लेह : भारत चीन सीमा पर तनाव के बीच सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे बुधवार को रेचिन ला सहित फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स के एक दिवसीय दौरे पर लेह पहुंचे. इस दौरान उन्होंने फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स के साथ अग्रिम मोर्चे का आकलन किया.
सेना के अधिकारियों ने कहा कि जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी), फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स और अन्य स्थानीय कमांडरों ने इस दौरान सेना की ऑपरेशनल तैयारियों के बारे में जानकारी दी.
सेना प्रमुख ने रेचिन ला पर बचाव की अग्रिम पंक्ति पर सैनिकों के निवास स्थान की स्थिति का भी निरीक्षण किया. उन्होंने एलएसी के साथ सैनिकों को सहज बनाने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की.
नरवणे ने अग्रिम पंक्ति में तैनात सैनिकों के साथ बातचीत की और सभी रैंकों के जवानों को एक ही जोश और उत्साह के साथ काम करने का आह्वान किया.
उल्लेखनीय है कि करीब साढ़े तीन महीने पहले भारतीय सैनिक पूर्वी लद्दाख में पेगोंग झील के दक्षिण किनारे पर रणनीतिक रूप से अहम मुखपरी, रेचिन ला और मगर हिल इलाके के कई ऊंचाई वाले स्थानों पर काबिज हो गए थे. भारतीय सेना ने यह कार्रवाई 29-30 अगस्त की दरमियानी रात को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा उन्हें धमकाने की कोशिश करने के बाद की.
सेना ने एक अन्य ट्वीट में कहा, जनरल एमएम नरवणे ने रेचिन ला स्थित अग्रिम चौकियों पर सैनिकों के रहने के लिए अधुनिक निवास का दौरा किया. उन्होंने एलएसी पर जवानों को रहने के लिए आरामदायक सुविधा स्थापित करने के कदम की प्रशंसा की.
सेना ने बताया कि सेनाध्यक्ष ने अग्रिम ठिकाने तारा का भी दौरा किया और स्थानीय कमांडर एवं जवानों से बातचीत की. सेना के मुताबिक उन्होंने उनके उच्च मनोबल और सैन्य तैयारी की प्रशंसा की.
उल्लेखनीय है कि पांच मई को पेंगोंग झील इलाके में भारतीय सेना और पीएलए के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प होने के बाद सैन्य गतिरोध पैदा हो गया. इसी तरह की झड़प उत्तरी सिक्किम में भी नौ मई को हुई.
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पिछले हफ्ते चीन और भारत के बीच एक और दौर की राजनयिक स्तर पर वार्ता हुई और इस दौरान पूर्वी लद्दाख में एलएसी के करीब तनाव वाले सभी क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे ले जाने की प्रक्रिया 'यथाशीघ्र' पूरी करने पर सहमति बनी.
इस बैठक में सहमति बनी कि अगले दौर की सैन्य वार्ता यथाशीघ्र तय तारीख पर होनी चाहिए ताकि दोनों पक्ष मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों एवं प्रोटोकॉल के सैनिकों को पीछे करने की प्रक्रिया जल्द पूरी करने के लिए काम कर सके.
भारत और चीन ने इस गतिरोध को दूर करने के लिए गत महीनों में राजनयिक और सैन्य स्तर पर कई दौर की वार्ता की है, लेकिन इसका समाधान नहीं निकल सका है.