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सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम : दो जजों ने सर्कुलेशन से जजों के चयन की प्रक्रिया का किया विरोध - सर्कुलेशन के जरिए जजों की नियुक्ति

सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति क्या सर्कुलेशन के जरिए हो सकती है, क्या एक महीने के बाद रिटायर होने वाले मुख्य न्यायाधीश को कॉलेजियम की बैठक बुलाने का अधिकार है, इन विषयों पर विवाद हो गया है. सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने सर्कुलेशन प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं.

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सुप्रीम कोर्ट
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Published : Oct 10, 2022, 2:15 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कहा है कि कॉलेजियम के दो सदस्यों ने जजों के चयन और नियुक्ति की सर्कुलेशन प्रक्रिया पर आपत्ति जताई है. भारत के मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित, जो कॉलेजियम के प्रमुख हैं, ने इस महीने की शुरूआत में अपने चार सदस्यों - जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, एस.के. कौल, एस. अब्दुल नजीर और के.एम जोसेफ को पत्र लिख कर इस बात पर सहमति मांगी थी कि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रविशंकर झा, पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पी वी संजय कुमार और वरिष्ठ अधिवक्ता के वी विश्वनाथन को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति हो.

शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर 9 अक्टूबर को अपलोड किए गए एक संयुक्त बयान में कहा गया है: सीजेआई द्वारा शुरू किए गए प्रस्ताव में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के.एम. जोसेफ की सहमति थी. जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर ने सकुर्लेशन द्वारा जजों के चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया पर आपत्ति जताई। इसलिए, मामले पर कॉलेजियम बनाने वाले न्यायाधीशों के बीच चर्चा की जानी थी.

7 अक्टूबर, 2022 को केंद्रीय कानून मंत्री से एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें सीजेआई से अपने उत्तराधिकारी को 9 नवंबर से पहले नामित करने का अनुरोध किया गया था. कॉलेजियम के सभी सदस्यों द्वारा जारी बयान में कहा गया है, ऐसी स्थिति में आगे कोई कदम उठाने की जरूरत नहीं है. 30 सितंबर, 2022 को बुलाई गई बैठक में अधूरे काम को बिना किसी विचार-विमर्श के बंद कर दिया गया और बैठक को निरस्त कर दिया गया.

कॉलेजियम ने कहा कि 26 सितंबर को हुई बैठक में पहली बार संभावित उम्मीदवारों के निर्णयों को प्रसारित करने और उनकी योग्यता का मूल्यांकन करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी. उस बैठक में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता के नाम को भी मंजूरी दी गई थी. कॉलेजियम के कुछ सदस्यों ने मांग की थी कि वे अन्य उम्मीदवारों के बारे में निर्णय लें. इसलिए, बैठक को 30 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया था.

कॉलेजियम की बैठक 30 सितंबर को शाम 4 बजे बुलाई गई. चूंकि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ बैठक में शामिल नहीं हुए, इसलिए सीजेआई ने उन्हें एक प्रस्ताव भेजा. उन्होंने कहा, प्रस्ताव को न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ ने 1 अक्टूबर और 7 अक्टूबर को उनके संबंधित पत्रों के माध्यम से अनुमोदन प्राप्त किया. 1 अक्टूबर को अलग-अलग पत्रों द्वारा जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर ने 30 सितंबर के पत्र में अपनाए गए तरीके पर अन्य बातों के साथ-साथ आपत्ति जताई.

इसमें आगे कहा गया है कि जस्टिस चंद्रचूड़ और नजीर के पत्रों में इनमें से किसी भी उम्मीदवार के खिलाफ किसी भी विचार का खुलासा नहीं किया गया था. बयान में कहा गया, यह उनके प्रभुत्व के संज्ञान में लाया गया था. वैकल्पिक सुझाव सीजेआई द्वारा संबोधित दूसरे कम्यूनिकेशन 02-10- 2022 के माध्यम से आमंत्रित किए गए थे। उक्त कम्यूनिकेशन का कोई जवाब नहीं आया.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कहा है कि कॉलेजियम के दो सदस्यों ने जजों के चयन और नियुक्ति की सर्कुलेशन प्रक्रिया पर आपत्ति जताई है. भारत के मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित, जो कॉलेजियम के प्रमुख हैं, ने इस महीने की शुरूआत में अपने चार सदस्यों - जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, एस.के. कौल, एस. अब्दुल नजीर और के.एम जोसेफ को पत्र लिख कर इस बात पर सहमति मांगी थी कि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रविशंकर झा, पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पी वी संजय कुमार और वरिष्ठ अधिवक्ता के वी विश्वनाथन को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति हो.

शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर 9 अक्टूबर को अपलोड किए गए एक संयुक्त बयान में कहा गया है: सीजेआई द्वारा शुरू किए गए प्रस्ताव में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के.एम. जोसेफ की सहमति थी. जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर ने सकुर्लेशन द्वारा जजों के चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया पर आपत्ति जताई। इसलिए, मामले पर कॉलेजियम बनाने वाले न्यायाधीशों के बीच चर्चा की जानी थी.

7 अक्टूबर, 2022 को केंद्रीय कानून मंत्री से एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें सीजेआई से अपने उत्तराधिकारी को 9 नवंबर से पहले नामित करने का अनुरोध किया गया था. कॉलेजियम के सभी सदस्यों द्वारा जारी बयान में कहा गया है, ऐसी स्थिति में आगे कोई कदम उठाने की जरूरत नहीं है. 30 सितंबर, 2022 को बुलाई गई बैठक में अधूरे काम को बिना किसी विचार-विमर्श के बंद कर दिया गया और बैठक को निरस्त कर दिया गया.

कॉलेजियम ने कहा कि 26 सितंबर को हुई बैठक में पहली बार संभावित उम्मीदवारों के निर्णयों को प्रसारित करने और उनकी योग्यता का मूल्यांकन करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी. उस बैठक में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता के नाम को भी मंजूरी दी गई थी. कॉलेजियम के कुछ सदस्यों ने मांग की थी कि वे अन्य उम्मीदवारों के बारे में निर्णय लें. इसलिए, बैठक को 30 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया था.

कॉलेजियम की बैठक 30 सितंबर को शाम 4 बजे बुलाई गई. चूंकि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ बैठक में शामिल नहीं हुए, इसलिए सीजेआई ने उन्हें एक प्रस्ताव भेजा. उन्होंने कहा, प्रस्ताव को न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ ने 1 अक्टूबर और 7 अक्टूबर को उनके संबंधित पत्रों के माध्यम से अनुमोदन प्राप्त किया. 1 अक्टूबर को अलग-अलग पत्रों द्वारा जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर ने 30 सितंबर के पत्र में अपनाए गए तरीके पर अन्य बातों के साथ-साथ आपत्ति जताई.

इसमें आगे कहा गया है कि जस्टिस चंद्रचूड़ और नजीर के पत्रों में इनमें से किसी भी उम्मीदवार के खिलाफ किसी भी विचार का खुलासा नहीं किया गया था. बयान में कहा गया, यह उनके प्रभुत्व के संज्ञान में लाया गया था. वैकल्पिक सुझाव सीजेआई द्वारा संबोधित दूसरे कम्यूनिकेशन 02-10- 2022 के माध्यम से आमंत्रित किए गए थे। उक्त कम्यूनिकेशन का कोई जवाब नहीं आया.

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