हैदराबाद : अप्रैल फूल सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मनाया जाता है. कुछ देशों में इस दिन छुट्टी भी रहती है. इस दिन लोग एक-दूसरे से मजाक करते हैं. जिसका लोग बुरा नहीं मानते बल्कि उसे एंजॉय करते हैं. आखिर ऐसा क्या है जो इस दिन मूर्ख दिवस मनाया जाता है. आइये जानते हैं.
अप्रैल मूर्ख दिवस
- अप्रैल का पहला दिन जिसे मूर्ख दिवस या अप्रैल फूल दिवस के रूप में जाना जाता है, इस दिन पारंपरिक रूप से सभी लोग एक-दूसरे से मस्ती करते हैं और लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश करते हैं. यह यूरोप के ईसाईयों के वसंत त्योहारों में से एक है, लेकिन ईस्टर का उत्सव इससे प्रभावित नहीं होता.
- इसकी कोई खास जानकारी नहीं मिलती है कि पहली बार अप्रैल फूल डे कब मनाया गया था, लेकिन लोग मानते हैं कि फ्रेंच कैलेंडर में होने वाला बदलाव अप्रैल फूल डे मनाने की शुरुआत हो सकती है. तो वहीं कुछ लोगों का मानना है कि इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय की एनी से सगाई के कारण अप्रैल फूल डे मनाया जाता है और कुछ लोग इसे हिलारिया फेस्टिवल से भी जोड़ कर देखते हैं.
अप्रैल फूल दिवस की उत्पत्ति
- कुछ इतिहासकारों का अनुमान है कि अप्रैल फूल्स डे (मूर्ख दिवस) की शुरुआत फ्रांस में 1582 में उस वक्त हुई, जब पोप चार्ल्स IX ने पुराने कैलेंडर की जगह नया रोमन कैलेंडर शुरू किया. बताया जाता है कि इस दौरान कुछ लोग पुरानी तारीख पर ही नया साल मनाते रहे और उन्हें ही अप्रैल फूल्स कहा गया. साथ ही उनका मजाक भी मनाया गया, हालांकि कई जगह इसकी शुरुआत 1392 भी बताई जाती है, लेकिन इसके कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है.
- अप्रैल फूल्स डे बहुत लोकप्रिय अटकलों का विषय रहा है.
- फ्रांस में अप्रैल फूल दिवस के रीति-रिवाजों के बारे में एक दिलचस्प व्याख्या की गई है. वहीं, दूसरी ओर नए साल की तारीख में भ्रम की स्थिति को बताया गया है. जिन लोगों ने 25 मार्च को अपने वर्ष की शुरुआत के रूप में मान्यता दी थी उनलोगों ने 1 अप्रैल को इस घटना के आठ दिवसीय उत्सव का समापन किया.
- जब 1564 में चार्ल्स IX ने आधिकारिक तारीख को बदलते हुए 1 जनवरी कर दिया, तो कुछ लोगों ने बदलाव का विरोध किया. वहीं, कुछ लोगों को इस तारीख पर भ्रम भी हुआ. इस भ्रम की वजह से पहले साल के लिए झूठी बधाई देने और झूठे उपहार भेजने का चलन शुरू हुआ.
- इनमें सबसे ज्यादा मशहूर अवधारणा के अनुसार पुराने समय में रोमन लोग अप्रैल में अपने नए साल की शुरूआत करते थे, तो वहीं मीडिल यूरोप में 25 मार्च को नए साल का उत्सव मनाया जाता था, लेकिन 1852 में पोप ग्रेगरी अष्ठम ने ग्रेगेरियन कैलेंडर (जो आज प्रचलित है) की घोषणा की, जिसके बाद से जनवरी से नए साल की शुरुआत होने लगी.
1 अप्रैल को 'अप्रैल फूल दिवस' कैसे बना
- एक कहानी यह है कि अप्रैल फूल्स डे की शुरुआत फ्रांस के 1564 एडिक्टोफ रौसिलन के साथ हुई.
दुनियाभर में अप्रैल फूल दिवस
1 अप्रैल 1700 को अंग्रेजी प्रैंकस्टर्स ने एक-दूसरे पर व्यावहारिक चुटकुले बनाकर अप्रैल फूल्स डे की वार्षिक परंपरा को लोकप्रिय बनाया था.
फ्रांस में मूर्ख पार्टी को पोइसन डी'विल कहा जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है 'अप्रैल मछली.' फ्रांस में इस दिन शरारत करते हुए दोस्त की पीठ पर एक कागज की मछली बनाकर टांग देते हैं.
स्कॉटलैंड में अप्रैल फूल्स डे को पारंपरिक रूप से गौक डे कहा जाता है.
ब्राज़ील में 1 अप्रैल को दीया दा मेंटिरा या 'ली डे' के रूप में मनाया जाता है, जिसमें लोग हंसी-हंसी में अपने प्रियजनों को मूर्ख बनाने की कोशिश करते हैं.
प्रैंक वीडियो इंटरनेट पर बहुत अधिक सर्च किए जाते हैं. लोग अपने दोस्तों, सहकर्मियों या सिर्फ आम जनता को एक अच्छी हंसी और निश्चित रूप से देखने के लिए ट्रोल करते हैं.
हालांकि, केरल में एक घटना घटी. यह घटना केरल के अलाप्पुझा जिले में फरवरी 2021 में घटी जब छह लोगों ने जानबूझकर एक वीडियो बनाया. जिसमें एक मामूली दुर्घटना हो गई थी. अधिकारियों को इस घटना की जब जानकारी दी गई, तब मोटर वाहन विभाग ने उनके वाहन को जब्त कर लिया और उनके लाइसेंस निलंबित कर दिए.