गुवाहाटी : असम राज्य चिड़ियाघर से गुजरात में अंबानी बिजनेस ग्रुप के एक निजी चिड़ियाघर में दो ब्लैक पैंथर के स्थानांतरण की असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) ने कड़ी निंदा की.
एपीसीसी ने कहा है कि अंबानी के रिलायंस समूह ने साबित कर दिया है चिड़ियाघर में कैद में रखे गए जंगली जानवर भी बड़े कॉरपोरेट घरानों के जाल से बच नहीं सकते हैं, क्योंकि हाल ही में गुवाहाटी के राज्य चिड़ियाघर से दो ब्लैक पैंथरों को गुजरात के एक चिड़ियाघर में भेजा गया है.
एक साल पहले असम से गुजरात के एक मंदिर में तीन हाथियों के स्थानांतरण के बाद दो काले पैंथर को असम के राज्य चिड़ियाघर से ग्रीन जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर में स्थानांतरित किए गए थे. लेकिन उन्हें गुपचुप तरीके से जनवरी के दूसरे सप्ताह में इन्हें मुकेश अंबानी के रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा स्थापित गुजरात के जामनगर में बनाये गये चिड़ियाघर में भेज दिये गये. इसकी जानकारी राज्य के पशु प्रेमियों और संरक्षणवादियों को भी नहीं दी गई.
हालांकि एक वरिष्ठ वन अधिकारी ने दावा किया कि हस्तांतरण एक एक्सचेंज प्रोग्राम के हिस्से के रूप में किया गया था जिसके तहत जामनगर केंद्र असम को इजरायल से चार जेब्रा हासिल करने में मदद करेगा. लेकिन दस्तावेजों में ऐसे किसी भी विनिमय का उल्लेख नहीं किया गया था और केवल यह कहा गया था कि इन जानवरों का प्रदर्शन के उद्देश्य से 'अधिग्रहण' किया गया. हालांकि इस बारे में असम के पीसीसीएफ (वन्यजीव) को संबोधित पत्र में जानवरों के किसी भी आदान-प्रदान का उल्लेख नहीं किया गया है. इस मामले को लेकर असम कांग्रेस ने राज्य सरकार से जांच की मांग की है.
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पार्टी ने जानना चाहा है कि इसमें आधिकारिक प्रक्रिया का पालन क्या था? क्या ऐसा 'प्रदर्शन' के लिए हो सकता है? यदि उन्हें 'प्रदर्शन' के लिए ही भेजा गया है तो क्या 'प्रदर्शन' के बाद ब्लैक पैंथरों को चिड़ियाघर में वापस लाया जा रहा है? महामारी की स्थिति के दौरान ऐसा कोई भी स्थानांतरण कैसे हो सकता है?