिता के साथ फिर से जुड़ने के बाद से दोनों के बीच अच्छे संबंध नहीं थे. घटनाओं की श्रृंखला के आधार पर, उक्त आयोग शशिकला को दोषी ठहराने के अलावा किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सका. आयोग ने शशिकला की जांच की सिफारिश की है.

जयललिता के बेहोश होने के बाद से सब कुछ संदिग्ध : जांच आयोग ने जयललिता के इलाज पर भी कई सवाल उठाए हैं. डॉ. सुमिन शर्मा की सिफारिश के बाद भी जयललिता को एंजियोग्राफी क्यों नहीं दी गई. डॉ. रिचर्ड पील के यह कहने के बाद भी कि वह उन्हें इलाज के लिए विदेश ले जाने को तैयार हैं, ऐसा क्यों नहीं हुआ? जैसे सवाल जांच समिति ने उठाये हैं. जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर उचित इलाज होता तो जयललिता की जान बचाई जा सकती थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर 2016 में जयललिता के बेहोश होने के बाद से सब कुछ संदिग्ध है.

पढ़ें: जयललिता के इलाज में नहीं हुई गड़बड़ी, AIIMS पैनल की रिपोर्ट

बता दें कि 5 दिसंबर 2016 को चेन्नैई के अस्पताल में जयललिता के निधन के बाद मामले की जांच के लिए रिटायर्ड जज ए अरुमुगास्वामी की अगुवाई में एक जांच आयोग का गठन किया गया था. उनकी मौत के 9 महीने के बाद जांच आयोग गठित हुई थी. इससे पहले तत्कालीन डेप्युटी सीएम ओ पन्नीरसेल्वम भी कई बार मांग कर चुके थे कि जयललिता की मौत की जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा था कि जयललिता की मौत से पहले उनसे मिलने की किसी को इजाजत नहीं थी. उनकी सहयोगी शशिकला ही अस्पताल में उनके पास थीं. इसको लेकर भी सवाल खड़े हुए थे.

पढ़ें: पन्नीरसेल्वम ने जयललिता की मौत की जांच संबंधी अपनी मांग का बचाव किया

Last Updated : Oct 18, 2022, 2:04 PM IST
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