ETV Bharat / bharat

पीएम मोदी, राहुल, भाजपा, कांग्रेस और चीन पर स्वामी के बेबाक जवाब

author img

By

Published : Jan 17, 2022, 9:18 PM IST

Updated : Jan 17, 2022, 10:20 PM IST

सांसद सुब्रमण्यम स्वामी अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं. फिर चाहे पीएम मोदी हों या चीन या फिर कांग्रेस पार्टी, हर मुद्दे पर अपनी स्पष्ट राय रखते हैं. ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में उन्होंने कहा कि पीएम मोदी हर वक्त मैं..मैं..मैं करते हैं, यह सही नहीं है. उनको चीन के नेताओं ने अंधेरे में रखा, और राजनाथ तो इस मामले में बेचारा हैं. यूपी चुनाव पर स्वामी ने कहा कि जीत हिंदुत्व की ही होगी. उन्होंने कहा कि एक बार मोदी ने मुझे रायबरेली से चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था. भाजपा के मुद्दे पर स्वामी ने कहा कि वह आरएसएस की वजह से पार्टी में आए थे. पेश है उनकी पूरी बातचीत. उनसे बातचीत की है ईटीवी भारत के नेशनल ब्यूरो चीफ राकेश त्रिपाठी ने.

सांसद सुब्रमण्यम स्वामी
सांसद सुब्रमण्यम स्वामी

नई दिल्ली : देश में अपनी बेबाकी के लिए चर्चित सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ईटीवी भारत के नेशनल ब्यूरो चीफ राकेश त्रिपाठी के साथ अपने विचार साझा किेए. ना केवल उन्होंने भारत चीन के बीच चल रहे तनातनी, बल्कि पं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ मुलाकात को मीडिया ने जिस चश्मे से देखा, उस पर भी अपने विचार बेबाकी से रखे. हालांकि एक बात बडे़ ही स्पष्ट शब्दों में कहा कि चीन भारत को चूहे की तरह कुतर रहा है और हम हैं कि उसको नजरअंदाज कर रहे हैं, वहीं उनका कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था भी काफी डावांडोल है, परंतु हमारी मीडिया सरकारी प्रेस नोट छापकर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर लेती है. पूरे साक्षात्कार के लिए पढ़ें पूरे ईटीवी भारत के सवाल और स्वामी के जवाब...

ईटीवी भारत- पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है और ऐन वक्त पर भाजपा के बहुत से विधायक दलबदल कर रहे हैं, ऐसे में क्या मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने वाली भाजपा की फिर से सत्ता में वापसी होगी ?

स्वामी- पहले ये बता दूं कि ये कोई नई बात नहीं है. पुराने चुनाव देख लीजिए, पहले भी ऐसा होता रहा है कि हमारी पार्टी से लोग छोड़ कर गए. लोकसभा चुनाव-2019 में शिवसेना अलग हो गई थी. तो मैं ये कहूंगा कि सवाल इस पर निर्भर नहीं करता है कि कोई आया, कोई गया. हमारे ऊपर इसका कोई फर्क नहीं पड़ता है. दूसरी बात ये कि ये मीडिया कहता है कि बीजेपी मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ती है. मोदीजी हमारे प्रधानमंत्री हैं, तो उनको तो केंद्र में होना ही है, लेकिन बूथ में, बैठकों के लिए लोगों को इकट्ठा करने में जो कार्यकर्ता लगते हैं, उसमें बीजेपी के लोग हैं और आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद, भारतीय मजदूर संघ और विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता भी उसमें जुड़ जाते हैं. इसका मुकाबला दूसरे दल बहुत ही कम कर पाते हैं. बंगाल में भी हमने ज़्यादा कह दिया कि हम बहुमत पा जाएंगे. लेकिन हम 3 सीट से 77 तक आ गए थे, इतनी बड़ी उपलब्धि छिप गई. इसलिए इस वक्त मुझे ऐसा कोई ख़तरा लगता नहीं है.

ईटीवी भारत- आपको लगता है योगी एक बार फिर यूपी में सत्ता में लौट पाएंगे ?

स्वामी- अभी तो ऐसे ही लगता है मुझे, पर मैं कह नहीं सकता. ऐसा भी हो सकता है कि कोई घटना इस बीच ऐसी हो जाए, जिससे लोग पलट जाएं. जैसे चीन के सामने कोई बड़ी कमज़ोरी हम दिखा दें और छिपा न सकें, हालांकि अभी तक तो हम छिपाते ही आए हैं.

ईटीवी भारत- आप को लगता है हम चीन के सामने कमज़ोर पड़ रहे हैं ?

स्वामी- कमज़ोर नहीं पड़ रहे हैं. हम जो कर रहे हैं, मैं उसे कायरता समझता हूं. हम डरे हुए हैं कि कहीं 1962 वाला मामला दोबारा न हो जाए. इसीलिए ढील दे रहे हैं, पीछे हट रहे हैं और खबरों को दबा रहे हैं. मीडिया भी सच बोलने से डरता है. वास्तविकता यही है कि अभी तो वो (चीन) थोड़ा-थोड़ा हमें कुतर रहे हैं, जैसे चूहे काटते हैं. लेकिन जब बर्फ ख़त्म हो जाएगी मार्च में, तो क्या होगा ? इस चुनाव में बेशक फर्क न पड़े, आगे और भी चुनाव आने हैं. गुजरात के चुनाव हैं सितंबर-अक्टूबर में. दूसरी बात ये कि हमारी अर्थ प्रणाली बड़ी नाज़ुक स्थिति में है. कोई इसको छापता नहीं है, सब झूठ बोलते हैं, वित्त मंत्रालय जो कहता है, हम उसे ही छाप कर लोगों को ‘सच’ बताने की कोशिश कर रहे हैं. गरीब और गरीब हो गया है. तो इसका भी असर है लेकिन इसके बावजूद लोगों को और कोई नहीं दिखता. बीजेपी के पास तो सुधरने के मौके भी हैं, परंतु अन्य के पास तो सुधरने की दूर-दूर तक कोई गुंजाइश ही नहीं दिखती.

ईटीवी भारत- शिवसेना कह रही है कि उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ेगी. क्या जिस तरह माना जाता है कि ओवैसी मुसलमानों के वोट काटने आए हैं, क्या शिवसेना भी हिंदुओं के वोट काटने आ रही है ? आप क्या मानते हैं ?

स्वामी- देखिए ओवैसी हों या ठाकरे हों, किसी के वोट काटेंगे, क्या सिर्फ इसलिए उन्हें चुनाव में खड़ा नहीं होना चाहिए ? आज ओवैसी अकेले चुनाव लड़ते हैं, लेकिन दुनिया भर में उन्हें लोग जानते हैं. हमें पसंद न आए, तो अलग बात है. लेकिन वो पढ़ा-लिखा है, कानून की उसके पास डिग्री है, अंग्रेज़ी बहुत अच्छा बोलता है. वो हमें चिढ़ाता तो ज़रूर है, लेकिन जब विदेश जाता है, तो हिंदुस्तान की बात करता है. निडर है वो, लेकिन लोग उसे टारगेट करते हैं. ऐसे तो लोग मुझे भी टारगेट करते हैं. बीजेपी का जो आईटी सेल है, वो कुछ न कुछ गंदा मेरे बारे में लिखता रहता है. जिस देश में सीता की आलोचना हो गई, उस देश में हम जैसे लोगों की आलोचना कोई बड़ी बात नहीं है. मैं ये समझता हूं कि हमने बहुत बड़ी गलती की कि शिवसेना के साथ हमने महाराष्ट्र में सरकार नहीं बनाई. ठाकरे को हमने अपने गठबंधन से धक्का देकर बाहर निकाल दिया. मैं जानता हूं कि बीजेपी ने ठाकरे से वादा किया था कि इस चुनाव के बाद तुम मुख्यमंत्री बनोगे. उसके बाद धोखा दे दिया. बीजेपी थोड़ा अहंकार में है.

ईटीवी भारत- बीजेपी किसकी वजह से अहंकार में है ?

स्वामी-पता नहीं, लेकिन हमारी पार्टी में जो अनुशासन है, उसको उन्होंने ग़लतफहमी में ये समझ लिया कि सब लोग सैल्यूट मारने के लिए तैयार हैं, सब गुलाम बनने के लिए तैयार हैं, कोई खड़ा नहीं होगा, किसी में हिम्मत नहीं होगी, छापे मार देंगे तो लोग दब जाएंगे. इस तरह का माहौल बना है इसीलिए मैं तो खुल कर बोलता हूं. मैं लोकतंत्र के लिए राजनीति में आया. इंदिरा गांधी तक से मैं लड़ गया था. मुझे किसी बात की चिंता नहीं है. चंद्रशेखर इंदिरा गांधी से लड़े, वो पार्टी में थे, फिर भी लड़े. इसीलिए उनका नाम हुआ और आज भी लोग उनको याद करते हैं.

ईटीवी भारत- आप मोदी के बहुत बड़े प्रशंसक थे. अब भी हैं ?

स्वामी- देखिए मेरी दोस्ती उनके साथ अभी भी है, कोई नफ़रत ऐसी नहीं है. कोई व्यक्तिगत बात नहीं है. उन्होंने मुझे मंत्री नहीं बनाया, तो मैंने उसका बुरा नहीं माना. क्योंकि मैंने मंत्री पद कभी मांगा ही नहीं था. मैं छह बार संसद में आया हूं. दो बार तो मैं सीनियर मोस्ट कैबिनेट मिनिस्टर रहा, नरसिम्हा राव की सरकार में और चंद्रशेखर की सरकार में. मैंने कभी उनसे नहीं कहा कि मुझे मंत्री बनाओ, कभी नहीं कहा कि सांसद बनाओ. इन्होंने मुझसे कहा कि नई दिल्ली से चुनाव लड़ो, मैं तैयार हो गया. केंद्रीय मंत्री नितिन ग़डकरी ने इस खुशी में दावत भी कर दी. फिर जिस दिन मैं नामांकन करने जाने वाला था, उस दिन मुझे राजनाथ जी ने फोन करके कहा कि जेटली ने और मोदी ने तय किया है कि आप नहीं लड़ेंगे. मोदी ने तो मुझसे कहा कि मैं जा कर रायबरेली से चुनाव लड़ जाऊं. मैंने कहा कि भई, मुझे चार महीने पहले बताना चाहिए था. तो मैं मोदी को बहुत सालों से जानता हूं. लेकिन देखिए जानने से क्या होता है ऐसे तो दुर्योधन को विदुर भी खूब जानते थे.

ईटीवी भारत-आपका राज्यसभा का कार्यकाल भी अब पूरा होने को है. तो आगे की क्या योजना है ?

स्वामी-वो तो भगवान की ज़िम्मेदारी है. भगवान जो करेगा, वही होगा. छह बार संसद में आ चुका हूं, जिसमें तीन बार मैं लोकसभा का सदस्य रहा. दो बार बॉम्बे से एक बार मदुरै से. मदुरै से कोई ब्राह्मण जीत नहीं सकता था. तभी जयललिताजी ने भी मुझसे कहा था, तुम क्या कर रहे हो. मैं जानती हूं वहां लोग ब्राह्मण को वोट नहीं देंगे. मैने कहा देखता हूं कैसे नहीं देंगे, और मैं जीत कर आया. वैसे हमारे यहां लोग राज्यसभा जाना ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि वहां मेहनत नहीं करनी होती.

ईटीवी भारत-दरअसल आपकी ममता बनर्जी से जो मुलाकात दिल्ली में हुई थी, उससे कयास निकाले जाने लगे थे कि आप टीएमसी ज्वाइन करने जा रहे हैं.

स्वामी- मैं दरअसल बीजेपी में आया था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कारण. जब बीजेपी बनी, मैं उसमें नही गया, तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ही सलाह थी कि तुम जनता पार्टी चलाओ. मैंने पार्टी चलाई. फिर हिंदुत्व का मामला हो गया. विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल कहने लगे कि सुब्रमण्यम स्वामी ने ही रामसेतु बचाया, स्वामी ही राम मंदिर बना सकता है. तब अशोक सिंघल और आरएसएस प्रमुख के सी सुदर्शन ने ज़ोर लगाया और बाद में मोहन भागवत जी ने बड़ा स्नेह दिखा कर मेरी ज्वाइनिंग की सारी व्यवस्था की. तब मैं भाजपा में आया. संघ के सिद्धांतों पर मैं जनता पार्टी में भी बोलता था. यहां तक कि कैलाश मानसरोवर यात्रा भी मैंने ही खुलवाया था, भाजपा ने नहीं खुलवाया.

ईटीवी भारत- हाल ही में हरिद्वार में ‘हेट स्पीच’ का एक मामला आया है. क्या आप मानते हैं भारतीय समाज खूंखार होता जा रहा है ?

स्वामी-सबको संविधान के भीतर रहना चाहिए. किसी को मार दो, इस तरह का कोई भाषण नहीं दे सकता. मैं जानता हूं कि हिंदुओं को दबाने के लिए सारी दुनिया में साज़िश चल रही है. अब ममता बनर्जी है, वो तो एक पक्की हिंदू है. मैं उसे जानता हूं 1977 से और पिछले 20-30 साल से तो मैं उनको बहुत निकट से जानता हूं. वो तो जो बोलती है, वो करती है और जो करती है वही बोलती है. वो किसी से डरती नहीं है. होम मिनिस्टर (अमित शाह) को अकेले उसने हरा दिया. कोई जाने के लिए तैयार नहीं था बंगाल, तो मैं तो उस बहादुर महिला को प्रणाम करने के लिए गया था. उसने मुझे चाय पिलाई, लेकिन मुझे नहीं पता था कि बाहर सौ पत्रकार लोग खड़े हुए हैं.

ईटीवी भारत-तो हरिद्वार में जो हुआ आप उसकी निंदा करते हैं ?

स्वामी- निंदा शब्द ठीक नहीं है. बात ये है कि जोश में लोग कुछ भी बोल जाते हैं. मुसलमानों के बयानों को सुनते हैं तो उनका खून और खौलता है. उनके ऊपर केस करने के फैसलों को मैं ठीक नहीं मानता. मेरे ऊपर ही केस डाल दिया था एक बार. अरुण जेटली ने केस कर दिया था मेरे ऊपर. हार गए वो, क्योंकि उनके केस में कोई दम नहीं था. उनका आरोप था कि मैंने कहा था कि मस्ज़िदों को तोड़ा जा सकता है, हां मैंने कहा था कि मस्ज़िदों को तोड़ा जा सकता है क्योंकि 1994 में हमारी जो संविधान पीठ थी, उन्होंने कहा था कि नमाज़ तो हम सड़कों पर पढ़ सकते हैं, ड्राइंग रूम में पढ़ सकते हैं, रेलवे प्लेटफॉर्म पर पढ़ सकते हैं. तो उसको लेकर मेरे ऊपर बांग्लादेश के बॉर्डर पर करीमगंज या करीम नगर नाम की जगह है, वहां मेरे खिलाफ मुकदमा करवाया गया फिर मैंने गुवाहाटी हाइकोर्ट जा कर उसके रदद् करवाया.

ईटीवी भारत- क्या आपको लगता है कि भारत की राजनीति से धर्म का दखल कभी जाएगा ? चुनाव के ऐन पहले अखिलेश यादव को सपने में श्रीकृष्ण के दर्शन होने लगे. राहुल गांधी ने जनेऊ पहले ही धारण कर लिया.

स्वामी-जनेऊ भी तो राहुल ने उल्टा पहना है. ऐसा है कि धर्म में उपासना पद्धति की बात नहीं करते हम. हम सिर्फ एक सांस्कृतिक बात, एक आचरण की बात करते हैं. मां-बाप के रिश्ते क्या होते हैं..बच्चों के साथ क्या रिश्ते होते हैं..भाई-बहन के रिश्ते कैसे होते हैं..मर्यादा क्या होती है..शिष्टाचार से व्यवहार करना चाहिए...ये सब बातें हमारे हिंदू धर्म ग्रंथों में लिखी है. हम किसी दूसरे धर्म के खिलाफ नहीं हैं. हम तो कहते हैं कि सारे धर्मों से भगवान प्राप्त हो सकते हैं. ये कहीं नहीं कहा गया कि मेरे रास्ते पर चलो वर्ना गोली से उड़ा देंगे. मुसलमान कहते हैं कि काफिर हो, तो तुम्हें तो मारना ही ठीक है. ईसाई कहते हैं, तुम्हें तो नर्क में भेजना पड़ेगा. हमारे हिंदू धर्म में ऐसा नहीं है. दरअसल अंग्रेज़ों के समय और मुगल काल में हमें बहुत दबा दिया गया. जैसे जाति या वर्ण व्यवस्था है, ये तो जन्म से जुड़ा ही नहीं है. गीता में श्री कृष्ण ने साफ कहा है कि ज्ञानी और त्यागी को ब्राह्मण कहते हैं. जो वीर हैं, युद्ध कर सकते हैं उन्हें क्षत्रिय कहते हैं. विश्वामित्र तो क्षत्रिय धर्म में पैदा हुए हैं, लेकिन बने महर्षि. वेद व्यास की मां तो मछुआरिन थी, लेकिन उन्होंने महाभारत लिख डाला. वाल्मीकि तो दलित परिवार में पैदा हुए, वे महर्षि बने. लेकिन चुनाव के वक्त भगवान का सपने में आने का मतलब है कि लोगों में एक भावना आ गई है कि हिंदुओं के साथ सब लोग खिलवाड़ कर रहे हैं. इसीलिए इस बार बीजेपी जीतेगी. बीजेपी को हिंदू वोटों से जीत मिलेगी. सरकार की ‘इकोनमिक परफॉर्मेंस’ पर कोई वोट नहीं देगा. हमने चीन को कड़ा जवाब दे दिया, इस पर वोट कोई नहीं देगा. दुनिया में सब समझ गए हैं कि हम तो पीछे हट रहे हैं और चीन आगे बढ़ रहा है.

ईटीवी भारत- जिस तरह कांग्रेस के पास गांधी परिवार का चेहरा है, ठीक उसी तरह अब बीजेपी के पास मोदी का चेहरा है. क्या आप मानते हैं कि बीजेपी में भी राजनीति व्यक्ति विशेष के इर्द-गिर्द घूमने लगी है ?

स्वामी- ये मैं नहीं मानता हूं, ये आप मीडिया के लोग बनाते हो. अटल बिहारी वाजपेयी के समय भी यही कहते थे सब. देखिए संघ का जो संगठन है, वो किसी को भी नेता बना सकता है. ये मैंने अपनी आंखों से देखा है. मैं तो जनसंघ में 1970 में आया था, उस समय से जानता हूं सबको. उस समय तो पार्टी बहुत छोटी थी, तो मेरी सबसे बड़ी निकटता थी. मैंने ही तब प्लान दिया था कि देश में ‘स्वदेशी’ प्लान कैसा होगा जिससे इंदिरा गांधी चिढ़ गई थीं. तो आरएसएस का जो संगठन है, वही बीजेपी को जिताता है, कोई व्यक्ति विशेष नहीं जिताता.

ईटीवी भारत -हाल ही में पीएमओ की एक चिट्ठी को लेकर चुनाव आयोग चर्चा में आ गया था. क्या आप समझते हैं कि टी एन शेषन के समय चुनाव आयोग की जो निष्पक्ष छवि थी, उसे नुकसान पहुंचा है ?

स्वामी- टी एन शेषन तो मेरा विद्यार्थी था हार्वर्ड में. मैने ही उसे चुनाव आयुक्त बनाया था. वो नहीं बनना चाहता था मुख्य चुनाव आयुक्त. मैंने कहा नहीं, तुम ही ठीक आदमी हो इस काम के लिए. उस समय प्रधानमंत्री सब काम खुद ही नहीं करते थे, हम सब काम बांटते थे. चंद्रशेखर ने मुझे कानून मंत्री बनाया तो चुनाव आयोग मेरी ज़िम्मेदारी में आ गया. तो मैंने उसे बनाया. चुनाव आयोग तो रीढ़ की हड्डी होनी चाहिए. जो अधिकार हमारे संविधान में है. चुनाव आयोग के लिए तो कोई भी बन सकता है टीएन शेषन जैसा. बस रीढ़ की हड्डी होनी चाहिए.

ईटीवी भारत- लेकिन अब ऐसा नहीं है ?

स्वामी-नहीं है, क्योंकि रीढ़ की हड्डी तोड़ी जाएगी तो ऐसा ही होगा. अब मेरे ट्विटर पर देख लीजिए, बीजेपी वाले इतने अटैक मुझ पर करते हैं कि मुझे प्राइम मिनिस्टर बनना है, इसलिए मैं ये सब कर रहा हूं, मुझे राज्य सभा सीट नहीं मिलेगी. ये सारे लोग ऐसी गंदी-गंदी बातें करते हैं. मैंने राम सेतु बचाया और राम मंदिर का जो मुद्दा ठंडा पड़ा हुआ था, उसे मूलभूत अधिकार से जोड़ कर रास्ता निकाला, वर्ना इसका हल उस जगह के बंटवारे के आसपास निकाला जाता. मैंने मूलभूत अधिकार की बात कर दी. तो ये सब कोई मानता नहीं है.

ईटीवी भारत- एक सवाल चीन को लेकर भी है. चौदहवें दौर की बात हो चुकी है. क्या बातचीत से कोई हल निकलेगा ?

स्वामी- कुछ नहीं होगा. वो हमें दो थप्पड़ लगा के चले जाएंगे. और हम कहेंगे बहुत अच्छी बात हुई. लेकिन उससे निकला कुछ नहीं.

ईटीवी भारत- जनता को पता चले अगर कि मोदी जैसी शख्सियत के प्रधानमंत्री रहते चीन भीतर घुस आया है तो बड़ी निराशा की बात नहीं होगी ये ?

स्वामी- देखिए मोदी की हिम्मत होती तो वो पोप को गले नहीं लगाते. उसको जाकर गले लगाने की क्या ज़रूरत थी ? उसको यहां आमंत्रित करने की क्या ज़रूरत थी ? वो यहां आकर ईसाइयत की बाते करेंगे. अफगानिस्तान से हम क्यों डर के भाग कर आ गए. तो ये जो आंखें दिखाने वाली बात पहले करते थे, अब उसके लिए तैयार नहीं हैं. मैं तो साफ-साफ बता रहा हूं, मैं तो बीजेपी पार्टी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सिद्धांतों की वजह से हूं. मैं आरएसएस से इस बात पर पहले नाराज था कि उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर मुझे पार्टी से बाहर रखा. लेकिन आज मुझे समझ आता है कि उन्होंने ठीक किया था. क्योंकि मैं जनता पार्टी में रह कर स्वतंत्र तौर पर जो राजनीतिक विकास का काम कर रहा था, वह बीजेपी में रह कर नहीं कर सकता था. वाजपेयी ने जैसे गोविंदाचार्य को दबा दिया, वैसे ही मुझे भी दबा देते. उस समय मेरा कद भी उतना नहीं था. तो मेरा कहना मोदी से ये है कि बीजेपी को दूसरी पार्टियों की तरह मत बनाइए. ये पार्टी टीम वर्क में ही चल सकती है. मोदी गलत कर रहा है, हर चीज़ में मैं...मैं ...मैं. चीन ने तुम्हें बुद्धू बना दिया. 18 बार मोदी ने शी जिन पिंग से अकेले मुलाकात की. क्या उनको नहीं पता था कि ये लोग डेपसांग में कब्जा कर चुके हैं ?

ईटीवी भारत- आप चीन और भारत के रिश्तों के बड़े जानकार हैं, आपके हिसाब से क्या करना चाहिए सरकार को ?

स्वामी- मैं कुछ भी कहूंगा, वो उल्टा समझेंगे. मैं इतना ही कहूंगा कि ये आरएसएस की ज़िम्मेदारी है. आरएसएस जो कहेगा, वो मैं करूंगा. मेरी बात जब सर संघचालक से होती है, मैं बताता हूं उनको कि ये जानकारी मुझे मिली है, ये जो कह रहे हैं कि कोई नहीं आया...कोई नहीं गया...सब झूठ है. इसको या तो आर्मी के अफसर इनको झूठ बता रहे हैं, या फिर ये सोचते हैं कि ऐसा झूठ बोलना चाहिए.

ईटीवी भारत- पिछले संसद सत्र में आपने सवाल भी उठाना चाहा था इस मुद्दे पर.

स्वामी- हां, उसमें मुझे जवाब नहीं दिया. कहा कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल है. अरे, मैंने इतना ही तो पूछा था कि चीन हमारी सीमा को पार कर इधर आया है या नहीं. अब आपने जवाब देने से मना कर के, ये तो बता ही दिया कि चीन इधर आया है. वर्ना आप क्यों कहते कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा सवाल है. अब राजनाथ सिंह से कुछ कहता हूं, तो वो तो बेचारा है इन मामलों में.

ईटीवी भारत -बहुत पहले आपने कहा था कि इन्फ्लेशन (मुद्रास्फीति) के बारे में देश के प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री दोनों को कुछ नहीं पता.

स्वामी- जी बिल्कुल कहा था. प्रधानमंत्री ने कह दिया कि पांच साल में पांच ट्रिलियन की इकॉनमी बना दूंगा भारत को. यानी पंद्रह प्रतिशत हर साल ? उस समय हम तीन परसेंट पर थे. और निर्मला सीतारमण तो खैर जेएनयू से है, वहां तो कोई पढ़ाई होती नहीं है.

ये भी पढ़ें : 'पीछे नहीं हट सकते PM मोदी, PAK का अस्तित्व समाप्त करना है'

नई दिल्ली : देश में अपनी बेबाकी के लिए चर्चित सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ईटीवी भारत के नेशनल ब्यूरो चीफ राकेश त्रिपाठी के साथ अपने विचार साझा किेए. ना केवल उन्होंने भारत चीन के बीच चल रहे तनातनी, बल्कि पं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ मुलाकात को मीडिया ने जिस चश्मे से देखा, उस पर भी अपने विचार बेबाकी से रखे. हालांकि एक बात बडे़ ही स्पष्ट शब्दों में कहा कि चीन भारत को चूहे की तरह कुतर रहा है और हम हैं कि उसको नजरअंदाज कर रहे हैं, वहीं उनका कहना है कि भारत की अर्थव्यवस्था भी काफी डावांडोल है, परंतु हमारी मीडिया सरकारी प्रेस नोट छापकर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर लेती है. पूरे साक्षात्कार के लिए पढ़ें पूरे ईटीवी भारत के सवाल और स्वामी के जवाब...

ईटीवी भारत- पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है और ऐन वक्त पर भाजपा के बहुत से विधायक दलबदल कर रहे हैं, ऐसे में क्या मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने वाली भाजपा की फिर से सत्ता में वापसी होगी ?

स्वामी- पहले ये बता दूं कि ये कोई नई बात नहीं है. पुराने चुनाव देख लीजिए, पहले भी ऐसा होता रहा है कि हमारी पार्टी से लोग छोड़ कर गए. लोकसभा चुनाव-2019 में शिवसेना अलग हो गई थी. तो मैं ये कहूंगा कि सवाल इस पर निर्भर नहीं करता है कि कोई आया, कोई गया. हमारे ऊपर इसका कोई फर्क नहीं पड़ता है. दूसरी बात ये कि ये मीडिया कहता है कि बीजेपी मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ती है. मोदीजी हमारे प्रधानमंत्री हैं, तो उनको तो केंद्र में होना ही है, लेकिन बूथ में, बैठकों के लिए लोगों को इकट्ठा करने में जो कार्यकर्ता लगते हैं, उसमें बीजेपी के लोग हैं और आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद, भारतीय मजदूर संघ और विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता भी उसमें जुड़ जाते हैं. इसका मुकाबला दूसरे दल बहुत ही कम कर पाते हैं. बंगाल में भी हमने ज़्यादा कह दिया कि हम बहुमत पा जाएंगे. लेकिन हम 3 सीट से 77 तक आ गए थे, इतनी बड़ी उपलब्धि छिप गई. इसलिए इस वक्त मुझे ऐसा कोई ख़तरा लगता नहीं है.

ईटीवी भारत- आपको लगता है योगी एक बार फिर यूपी में सत्ता में लौट पाएंगे ?

स्वामी- अभी तो ऐसे ही लगता है मुझे, पर मैं कह नहीं सकता. ऐसा भी हो सकता है कि कोई घटना इस बीच ऐसी हो जाए, जिससे लोग पलट जाएं. जैसे चीन के सामने कोई बड़ी कमज़ोरी हम दिखा दें और छिपा न सकें, हालांकि अभी तक तो हम छिपाते ही आए हैं.

ईटीवी भारत- आप को लगता है हम चीन के सामने कमज़ोर पड़ रहे हैं ?

स्वामी- कमज़ोर नहीं पड़ रहे हैं. हम जो कर रहे हैं, मैं उसे कायरता समझता हूं. हम डरे हुए हैं कि कहीं 1962 वाला मामला दोबारा न हो जाए. इसीलिए ढील दे रहे हैं, पीछे हट रहे हैं और खबरों को दबा रहे हैं. मीडिया भी सच बोलने से डरता है. वास्तविकता यही है कि अभी तो वो (चीन) थोड़ा-थोड़ा हमें कुतर रहे हैं, जैसे चूहे काटते हैं. लेकिन जब बर्फ ख़त्म हो जाएगी मार्च में, तो क्या होगा ? इस चुनाव में बेशक फर्क न पड़े, आगे और भी चुनाव आने हैं. गुजरात के चुनाव हैं सितंबर-अक्टूबर में. दूसरी बात ये कि हमारी अर्थ प्रणाली बड़ी नाज़ुक स्थिति में है. कोई इसको छापता नहीं है, सब झूठ बोलते हैं, वित्त मंत्रालय जो कहता है, हम उसे ही छाप कर लोगों को ‘सच’ बताने की कोशिश कर रहे हैं. गरीब और गरीब हो गया है. तो इसका भी असर है लेकिन इसके बावजूद लोगों को और कोई नहीं दिखता. बीजेपी के पास तो सुधरने के मौके भी हैं, परंतु अन्य के पास तो सुधरने की दूर-दूर तक कोई गुंजाइश ही नहीं दिखती.

ईटीवी भारत- शिवसेना कह रही है कि उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ेगी. क्या जिस तरह माना जाता है कि ओवैसी मुसलमानों के वोट काटने आए हैं, क्या शिवसेना भी हिंदुओं के वोट काटने आ रही है ? आप क्या मानते हैं ?

स्वामी- देखिए ओवैसी हों या ठाकरे हों, किसी के वोट काटेंगे, क्या सिर्फ इसलिए उन्हें चुनाव में खड़ा नहीं होना चाहिए ? आज ओवैसी अकेले चुनाव लड़ते हैं, लेकिन दुनिया भर में उन्हें लोग जानते हैं. हमें पसंद न आए, तो अलग बात है. लेकिन वो पढ़ा-लिखा है, कानून की उसके पास डिग्री है, अंग्रेज़ी बहुत अच्छा बोलता है. वो हमें चिढ़ाता तो ज़रूर है, लेकिन जब विदेश जाता है, तो हिंदुस्तान की बात करता है. निडर है वो, लेकिन लोग उसे टारगेट करते हैं. ऐसे तो लोग मुझे भी टारगेट करते हैं. बीजेपी का जो आईटी सेल है, वो कुछ न कुछ गंदा मेरे बारे में लिखता रहता है. जिस देश में सीता की आलोचना हो गई, उस देश में हम जैसे लोगों की आलोचना कोई बड़ी बात नहीं है. मैं ये समझता हूं कि हमने बहुत बड़ी गलती की कि शिवसेना के साथ हमने महाराष्ट्र में सरकार नहीं बनाई. ठाकरे को हमने अपने गठबंधन से धक्का देकर बाहर निकाल दिया. मैं जानता हूं कि बीजेपी ने ठाकरे से वादा किया था कि इस चुनाव के बाद तुम मुख्यमंत्री बनोगे. उसके बाद धोखा दे दिया. बीजेपी थोड़ा अहंकार में है.

ईटीवी भारत- बीजेपी किसकी वजह से अहंकार में है ?

स्वामी-पता नहीं, लेकिन हमारी पार्टी में जो अनुशासन है, उसको उन्होंने ग़लतफहमी में ये समझ लिया कि सब लोग सैल्यूट मारने के लिए तैयार हैं, सब गुलाम बनने के लिए तैयार हैं, कोई खड़ा नहीं होगा, किसी में हिम्मत नहीं होगी, छापे मार देंगे तो लोग दब जाएंगे. इस तरह का माहौल बना है इसीलिए मैं तो खुल कर बोलता हूं. मैं लोकतंत्र के लिए राजनीति में आया. इंदिरा गांधी तक से मैं लड़ गया था. मुझे किसी बात की चिंता नहीं है. चंद्रशेखर इंदिरा गांधी से लड़े, वो पार्टी में थे, फिर भी लड़े. इसीलिए उनका नाम हुआ और आज भी लोग उनको याद करते हैं.

ईटीवी भारत- आप मोदी के बहुत बड़े प्रशंसक थे. अब भी हैं ?

स्वामी- देखिए मेरी दोस्ती उनके साथ अभी भी है, कोई नफ़रत ऐसी नहीं है. कोई व्यक्तिगत बात नहीं है. उन्होंने मुझे मंत्री नहीं बनाया, तो मैंने उसका बुरा नहीं माना. क्योंकि मैंने मंत्री पद कभी मांगा ही नहीं था. मैं छह बार संसद में आया हूं. दो बार तो मैं सीनियर मोस्ट कैबिनेट मिनिस्टर रहा, नरसिम्हा राव की सरकार में और चंद्रशेखर की सरकार में. मैंने कभी उनसे नहीं कहा कि मुझे मंत्री बनाओ, कभी नहीं कहा कि सांसद बनाओ. इन्होंने मुझसे कहा कि नई दिल्ली से चुनाव लड़ो, मैं तैयार हो गया. केंद्रीय मंत्री नितिन ग़डकरी ने इस खुशी में दावत भी कर दी. फिर जिस दिन मैं नामांकन करने जाने वाला था, उस दिन मुझे राजनाथ जी ने फोन करके कहा कि जेटली ने और मोदी ने तय किया है कि आप नहीं लड़ेंगे. मोदी ने तो मुझसे कहा कि मैं जा कर रायबरेली से चुनाव लड़ जाऊं. मैंने कहा कि भई, मुझे चार महीने पहले बताना चाहिए था. तो मैं मोदी को बहुत सालों से जानता हूं. लेकिन देखिए जानने से क्या होता है ऐसे तो दुर्योधन को विदुर भी खूब जानते थे.

ईटीवी भारत-आपका राज्यसभा का कार्यकाल भी अब पूरा होने को है. तो आगे की क्या योजना है ?

स्वामी-वो तो भगवान की ज़िम्मेदारी है. भगवान जो करेगा, वही होगा. छह बार संसद में आ चुका हूं, जिसमें तीन बार मैं लोकसभा का सदस्य रहा. दो बार बॉम्बे से एक बार मदुरै से. मदुरै से कोई ब्राह्मण जीत नहीं सकता था. तभी जयललिताजी ने भी मुझसे कहा था, तुम क्या कर रहे हो. मैं जानती हूं वहां लोग ब्राह्मण को वोट नहीं देंगे. मैने कहा देखता हूं कैसे नहीं देंगे, और मैं जीत कर आया. वैसे हमारे यहां लोग राज्यसभा जाना ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि वहां मेहनत नहीं करनी होती.

ईटीवी भारत-दरअसल आपकी ममता बनर्जी से जो मुलाकात दिल्ली में हुई थी, उससे कयास निकाले जाने लगे थे कि आप टीएमसी ज्वाइन करने जा रहे हैं.

स्वामी- मैं दरअसल बीजेपी में आया था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कारण. जब बीजेपी बनी, मैं उसमें नही गया, तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ही सलाह थी कि तुम जनता पार्टी चलाओ. मैंने पार्टी चलाई. फिर हिंदुत्व का मामला हो गया. विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल कहने लगे कि सुब्रमण्यम स्वामी ने ही रामसेतु बचाया, स्वामी ही राम मंदिर बना सकता है. तब अशोक सिंघल और आरएसएस प्रमुख के सी सुदर्शन ने ज़ोर लगाया और बाद में मोहन भागवत जी ने बड़ा स्नेह दिखा कर मेरी ज्वाइनिंग की सारी व्यवस्था की. तब मैं भाजपा में आया. संघ के सिद्धांतों पर मैं जनता पार्टी में भी बोलता था. यहां तक कि कैलाश मानसरोवर यात्रा भी मैंने ही खुलवाया था, भाजपा ने नहीं खुलवाया.

ईटीवी भारत- हाल ही में हरिद्वार में ‘हेट स्पीच’ का एक मामला आया है. क्या आप मानते हैं भारतीय समाज खूंखार होता जा रहा है ?

स्वामी-सबको संविधान के भीतर रहना चाहिए. किसी को मार दो, इस तरह का कोई भाषण नहीं दे सकता. मैं जानता हूं कि हिंदुओं को दबाने के लिए सारी दुनिया में साज़िश चल रही है. अब ममता बनर्जी है, वो तो एक पक्की हिंदू है. मैं उसे जानता हूं 1977 से और पिछले 20-30 साल से तो मैं उनको बहुत निकट से जानता हूं. वो तो जो बोलती है, वो करती है और जो करती है वही बोलती है. वो किसी से डरती नहीं है. होम मिनिस्टर (अमित शाह) को अकेले उसने हरा दिया. कोई जाने के लिए तैयार नहीं था बंगाल, तो मैं तो उस बहादुर महिला को प्रणाम करने के लिए गया था. उसने मुझे चाय पिलाई, लेकिन मुझे नहीं पता था कि बाहर सौ पत्रकार लोग खड़े हुए हैं.

ईटीवी भारत-तो हरिद्वार में जो हुआ आप उसकी निंदा करते हैं ?

स्वामी- निंदा शब्द ठीक नहीं है. बात ये है कि जोश में लोग कुछ भी बोल जाते हैं. मुसलमानों के बयानों को सुनते हैं तो उनका खून और खौलता है. उनके ऊपर केस करने के फैसलों को मैं ठीक नहीं मानता. मेरे ऊपर ही केस डाल दिया था एक बार. अरुण जेटली ने केस कर दिया था मेरे ऊपर. हार गए वो, क्योंकि उनके केस में कोई दम नहीं था. उनका आरोप था कि मैंने कहा था कि मस्ज़िदों को तोड़ा जा सकता है, हां मैंने कहा था कि मस्ज़िदों को तोड़ा जा सकता है क्योंकि 1994 में हमारी जो संविधान पीठ थी, उन्होंने कहा था कि नमाज़ तो हम सड़कों पर पढ़ सकते हैं, ड्राइंग रूम में पढ़ सकते हैं, रेलवे प्लेटफॉर्म पर पढ़ सकते हैं. तो उसको लेकर मेरे ऊपर बांग्लादेश के बॉर्डर पर करीमगंज या करीम नगर नाम की जगह है, वहां मेरे खिलाफ मुकदमा करवाया गया फिर मैंने गुवाहाटी हाइकोर्ट जा कर उसके रदद् करवाया.

ईटीवी भारत- क्या आपको लगता है कि भारत की राजनीति से धर्म का दखल कभी जाएगा ? चुनाव के ऐन पहले अखिलेश यादव को सपने में श्रीकृष्ण के दर्शन होने लगे. राहुल गांधी ने जनेऊ पहले ही धारण कर लिया.

स्वामी-जनेऊ भी तो राहुल ने उल्टा पहना है. ऐसा है कि धर्म में उपासना पद्धति की बात नहीं करते हम. हम सिर्फ एक सांस्कृतिक बात, एक आचरण की बात करते हैं. मां-बाप के रिश्ते क्या होते हैं..बच्चों के साथ क्या रिश्ते होते हैं..भाई-बहन के रिश्ते कैसे होते हैं..मर्यादा क्या होती है..शिष्टाचार से व्यवहार करना चाहिए...ये सब बातें हमारे हिंदू धर्म ग्रंथों में लिखी है. हम किसी दूसरे धर्म के खिलाफ नहीं हैं. हम तो कहते हैं कि सारे धर्मों से भगवान प्राप्त हो सकते हैं. ये कहीं नहीं कहा गया कि मेरे रास्ते पर चलो वर्ना गोली से उड़ा देंगे. मुसलमान कहते हैं कि काफिर हो, तो तुम्हें तो मारना ही ठीक है. ईसाई कहते हैं, तुम्हें तो नर्क में भेजना पड़ेगा. हमारे हिंदू धर्म में ऐसा नहीं है. दरअसल अंग्रेज़ों के समय और मुगल काल में हमें बहुत दबा दिया गया. जैसे जाति या वर्ण व्यवस्था है, ये तो जन्म से जुड़ा ही नहीं है. गीता में श्री कृष्ण ने साफ कहा है कि ज्ञानी और त्यागी को ब्राह्मण कहते हैं. जो वीर हैं, युद्ध कर सकते हैं उन्हें क्षत्रिय कहते हैं. विश्वामित्र तो क्षत्रिय धर्म में पैदा हुए हैं, लेकिन बने महर्षि. वेद व्यास की मां तो मछुआरिन थी, लेकिन उन्होंने महाभारत लिख डाला. वाल्मीकि तो दलित परिवार में पैदा हुए, वे महर्षि बने. लेकिन चुनाव के वक्त भगवान का सपने में आने का मतलब है कि लोगों में एक भावना आ गई है कि हिंदुओं के साथ सब लोग खिलवाड़ कर रहे हैं. इसीलिए इस बार बीजेपी जीतेगी. बीजेपी को हिंदू वोटों से जीत मिलेगी. सरकार की ‘इकोनमिक परफॉर्मेंस’ पर कोई वोट नहीं देगा. हमने चीन को कड़ा जवाब दे दिया, इस पर वोट कोई नहीं देगा. दुनिया में सब समझ गए हैं कि हम तो पीछे हट रहे हैं और चीन आगे बढ़ रहा है.

ईटीवी भारत- जिस तरह कांग्रेस के पास गांधी परिवार का चेहरा है, ठीक उसी तरह अब बीजेपी के पास मोदी का चेहरा है. क्या आप मानते हैं कि बीजेपी में भी राजनीति व्यक्ति विशेष के इर्द-गिर्द घूमने लगी है ?

स्वामी- ये मैं नहीं मानता हूं, ये आप मीडिया के लोग बनाते हो. अटल बिहारी वाजपेयी के समय भी यही कहते थे सब. देखिए संघ का जो संगठन है, वो किसी को भी नेता बना सकता है. ये मैंने अपनी आंखों से देखा है. मैं तो जनसंघ में 1970 में आया था, उस समय से जानता हूं सबको. उस समय तो पार्टी बहुत छोटी थी, तो मेरी सबसे बड़ी निकटता थी. मैंने ही तब प्लान दिया था कि देश में ‘स्वदेशी’ प्लान कैसा होगा जिससे इंदिरा गांधी चिढ़ गई थीं. तो आरएसएस का जो संगठन है, वही बीजेपी को जिताता है, कोई व्यक्ति विशेष नहीं जिताता.

ईटीवी भारत -हाल ही में पीएमओ की एक चिट्ठी को लेकर चुनाव आयोग चर्चा में आ गया था. क्या आप समझते हैं कि टी एन शेषन के समय चुनाव आयोग की जो निष्पक्ष छवि थी, उसे नुकसान पहुंचा है ?

स्वामी- टी एन शेषन तो मेरा विद्यार्थी था हार्वर्ड में. मैने ही उसे चुनाव आयुक्त बनाया था. वो नहीं बनना चाहता था मुख्य चुनाव आयुक्त. मैंने कहा नहीं, तुम ही ठीक आदमी हो इस काम के लिए. उस समय प्रधानमंत्री सब काम खुद ही नहीं करते थे, हम सब काम बांटते थे. चंद्रशेखर ने मुझे कानून मंत्री बनाया तो चुनाव आयोग मेरी ज़िम्मेदारी में आ गया. तो मैंने उसे बनाया. चुनाव आयोग तो रीढ़ की हड्डी होनी चाहिए. जो अधिकार हमारे संविधान में है. चुनाव आयोग के लिए तो कोई भी बन सकता है टीएन शेषन जैसा. बस रीढ़ की हड्डी होनी चाहिए.

ईटीवी भारत- लेकिन अब ऐसा नहीं है ?

स्वामी-नहीं है, क्योंकि रीढ़ की हड्डी तोड़ी जाएगी तो ऐसा ही होगा. अब मेरे ट्विटर पर देख लीजिए, बीजेपी वाले इतने अटैक मुझ पर करते हैं कि मुझे प्राइम मिनिस्टर बनना है, इसलिए मैं ये सब कर रहा हूं, मुझे राज्य सभा सीट नहीं मिलेगी. ये सारे लोग ऐसी गंदी-गंदी बातें करते हैं. मैंने राम सेतु बचाया और राम मंदिर का जो मुद्दा ठंडा पड़ा हुआ था, उसे मूलभूत अधिकार से जोड़ कर रास्ता निकाला, वर्ना इसका हल उस जगह के बंटवारे के आसपास निकाला जाता. मैंने मूलभूत अधिकार की बात कर दी. तो ये सब कोई मानता नहीं है.

ईटीवी भारत- एक सवाल चीन को लेकर भी है. चौदहवें दौर की बात हो चुकी है. क्या बातचीत से कोई हल निकलेगा ?

स्वामी- कुछ नहीं होगा. वो हमें दो थप्पड़ लगा के चले जाएंगे. और हम कहेंगे बहुत अच्छी बात हुई. लेकिन उससे निकला कुछ नहीं.

ईटीवी भारत- जनता को पता चले अगर कि मोदी जैसी शख्सियत के प्रधानमंत्री रहते चीन भीतर घुस आया है तो बड़ी निराशा की बात नहीं होगी ये ?

स्वामी- देखिए मोदी की हिम्मत होती तो वो पोप को गले नहीं लगाते. उसको जाकर गले लगाने की क्या ज़रूरत थी ? उसको यहां आमंत्रित करने की क्या ज़रूरत थी ? वो यहां आकर ईसाइयत की बाते करेंगे. अफगानिस्तान से हम क्यों डर के भाग कर आ गए. तो ये जो आंखें दिखाने वाली बात पहले करते थे, अब उसके लिए तैयार नहीं हैं. मैं तो साफ-साफ बता रहा हूं, मैं तो बीजेपी पार्टी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सिद्धांतों की वजह से हूं. मैं आरएसएस से इस बात पर पहले नाराज था कि उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के कहने पर मुझे पार्टी से बाहर रखा. लेकिन आज मुझे समझ आता है कि उन्होंने ठीक किया था. क्योंकि मैं जनता पार्टी में रह कर स्वतंत्र तौर पर जो राजनीतिक विकास का काम कर रहा था, वह बीजेपी में रह कर नहीं कर सकता था. वाजपेयी ने जैसे गोविंदाचार्य को दबा दिया, वैसे ही मुझे भी दबा देते. उस समय मेरा कद भी उतना नहीं था. तो मेरा कहना मोदी से ये है कि बीजेपी को दूसरी पार्टियों की तरह मत बनाइए. ये पार्टी टीम वर्क में ही चल सकती है. मोदी गलत कर रहा है, हर चीज़ में मैं...मैं ...मैं. चीन ने तुम्हें बुद्धू बना दिया. 18 बार मोदी ने शी जिन पिंग से अकेले मुलाकात की. क्या उनको नहीं पता था कि ये लोग डेपसांग में कब्जा कर चुके हैं ?

ईटीवी भारत- आप चीन और भारत के रिश्तों के बड़े जानकार हैं, आपके हिसाब से क्या करना चाहिए सरकार को ?

स्वामी- मैं कुछ भी कहूंगा, वो उल्टा समझेंगे. मैं इतना ही कहूंगा कि ये आरएसएस की ज़िम्मेदारी है. आरएसएस जो कहेगा, वो मैं करूंगा. मेरी बात जब सर संघचालक से होती है, मैं बताता हूं उनको कि ये जानकारी मुझे मिली है, ये जो कह रहे हैं कि कोई नहीं आया...कोई नहीं गया...सब झूठ है. इसको या तो आर्मी के अफसर इनको झूठ बता रहे हैं, या फिर ये सोचते हैं कि ऐसा झूठ बोलना चाहिए.

ईटीवी भारत- पिछले संसद सत्र में आपने सवाल भी उठाना चाहा था इस मुद्दे पर.

स्वामी- हां, उसमें मुझे जवाब नहीं दिया. कहा कि ये राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल है. अरे, मैंने इतना ही तो पूछा था कि चीन हमारी सीमा को पार कर इधर आया है या नहीं. अब आपने जवाब देने से मना कर के, ये तो बता ही दिया कि चीन इधर आया है. वर्ना आप क्यों कहते कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा सवाल है. अब राजनाथ सिंह से कुछ कहता हूं, तो वो तो बेचारा है इन मामलों में.

ईटीवी भारत -बहुत पहले आपने कहा था कि इन्फ्लेशन (मुद्रास्फीति) के बारे में देश के प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री दोनों को कुछ नहीं पता.

स्वामी- जी बिल्कुल कहा था. प्रधानमंत्री ने कह दिया कि पांच साल में पांच ट्रिलियन की इकॉनमी बना दूंगा भारत को. यानी पंद्रह प्रतिशत हर साल ? उस समय हम तीन परसेंट पर थे. और निर्मला सीतारमण तो खैर जेएनयू से है, वहां तो कोई पढ़ाई होती नहीं है.

ये भी पढ़ें : 'पीछे नहीं हट सकते PM मोदी, PAK का अस्तित्व समाप्त करना है'

Last Updated : Jan 17, 2022, 10:20 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.