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अनुच्छेद 370 को हटाना भाजपा के घोषणापत्र में था लेकिन राज्य का दर्जा वापस लेना समझ से परे : अब्दुल्ला - कश्मीरी प्रवासी पंडितों की वापसी

नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता उमर अब्दुल्ला (National Conference leader Omar Abdullah) ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाना भाजपा के घोषणापत्र में था लेकिन राज्य का दर्जा वापस लेना समझ से परे है.

National Conference leader Omar Abdullah  (Photo: ETV Bharat)
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (फोटो-ईटीवी भारत)
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Published : Dec 1, 2021, 7:58 PM IST

भद्रवाह/ जम्मू : नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता उमर अब्दुल्ला (National Conference leader Omar Abdullah) ने बुधवार को कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के घोषणापत्र में था, लेकिन राज्य का दर्जा वापस लेने और तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य के विभाजन के पीछे कोई तर्क नजर नहीं आता है.

उन्होंने भाजपा पर पांच अगस्त, 2019 की अपनी कार्रवाई को सही ठहराने के लिए 'झूठे प्रचार' से देश को गुमराह करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सुरक्षा की स्थिति इस हद तक बिगड़ गई है कि 'बढ़ते आतंकवाद के कारण कश्मीर के किसी भी हिस्से में कोई भी सुरक्षित महसूस नहीं कर सकता है. हाल के दिनों में कश्मीरी पंडितों सहित लोगों की चुन-चुन कर हत्या किए जाने की घटनाओं से यह स्पष्ट है.'

पूर्व मुख्यमंत्री और नेकां के उपाध्यक्ष अब्दुल्ला जम्मू संभाग में चिनाब घाटी के अपने सप्ताहभर के दौरे के अंतिम दिन डोडा जिले के भद्रवाह शहर में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने स्थानीय लोगों से चुनाव जीतने के लिए 'धर्म के आधार पर लोगों को बांटने वालों की साजिशों को विफल करने' के लिए सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारा बनाए रखने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा, 'नेशनल कांफ्रेंस 2014 का विधानसभा चुनाव हार गई और भाजपा ने इसका फायदा उठाया और पिछले दरवाजे से सत्ता में आ गई और फिर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेतृत्व वाली सरकार को गिरा दिया, जिसके बाद वह (अनुच्छेद 370 को निरस्त करने) की योजना बना रही थी.'

'वास्तविकता यह है कि दावे धराशायी हो गए हैं'
अब्दुल्ला ने कहा, 'मैं स्वीकार करता हूं कि भाजपा के घोषणा पत्र में अनुच्छेद 370 को हटाना था, लेकिन तत्कालीन राज्य का दर्जा क्यों कम किया गया और उसे दो भागों में विभाजित किया गया, जो उनके घोषणापत्र में नहीं था. कोई भी यह समझने में विफल है कि इसका कारण क्या था. किसी के पास इसका कोई जवाब नहीं था और साथ ही इससे जम्मू-कश्मीर के लोगों को क्या फायदा हुआ था.'

उन्होंने आरोप लगाया, 'वास्तविकता यह है कि (भाजपा के) सभी दावे धराशायी हो गए हैं क्योंकि जमीनी स्तर पर उसके फैसले का कोई फायदा नहीं हुआ. उन्होंने विकास, निवेश, रोजगार, शांति और आतंकवाद और अलगाववाद के खात्मे की बात की, लेकिन पिछले ढाई साल में ऐसा कुछ नहीं हुआ.'

पढ़ें- भाजपा ने नेशनल काफ्रेंस की 'कमजोरी' का फायदा उठाकर अनुच्छेद 370 हटाया : उमर

अब्दुल्ला ने कहा, 'अगस्त 2019 के बाद सरकार के दावे के अनुसार आतंकवाद खत्म नहीं हुआ. उन्होंने दावा किया था कि अनुच्छेद 370 कश्मीरी प्रवासी पंडितों की वापसी में बाधा था. अब दो साल से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन कोई भी पंडित अपने घर नहीं लौटा.' उन्होंने कहा, 'किसी को उनके झूठे वादों का जवाब देना होगा.'

भद्रवाह का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह पूरे जम्मू क्षेत्र में एकमात्र ऐसा स्थान है जहां पर्यटन विकास की संभावना है और जहां छुट्टियां मनाने वाले लोग कम से कम चार या पांच दिन रह सकते हैं लेकिन वर्तमान प्रशासन या अन्य लोगों की ओर से कोई निवेश नहीं किया गया जिन्होंने वादा किया था कि वह बाहर से निवेश लेकर आयेंगे.
(पीटीआई-भाषा)

भद्रवाह/ जम्मू : नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता उमर अब्दुल्ला (National Conference leader Omar Abdullah) ने बुधवार को कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के घोषणापत्र में था, लेकिन राज्य का दर्जा वापस लेने और तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य के विभाजन के पीछे कोई तर्क नजर नहीं आता है.

उन्होंने भाजपा पर पांच अगस्त, 2019 की अपनी कार्रवाई को सही ठहराने के लिए 'झूठे प्रचार' से देश को गुमराह करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सुरक्षा की स्थिति इस हद तक बिगड़ गई है कि 'बढ़ते आतंकवाद के कारण कश्मीर के किसी भी हिस्से में कोई भी सुरक्षित महसूस नहीं कर सकता है. हाल के दिनों में कश्मीरी पंडितों सहित लोगों की चुन-चुन कर हत्या किए जाने की घटनाओं से यह स्पष्ट है.'

पूर्व मुख्यमंत्री और नेकां के उपाध्यक्ष अब्दुल्ला जम्मू संभाग में चिनाब घाटी के अपने सप्ताहभर के दौरे के अंतिम दिन डोडा जिले के भद्रवाह शहर में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने स्थानीय लोगों से चुनाव जीतने के लिए 'धर्म के आधार पर लोगों को बांटने वालों की साजिशों को विफल करने' के लिए सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारा बनाए रखने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा, 'नेशनल कांफ्रेंस 2014 का विधानसभा चुनाव हार गई और भाजपा ने इसका फायदा उठाया और पिछले दरवाजे से सत्ता में आ गई और फिर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेतृत्व वाली सरकार को गिरा दिया, जिसके बाद वह (अनुच्छेद 370 को निरस्त करने) की योजना बना रही थी.'

'वास्तविकता यह है कि दावे धराशायी हो गए हैं'
अब्दुल्ला ने कहा, 'मैं स्वीकार करता हूं कि भाजपा के घोषणा पत्र में अनुच्छेद 370 को हटाना था, लेकिन तत्कालीन राज्य का दर्जा क्यों कम किया गया और उसे दो भागों में विभाजित किया गया, जो उनके घोषणापत्र में नहीं था. कोई भी यह समझने में विफल है कि इसका कारण क्या था. किसी के पास इसका कोई जवाब नहीं था और साथ ही इससे जम्मू-कश्मीर के लोगों को क्या फायदा हुआ था.'

उन्होंने आरोप लगाया, 'वास्तविकता यह है कि (भाजपा के) सभी दावे धराशायी हो गए हैं क्योंकि जमीनी स्तर पर उसके फैसले का कोई फायदा नहीं हुआ. उन्होंने विकास, निवेश, रोजगार, शांति और आतंकवाद और अलगाववाद के खात्मे की बात की, लेकिन पिछले ढाई साल में ऐसा कुछ नहीं हुआ.'

पढ़ें- भाजपा ने नेशनल काफ्रेंस की 'कमजोरी' का फायदा उठाकर अनुच्छेद 370 हटाया : उमर

अब्दुल्ला ने कहा, 'अगस्त 2019 के बाद सरकार के दावे के अनुसार आतंकवाद खत्म नहीं हुआ. उन्होंने दावा किया था कि अनुच्छेद 370 कश्मीरी प्रवासी पंडितों की वापसी में बाधा था. अब दो साल से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन कोई भी पंडित अपने घर नहीं लौटा.' उन्होंने कहा, 'किसी को उनके झूठे वादों का जवाब देना होगा.'

भद्रवाह का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह पूरे जम्मू क्षेत्र में एकमात्र ऐसा स्थान है जहां पर्यटन विकास की संभावना है और जहां छुट्टियां मनाने वाले लोग कम से कम चार या पांच दिन रह सकते हैं लेकिन वर्तमान प्रशासन या अन्य लोगों की ओर से कोई निवेश नहीं किया गया जिन्होंने वादा किया था कि वह बाहर से निवेश लेकर आयेंगे.
(पीटीआई-भाषा)

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