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पुरातत्व विभाग करेगा बृज की संस्कृति व कालखंड की पड़ताल, डीग के बहज गांव में शुरू हुआ उत्खनन कार्य - Bahaj village in Deeg

Investigation of the culture of Brij, पुरातत्व विभाग अब भगवान कृष्ण की जन्मस्थली व लीलास्थली के रूप में दुनिया भर में पहचाने जाने वाले बृज क्षेत्र की संस्कृति की पड़ताल करेगा. इसके लिए विभाग की टीम ने डीग के बहज ग्राम स्थित एक ऐतिहासिक टीले का उत्खनन शुरू कर दिया है.

Investigation of the culture of Brij
Investigation of the culture of Brij
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 10, 2024, 8:27 PM IST

पुरातत्व विभाग के सुपरीटेंडेंट विजय गुप्ता

भरतपुर. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग अब भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली व लीलास्थली के रूप में दुनिया भर में पहचाने जाने वाले बृज क्षेत्र की संस्कृति और कालखंड की पड़ताल करेगा. इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम ने डीग जिले के बहज गांव में एक ऐतिहासिक टीले का उत्खनन कार्य शुरू कर दिया है. संभावना जताई जा रही है कि इस टीले के उत्खनन से बृज क्षेत्र के इतिहास और कालखंड की कई महत्वपूर्ण जानकारियां निकलकर आ सकती हैं.

पुरातत्व विभाग के सुपरीटेंडेंट विजय गुप्ता ने बुधवार को बहज गांव में खुदाई से पूर्व टीले और औजारों की पूजा अर्चना की. उसके बाद गांव में रामपुरा थोक के टीले की खुदाई/उत्खनन का कार्य शुरू किया गया. सुपरिटेंडेंट विजय गुप्ता ने बताया, ''खुदाई के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से अनुमति ली गई है. यहां करीब दो से तीन महीने तक खुदाई कार्य किया जाएगा. पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के निर्देशन में करीब 50 लोगों की टीम उत्खनन कर रही है.''

Investigation of the culture of Brij
खुदाई से पूर्व टीले व औजारों की हुई पूजा-अर्चना

इसे भी पढ़ें - राजस्थानः खुदाई में मिली प्राचीन मूर्तियां हजार वर्ष पुरानी निकलीं, पहली बार भरतपुर में मिली भगवान लकुलीश की प्रतिमा

खुल सकती हैं कालखंड की परतें : विजय गुप्ता ने बताया, ''बहज गांव बृज क्षेत्र का ही हिस्सा है. पूरा बृज क्षेत्र ऐतिहासिक क्षेत्र है. क्षेत्र के कई गांवों में ऐतिहासिक टीले मौजूद हैं. ऐसे में विभाग ने बहज गांव के इस विशाल टीले के कुछ भाग में उत्खनन कार्य शुरू किया है.'' गुप्ता ने आगे बताया, ''उत्खनन का उद्देश्य बृज की संस्कृति की प्राचीनता की खोज करना है. इसका समय सबसे नीचे के स्तरों में कहां तक जाता है, किस किस कालखंड के जमाव प्राप्त होते हैं, यह सब देखना है. संभावना है कि यहां उत्खनन कार्य करने से बृज क्षेत्र की संस्कृति और कालखंड से जुड़े हुए कई महत्वपूर्ण अवशेष मिल सकते हैं.''

Investigation of the culture of Brij
बहज गांव में शुरू हुआ उत्खनन कार्य

बहज का प्राचीन नाम वज नगर : विजय गुप्ता ने बताया, ''जैन अभिलेखों में बहज गांव का जिक्र वज नगर के रूप में पाया जाता है. वज नगरी शाखा प्राप्त होती है. इन टीलों का जिक्र भी कंकाली टीलों के रूप में मिलता है. वज नगरी से इसके नाम का बहज तद्भव हो गया.'' गुप्ता ने बताया, ''गांव के प्राचीन टीले का अधिकतर भाग आबादी में जाता जा रहा है. उत्खनन के लिए थोड़ा टीला ही उपयोग में लिया जा सकेगा. यदि अभी उत्खनन नहीं किया गया तो भविष्य में अध्ययन करना मुश्किल होगा. इसलिए इस टीले के अध्ययन के लिए उत्खनन कार्य किया जा रहा है.''

पुरातत्व विभाग के सुपरीटेंडेंट विजय गुप्ता

भरतपुर. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग अब भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली व लीलास्थली के रूप में दुनिया भर में पहचाने जाने वाले बृज क्षेत्र की संस्कृति और कालखंड की पड़ताल करेगा. इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम ने डीग जिले के बहज गांव में एक ऐतिहासिक टीले का उत्खनन कार्य शुरू कर दिया है. संभावना जताई जा रही है कि इस टीले के उत्खनन से बृज क्षेत्र के इतिहास और कालखंड की कई महत्वपूर्ण जानकारियां निकलकर आ सकती हैं.

पुरातत्व विभाग के सुपरीटेंडेंट विजय गुप्ता ने बुधवार को बहज गांव में खुदाई से पूर्व टीले और औजारों की पूजा अर्चना की. उसके बाद गांव में रामपुरा थोक के टीले की खुदाई/उत्खनन का कार्य शुरू किया गया. सुपरिटेंडेंट विजय गुप्ता ने बताया, ''खुदाई के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से अनुमति ली गई है. यहां करीब दो से तीन महीने तक खुदाई कार्य किया जाएगा. पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के निर्देशन में करीब 50 लोगों की टीम उत्खनन कर रही है.''

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खुदाई से पूर्व टीले व औजारों की हुई पूजा-अर्चना

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खुल सकती हैं कालखंड की परतें : विजय गुप्ता ने बताया, ''बहज गांव बृज क्षेत्र का ही हिस्सा है. पूरा बृज क्षेत्र ऐतिहासिक क्षेत्र है. क्षेत्र के कई गांवों में ऐतिहासिक टीले मौजूद हैं. ऐसे में विभाग ने बहज गांव के इस विशाल टीले के कुछ भाग में उत्खनन कार्य शुरू किया है.'' गुप्ता ने आगे बताया, ''उत्खनन का उद्देश्य बृज की संस्कृति की प्राचीनता की खोज करना है. इसका समय सबसे नीचे के स्तरों में कहां तक जाता है, किस किस कालखंड के जमाव प्राप्त होते हैं, यह सब देखना है. संभावना है कि यहां उत्खनन कार्य करने से बृज क्षेत्र की संस्कृति और कालखंड से जुड़े हुए कई महत्वपूर्ण अवशेष मिल सकते हैं.''

Investigation of the culture of Brij
बहज गांव में शुरू हुआ उत्खनन कार्य

बहज का प्राचीन नाम वज नगर : विजय गुप्ता ने बताया, ''जैन अभिलेखों में बहज गांव का जिक्र वज नगर के रूप में पाया जाता है. वज नगरी शाखा प्राप्त होती है. इन टीलों का जिक्र भी कंकाली टीलों के रूप में मिलता है. वज नगरी से इसके नाम का बहज तद्भव हो गया.'' गुप्ता ने बताया, ''गांव के प्राचीन टीले का अधिकतर भाग आबादी में जाता जा रहा है. उत्खनन के लिए थोड़ा टीला ही उपयोग में लिया जा सकेगा. यदि अभी उत्खनन नहीं किया गया तो भविष्य में अध्ययन करना मुश्किल होगा. इसलिए इस टीले के अध्ययन के लिए उत्खनन कार्य किया जा रहा है.''

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