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आईवीएफ पर ART Bill से बढ़ेगी जागरूकता: विशेषज्ञ

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Published : Dec 5, 2021, 11:14 AM IST

बिड़ला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ केंद्र के सलाहकार एवं प्रमुख डॉ सोरेन भट्टाचार्य ने कहा कि ART क्लिनिक पूरे भारत में तेजी से बढ़े हैं, जिनमें से कई का पंजीकरण नहीं है. इनका उपचार और उपकरणों का इस्तेमाल अकसर जोखिम पैदा करता है. ART विधेयक इन क्लिनिक में सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करेगा और गड़बड़ियों को रोकेगा.

ivf (etv bharat photo)
आईवीएफ (ईटीवी भारत फोटो)

कोलकाता : लोकसभा में सहायता प्राप्त जननीय प्रौद्योगिकी (विनियमन) विधेयक के पारित होने का कोलकाता के विशेषज्ञों ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा है कि विधेयक से आईवीएफ तथा इस प्रकार के अन्य उपचारों को लेकर जागरूकता बढ़ेगी और साथ ही इन प्रक्रियाओं में होने वाले अनैतिक कार्यों को रोकने में मदद मिलेगी. इस विधेयक में क्लिनिक और भ्रूण बैंक में सहायता प्राप्त जननीय प्रौद्योगिकी (Assisted Reproductive Technology-ART) पर नियमन और निगरानी तथा प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग को रोकने की व्यवस्था है.

विशेषज्ञों के अनुसार, विधेयक मरीजों को मानक के अनुरूप उपचार तथा लोगों को जरूरी जानकारियां मुहैया कराकर उनके लिए मददगार साबित होगा. बिड़ला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ केंद्र के सलाहकार एवं प्रमुख डॉ सोरेन भट्टाचार्य ने कहा कि ART क्लिनिक पूरे भारत में तेजी से बढ़े हैं, जिनमें से कई का पंजीकरण नहीं है. इनका उपचार और उपकरणों का इस्तेमाल अकसर जोखिम पैदा करता है. ART विधेयक इन क्लिनिक में सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करेगा और गड़बड़ियों को रोकेगा. उन्होंने कहा कि यह विधेयक भारत में इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (In Vitro Fertilization-IVF) और प्रजनन संबंधी अन्य उपचार के क्षेत्र में नियमन स्थापित करेगा.

अपोलो मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल्स के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग के निदेशक एवं प्रमुख डॉ जयंत गुप्ता ने डॉ भट्टाचार्य की बातों से सहमति जताई और कहा कि कई दंपति अनैतिक कार्यप्रणाली के शिकार हुए हैं.

गौरतलब है कि लोकसभा में बुधवार को सहायता प्राप्त जननीय प्रौद्योगिकी (विनियमन) विधेयक, 2021 को मंजूरी दी गयी, जिसमें अंतर गर्भाशयी गर्भाधान से जुड़े विषयों पर दिशानिर्देशों एवं व्यवस्था का मानकीकरण करने तथा महिलाओं एवं बच्‍चों को शोषण से संरक्षण प्रदान करने का प्रावधान किया गया है.

(पीटीआई-भाषा)

कोलकाता : लोकसभा में सहायता प्राप्त जननीय प्रौद्योगिकी (विनियमन) विधेयक के पारित होने का कोलकाता के विशेषज्ञों ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा है कि विधेयक से आईवीएफ तथा इस प्रकार के अन्य उपचारों को लेकर जागरूकता बढ़ेगी और साथ ही इन प्रक्रियाओं में होने वाले अनैतिक कार्यों को रोकने में मदद मिलेगी. इस विधेयक में क्लिनिक और भ्रूण बैंक में सहायता प्राप्त जननीय प्रौद्योगिकी (Assisted Reproductive Technology-ART) पर नियमन और निगरानी तथा प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग को रोकने की व्यवस्था है.

विशेषज्ञों के अनुसार, विधेयक मरीजों को मानक के अनुरूप उपचार तथा लोगों को जरूरी जानकारियां मुहैया कराकर उनके लिए मददगार साबित होगा. बिड़ला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ केंद्र के सलाहकार एवं प्रमुख डॉ सोरेन भट्टाचार्य ने कहा कि ART क्लिनिक पूरे भारत में तेजी से बढ़े हैं, जिनमें से कई का पंजीकरण नहीं है. इनका उपचार और उपकरणों का इस्तेमाल अकसर जोखिम पैदा करता है. ART विधेयक इन क्लिनिक में सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करेगा और गड़बड़ियों को रोकेगा. उन्होंने कहा कि यह विधेयक भारत में इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (In Vitro Fertilization-IVF) और प्रजनन संबंधी अन्य उपचार के क्षेत्र में नियमन स्थापित करेगा.

अपोलो मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल्स के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग के निदेशक एवं प्रमुख डॉ जयंत गुप्ता ने डॉ भट्टाचार्य की बातों से सहमति जताई और कहा कि कई दंपति अनैतिक कार्यप्रणाली के शिकार हुए हैं.

गौरतलब है कि लोकसभा में बुधवार को सहायता प्राप्त जननीय प्रौद्योगिकी (विनियमन) विधेयक, 2021 को मंजूरी दी गयी, जिसमें अंतर गर्भाशयी गर्भाधान से जुड़े विषयों पर दिशानिर्देशों एवं व्यवस्था का मानकीकरण करने तथा महिलाओं एवं बच्‍चों को शोषण से संरक्षण प्रदान करने का प्रावधान किया गया है.

(पीटीआई-भाषा)

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