पुष्कर(अजमेर): मेवाड़ के वैभवशाली इतिहास के सिरमोर रहे महाराणा प्रताप की वीरता का यशोगान आज भी वसुंधरा के हर भूभाग पर हो रहा है. महाराणा प्रताप के ऐतिहासिक व्यक्तित्व को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से पुष्कर के अंतरराष्ट्रीय सैंड आर्टिस्ट अजय रावत कस्बे (biggest sand art of Maharana Pratap in Pushkar) के रेतीले धोरों (Desert) में इतिहास रच दिया है. रावत ने राजस्थान की सबसे बड़ी सैंड आर्ट (Send Art) का निर्माण किया है. 40 ट्राली मिट्टी और 4 दिन के मेहनत के बाद यह सैंड आर्ट तैयार हुई है. इसकी लंबाई 21 फुट और चौड़ाई 30 फुट है. खास बात यह है कि यह देश की पहली सबसे बड़ी महाराणा प्रताप की सैंड आर्ट प्रतिमा होगी.
सैंड आर्टिस्ट अजय रावत और उनकी टीम बालू मिट्टी से महाराणा प्रताप की विशाल सैंड आर्ट आकृति उकेरी है. महाराणा प्रताप की यह सैंड आर्ट दर्शकों के अवलोकनार्थ रखी गई है. सैंड आर्टिस्ट अजय रावत ने बताया कि उन्होंने वर्षों पूर्व महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर विशाल प्रतिमा की परिकल्पना की थी जो कि अब साकार हुई है. पुष्कर के निकटवर्ती ग्राम गनहेड़ा में मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे अजय रावत रेतीले धोरों की कला के दम पर देश ही नहीं विदेशों तक अपनी कला का लोहा मनवा चुके हैं.
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इतिहासकारों ने प्रताप के व्यक्तित्व के साथ न्याय नहीं किया
अजय रावत ने बताया कि इतिहासकारों ने महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व के साथ न्याय नहीं किया. महाराणा प्रताप के समकक्ष अकबर का व्यक्तित्व अदना ही था लेकिन इतिहासकारों ने उसे बहुत बड़ा चढ़ाकर प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि मैं इस कला के जरिए यह बताना चाहता हूं कि महाराणा प्रताप से बढ़कर महान व्यक्तित्व वाला मनुष्य दूसरा कोई नहीं था. उन्होंने कहा कि राजस्थान रेतीले धोरों की धरती है. इसमें रेत की कला का विकास होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि इस कला को विश्व स्तर पर पहचान मिले और नए कलाकारों को एक मंच मिल सके.
राष्ट्रपति से हो चुके हैं सम्मानित
अजय रावत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के जरिए सम्मानित हो चुके हैं. वे हाल में राज्यपाल कलराज मिश्र और सीएम अशोक गहलोत से भी मिले थे. उन्होंने पुष्कर में राजस्थान पहला सैंड आर्ट पार्क विकसित करने की मांग की थी.