हैदराबाद/अमरावती: आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय (एचसी) ने बुधवार को मार्गदर्शी चिट फंड कार्यालयों में निरीक्षण पर रोक लगाते हुए एक अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें कहा कि यदि निरीक्षण किया जाना है, तो 46-ए नियम का पालन किया जाना चाहिए. आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने कंपनी की दैनिक गतिविधियों में खलल न डालने का आदेश दिया है.
एक अन्य मामले में, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने बुधवार को आंध्र प्रदेश सीआईडी को मौखिक निर्देश दिया है कि वह मार्गदर्शी के मामले का विवरण मीडिया में न बताए. कोर्ट ने सीआईडी से सवाल किया कि मार्गदर्शी मामले पर प्रेस मीटिंग बुलाने की जरूरत क्यों पड़ी. तेलंगाना हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई अगले महीने की 12 तारीख तक के लिए स्थगित कर दी है.
मार्गदर्शी के वकील ने अदालत को बताया कि आंध्र प्रदेश सरकार काउंटर फाइलिंग में देरी कर रही है. तेलंगाना हाई कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार के वकील को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. 21 अगस्त को, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) प्रमुख, एन चंद्रबाबू नायडू ने मौजूदा मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पर 'वाईएसआरसीपी के घोटालों और गंदे कामों को उजागर करने' के लिए रामोजी ग्रुप के चेयरमैन रामोजी राव को परेशान करने का आरोप लगाया था.
माइक्रो ब्लोगिंग प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर एक लंबी पोस्ट में चंद्रबाबू नायडू ने लिखा कि संस्थानों को नष्ट करने की अपनी प्रवृत्ति को जारी रखते हुए, वाईएस जगन मोहन रेड्डी अब लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया को ध्वस्त करने की कोशिश कर रहे हैं. 11 अगस्त को, आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने रजिस्ट्रार ऑफ चिट्स द्वारा जारी हालिया सार्वजनिक नोटिस पर रोक लगाते हुए हस्तक्षेप किया.
नोटिस, जिसमें ग्राहकों से मार्गदर्शी चिट समूहों को बंद करने के खिलाफ अपनी आपत्तियां व्यक्त करने का आह्वान किया गया था, उसको आगे के कार्यान्वयन से अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया है यह निर्णय विभिन्न हितधारकों द्वारा उठाई गई चिंताओं के परिणामस्वरूप लिया गया था.