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सबसे कम उम्र में मेयर बनने वाली आर्या ने बताई भविष्य की प्लानिंग

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Published : Jan 3, 2021, 9:25 PM IST

भारत की सबसे कम उम्र की मेयर बनने वाली देश की सबसे युवा आर्या राजेंद्रन से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. उन्होंने 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी संभावनाओं पर भी बात की. उन्होंने छात्र नेता के रूप में अपने राजनीतिक अनुभवों को भी शेयर किया.

आर्या राजेंद्रन
आर्या राजेंद्रन

नई दिल्ली : महज छह साल की उम्र में राजनीतिक विचारधारा का 'ककहरा' सीखने की शुरुआत करने वाली एक बच्ची 15 साल बाद युवावस्था की दहलीज पर कदम रखने के कुछ साल में ही भारत की सबसे कम उम्र की मेयर बन जाए, तो उसकी चर्चा लाजिमी है. केरल की 21 वर्षीय आर्या राजेंद्रन अभी ऑल सेंट्स कॉलेज में बीएससी गणित की द्वितीय वर्ष की छात्रा होने के साथ ही तिरुवनंतपुरम नगर निगम की मेयर भी हैं.

पिछले दिनों इस पद की शपथ लेकर उन्होंने सबसे कम उम्र की मेयर बनने का तमगा हासिल करने वाली सबीता बेगम को पीछे छोड़ दिया. सबीता बेगम कोल्लम नगर निगम की मेयर थीं और उस समय उनकी उम्र 23 साल थी. इसी प्रकार रेखा प्रियदर्शिनी 24 साल की उम्र में तमिलनाडु के सलेम की मेयर बनीं, जबकि भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस 27 साल की उम्र में नागपुर नगर निगम के मेयर बने थे.

पेशे से इलेक्ट्रिशियन पिता और एलआईसी एजेंट मां के घर पैदा हुईं राजेंद्रन जब छह वर्ष की थीं तभी वह 'बालसंगम' से जुड़ गई थीं. उनके माता-पिता दोनों लंबे समय से माकपा के सक्रिय सदस्य हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि पद संभालने के बाद मेरा अनुभव बहुत अच्छा रहा. मुझे कई लोगों ने बधाई दी और कई लोग मुझसे व्यक्तिगत रूप से मिलना भी चाहते हैं.

मेयर बनते ही राजेंद्रन ने अपनी प्राथमिकताएं भी स्पष्ट कर दीं. उन्होंने कहा कि उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता राजधानी में अपशिष्ट प्रबंधन की होगी और मेयर पद के दायित्व का निर्वहन करने के साथ ही वह अपनी पढ़ाई भी जारी रखेंगी.

राजेंद्रन ने आगे कहा कि हम दोपहर के भोजन के अलावा पब्लिक स्कूलों में शाम का भोजन उपलब्ध कराने की संभावना पर विचार कर रहे हैं. युवाओं के लिए स्वरोजगार योजनाएं वार्ड स्तर पर लागू की जाएंगी. इसके अलावा अपशिष्ट प्रबंधन एक वास्तविक समस्या है. इस बारे में, हमें लोगों में अधिक जागरूकता पैदा करनी होगी.

मेयर ने कहा कि मेरा मानना है कि शिक्षा के बिना राजनीतिक सक्रियता हो सकती है. पढ़ाई केवल नौकरी पाने के लिए नहीं होती, बल्कि ज्ञान अर्जित करने के लिए भी होती है. राजनीति के लिए पढ़ाई से समझौता करने की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने बताया कि उनकी रुचि आईपीएस बनने में थी, लेकिन अब आईपीएस बनने की उनकी कोई इच्छा नहीं है.

उन्होंने बताया, 'गणित पढ़ना मेरा शौक है. हालांकि, जब मैं स्कूल में थी, तब सभी की तरह गणित पढ़ना मुझे भी पसंद नहीं था.'

पढ़ें - केरल : 21 वर्षीय आर्या राजेंद्रन बनीं भारत की सबसे युवा मेयर

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी एक कैडर पार्टी है. किसी व्यक्ति को पार्टी टिकट यह सोच कर नहीं दिया जाता कि वह मेयर बनेगा. पार्टी ने युवा पीढ़ी से किसी को चुनने का विचार किया होगा.

माकपा के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा को नगर निगम चुनाव में 51 सीटें, भाजपा को 34, यूडीएफ को दस सीट और अन्य को चुनाव में पांच सीट मिली थीं. राजेन्द्रन ने शहर के मुदवनमुगल वार्ड से कांग्रेस के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 549 मतों के अंतर से हराकर जीत हासिल की.

नई दिल्ली : महज छह साल की उम्र में राजनीतिक विचारधारा का 'ककहरा' सीखने की शुरुआत करने वाली एक बच्ची 15 साल बाद युवावस्था की दहलीज पर कदम रखने के कुछ साल में ही भारत की सबसे कम उम्र की मेयर बन जाए, तो उसकी चर्चा लाजिमी है. केरल की 21 वर्षीय आर्या राजेंद्रन अभी ऑल सेंट्स कॉलेज में बीएससी गणित की द्वितीय वर्ष की छात्रा होने के साथ ही तिरुवनंतपुरम नगर निगम की मेयर भी हैं.

पिछले दिनों इस पद की शपथ लेकर उन्होंने सबसे कम उम्र की मेयर बनने का तमगा हासिल करने वाली सबीता बेगम को पीछे छोड़ दिया. सबीता बेगम कोल्लम नगर निगम की मेयर थीं और उस समय उनकी उम्र 23 साल थी. इसी प्रकार रेखा प्रियदर्शिनी 24 साल की उम्र में तमिलनाडु के सलेम की मेयर बनीं, जबकि भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस 27 साल की उम्र में नागपुर नगर निगम के मेयर बने थे.

पेशे से इलेक्ट्रिशियन पिता और एलआईसी एजेंट मां के घर पैदा हुईं राजेंद्रन जब छह वर्ष की थीं तभी वह 'बालसंगम' से जुड़ गई थीं. उनके माता-पिता दोनों लंबे समय से माकपा के सक्रिय सदस्य हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि पद संभालने के बाद मेरा अनुभव बहुत अच्छा रहा. मुझे कई लोगों ने बधाई दी और कई लोग मुझसे व्यक्तिगत रूप से मिलना भी चाहते हैं.

मेयर बनते ही राजेंद्रन ने अपनी प्राथमिकताएं भी स्पष्ट कर दीं. उन्होंने कहा कि उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता राजधानी में अपशिष्ट प्रबंधन की होगी और मेयर पद के दायित्व का निर्वहन करने के साथ ही वह अपनी पढ़ाई भी जारी रखेंगी.

राजेंद्रन ने आगे कहा कि हम दोपहर के भोजन के अलावा पब्लिक स्कूलों में शाम का भोजन उपलब्ध कराने की संभावना पर विचार कर रहे हैं. युवाओं के लिए स्वरोजगार योजनाएं वार्ड स्तर पर लागू की जाएंगी. इसके अलावा अपशिष्ट प्रबंधन एक वास्तविक समस्या है. इस बारे में, हमें लोगों में अधिक जागरूकता पैदा करनी होगी.

मेयर ने कहा कि मेरा मानना है कि शिक्षा के बिना राजनीतिक सक्रियता हो सकती है. पढ़ाई केवल नौकरी पाने के लिए नहीं होती, बल्कि ज्ञान अर्जित करने के लिए भी होती है. राजनीति के लिए पढ़ाई से समझौता करने की आवश्यकता नहीं है. उन्होंने बताया कि उनकी रुचि आईपीएस बनने में थी, लेकिन अब आईपीएस बनने की उनकी कोई इच्छा नहीं है.

उन्होंने बताया, 'गणित पढ़ना मेरा शौक है. हालांकि, जब मैं स्कूल में थी, तब सभी की तरह गणित पढ़ना मुझे भी पसंद नहीं था.'

पढ़ें - केरल : 21 वर्षीय आर्या राजेंद्रन बनीं भारत की सबसे युवा मेयर

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी एक कैडर पार्टी है. किसी व्यक्ति को पार्टी टिकट यह सोच कर नहीं दिया जाता कि वह मेयर बनेगा. पार्टी ने युवा पीढ़ी से किसी को चुनने का विचार किया होगा.

माकपा के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा को नगर निगम चुनाव में 51 सीटें, भाजपा को 34, यूडीएफ को दस सीट और अन्य को चुनाव में पांच सीट मिली थीं. राजेन्द्रन ने शहर के मुदवनमुगल वार्ड से कांग्रेस के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 549 मतों के अंतर से हराकर जीत हासिल की.

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