लखनऊ: योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. योगी के साथ उनके मंत्रिमंडल के 16 कैबिनेट, 14 राज्य (स्वतंत्र प्रभार) व 20 राज्य मंत्रियों ने भी शपथ ली है. योगी सरकार 2.0 में कई नए चेहरों को जगह दी गयी है तो सहयोगी दल निषाद पार्टी व अपना दल के भी एक-एक मंत्री बनाये गए हैं. अपना दल (एस) कोटे से केंद्र में मंत्री अनुप्रिया पटेल के पति व एमएलसी आशीष पटेल कैबिनेट मंत्री बने है.
ऐसे में अब अपना दल (एस) के अंदरखाने इस बात की सुगबुगाहट तेज हो गई है कि परिवार से शुरू हुई पार्टी परिवार के बीच ही सिमट कर रह गई. पार्टी की सर्वेसर्वा अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री हैं और अब उनके पति, यूपी में कैबिनेट मंत्री होंगे. योगी सरकार के पिछले टर्म में अनुप्रिया पटेल ने भाजपा पर अपने पति आशीष पटेल को कैबिनेट मंत्री बनाने को लेकर दबाव डाला था. हालांकि दबाव काम नहीं आया. इस बार अपना दल (एस) ने पिछली बार से अधिक सीटें जीती हैं, तो आशीष पटेल को कैबिनेट मंत्री बनाये जाने पर सहमति बन गई. जिसका नतीजा रहा आशीष पटेल ने मंत्री पद की शपथ ले ली है.
सिर्फ परिवार का अपना दल पर दबदबा
अनुप्रिया पटेल की पार्टी के जनक उनके पिता कुर्मी समाज के बड़े नेता सोनेलाल पटेल थे. उन्होंने 1995 में बसपा से अलग होकर अपना दल का गठन किया था. सोनेलाल की मृत्यु के बाद इसकी बागडोर अनुप्रिया पटेल की मां कृष्णा पटेल ने संभाली थी. कृष्णा पटेल की दूसरे नम्बर की बेटी अनुप्रिया पटेल व पल्लवी पटेल भी पार्टी का अंग रहीं और सक्रियता के साथ कार्य भी करती रहीं. सोनेलाल की असामयिक मृत्यु के बाद से ही पार्टी में उनके परिवार का दबदबा कायम रहा था.
परिवार के बीच पॉवर पॉलिटिक्स
अपना दल के गठन के पांच महीने बाद सोनेलाल का अचानक निधन होने के बाद उनकी पत्नी कृष्णा पटेल ने पार्टी की बागडोर संभाली. तब उनकी दो बेटियां पल्लवी पटेल व अनुप्रिया पटेल भी राजनीति में एक्टिव हो चुकी थीं. पार्टी में खींचतान मची, एक तरफ पल्लवी पटेल व उनके पति पंकज निरंजन थे, तो दूसरी ओर अनुप्रिया पटेल व उनके पति आशीष पटेल थे. पॉवर की चाहत ने दोनों बहनों को अलग कर दिया और परिवार में विघटन के साथ ही पार्टी के भी दो फाड़ हो गए. अनुप्रिया पटेल ने अपना दल (S) बनाई और बीजेपी के साथ कदमताल करने लगीं. खुद केंद्र में दूसरी बार मंत्री बनीं और पति को यूपी में बीजेपी की मदद से एमएलसी बनवा दिया.
परिवार तक ही सीमित रहा अपना दल
यूपी में भारतीय जनता पार्टी के साथ मिल कर लोकसभा व विधान सभा चुनाव लड़ने के बाद लगातार अपना दल (एस) मजबूत होता गया और अनुप्रिया की पावर बढ़ती गयी. सोनेलाल पटेल के निधन के बाद अनुप्रिया चुनाव लड़ती रहीं. मां कृष्णा पटेल से अलग होने के बाद अनुप्रिया केंद्र में दो बार मंत्री बनी. यही नहीं पति को एमएलसी बनवा, मंत्री भी बनवाने की कोशिशें करती रहीं. साथ ही पार्टी की बागडोर भी पूरी तरह पति आशीष पटेल के ही हाथ में थी. अब जब एक बार फिर अनुप्रिया पटेल की पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करते हुए 17 सीटों में 12 सीट जीती हैं तो कैबिनेट मंत्री बनने के लिए पति आशीष पटेल को ही आगे किया है.
खुद और पति को पावरफुल बनाना देता है गलत संदेश: विशेषज्ञ
राजनीतिक विश्लेषक जय प्रकाश पाल कहते हैं कि वैसे तो क्षेत्रीय दलों का परिवारवाद से ग्रसित होना अचंभित नहीं करता है. लेकिन जिस समाज के लिये अनुप्रिया पटेल राजनीति करती आई हैं और लड़ाई लड़ने का दावा करती हैं, तो उन्हें उस समाज के लोगों को आगे लाकर एक संदेश देना चाहिए था. वे खुद केंद्र में मंत्री हैं और पति को पार्टी की कमान पहले से ही सौंप चुकी हैं. एमएलसी भी बनवा ही दिया. इस बार कैबिनेट मंत्री के लिए परिवार से इतर किसी अन्य को मौका देतीं तो एक अच्छा संदेश जा सकता था.