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मनी लॉन्ड्रिंग केस : CBI ने किया अधिकारी अभिषेक तिवारी की जमानत का विरोध

सीबीआई ने अनिल देशमुख से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में अधिकारी अभिषेक तिवारी की जमानत याचिका का विरोध किया है. रढ़ें पूरी खबर...

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Published : Sep 29, 2021, 5:53 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय में सीबीआई ने अपने अधिकारी अभिषेक तिवारी की उस याचिका का विरोध किया जिसमें जमानत की मांग की गई थी. दरअसल अभिषेक तिवारी ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में जांच एजेंसी की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के कथित लीक होने के संबंध में जमानत की मांग की थी.

सीबीआई ने कहा कि आरोप गंभीर हैं और उनकी रिहाई निष्पक्ष जांच के लिए हानिकारक हो सकती है.

सीबीआई ने तिवारी की जमानत याचिका के जवाब में कहा कि एजेंसी के एक अधिकारी के रूप में, उनका कर्तव्य उन लोगों का पता लगाना और उन्हें न्याय दिलाना था जो भ्रष्ट आचरण में शामिल थे, लेकिन वह खुद भ्रष्ट आचरण के आरोपी पाए गए हैं.

पढ़ें :- अनिल देशमुख केस : आरोपी अभिषेक तिवारी की जमानत याचिका पर सीबीआई को नोटिस

इस प्रकार अपराध बहुत गंभीर है और चूंकि याचिकाकर्ता (तिवारी) के पास, जांच कैसे की जाती है, इसकी जानकारी और ज्ञान है, याचिकाकर्ता की रिहाई निष्पक्ष और उचित जांच के लिए हानिकारक हो सकती है.

न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने मामले को आगली सुनवाई के लिए 5 अक्टूबर को सूचीबद्ध किया है.

(पीटीआई)

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय में सीबीआई ने अपने अधिकारी अभिषेक तिवारी की उस याचिका का विरोध किया जिसमें जमानत की मांग की गई थी. दरअसल अभिषेक तिवारी ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में जांच एजेंसी की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के कथित लीक होने के संबंध में जमानत की मांग की थी.

सीबीआई ने कहा कि आरोप गंभीर हैं और उनकी रिहाई निष्पक्ष जांच के लिए हानिकारक हो सकती है.

सीबीआई ने तिवारी की जमानत याचिका के जवाब में कहा कि एजेंसी के एक अधिकारी के रूप में, उनका कर्तव्य उन लोगों का पता लगाना और उन्हें न्याय दिलाना था जो भ्रष्ट आचरण में शामिल थे, लेकिन वह खुद भ्रष्ट आचरण के आरोपी पाए गए हैं.

पढ़ें :- अनिल देशमुख केस : आरोपी अभिषेक तिवारी की जमानत याचिका पर सीबीआई को नोटिस

इस प्रकार अपराध बहुत गंभीर है और चूंकि याचिकाकर्ता (तिवारी) के पास, जांच कैसे की जाती है, इसकी जानकारी और ज्ञान है, याचिकाकर्ता की रिहाई निष्पक्ष और उचित जांच के लिए हानिकारक हो सकती है.

न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने मामले को आगली सुनवाई के लिए 5 अक्टूबर को सूचीबद्ध किया है.

(पीटीआई)

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